Monday, April 29, 2024
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3 जजों की बेंच आज करेगी याकूब की किस्मत पर फैसला

नई दिल्ली: मुंबई विस्फोट मामले में मौत की सजा पाने वाले याकूब मेमन की किस्मत पर मंगलवार को अनिश्चितता पैदा हो गई जब उच्चतम न्यायालय ने उसकी किस्मत पर फैसले के लिए तीन न्यायाधीशों की

Bhasha Bhasha
Updated on: July 29, 2015 8:09 IST

न्यायमूर्ति एआर दवे ने मौत के वारंट पर रोक लगाये बगैर उसकी याचिका खारिज कर दी, वहीं न्यायमूर्ति कुरियन की राय अलग रही और उन्होंने रोक का समर्थन किया। दोनों न्यायाधीशों के बीच किसी विषय पर अलग-अलग राय होने पर पैदा कानूनी स्थिति के बारे में पूछे जाने पर पीठ को बताया गया, ‘यदि एक न्यायाधीश इस पर रोक लगाता है और दूसरा नहीं, तो फिर कानून में कोई व्यवस्था नहीं रहेगी।’अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और मेमन की ओर से पेश हुए राजू रामचंद्रन सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि इस विषय को गौर करने के लिए प्रधान न्यायाधीश के हस्तक्षेप के साथ बड़ी पीठ को भेजा जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति दवे का नजरिया था कि 21 जुलाई को मेमन की उपचारात्मक याचिका को खारिज करने में कुछ खामी नहीं थी और महाराष्ट्र के राज्यपाल उसकी दया याचिका पर फैसला कर सकते हैं क्योंकि दोषी कैदी अपनी सभी कानूनी उपचारों का प्रयोग कर चुका है। शीर्ष अदालत द्वारा मेमन की उपचारात्मक याचिका पर फैसले में सही प्रक्रिया का पालन नहीं करने की बात कहने वाले न्यायमूर्ति कुरियन ने कहा कि इस खामी को दूर किया जाना चाहिए और उपचारात्मक याचिका पर नए सिरे से सुनवाई होनी चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में मौत के वारंट पर रोक लगाई जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति दवे ने इस मसले पर मनु स्मृति का एक श्लोक उद्धृत करते हुये कहा, ‘खेद है, मैं मौत के फरमान पर रोक लगाने का हिस्सा नहीं बनूंगा। प्रधान न्यायाधीश को निर्णय लेने दीजिये।’

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