Friday, March 29, 2024
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Rajat Sharma’s Blog: अस्पतालों में क्यों धूल फांक रहे हैं सैकड़ों वेंटिलेटर ?

सरकार वेंटिलेटर दे सकती है, ऑक्सीजन उपलब्ध करा सकती है, अस्पतालों में बेड लगवा सकती है लेकिन अगर अस्पताल टैक्नीशियन की कमी का बहाना करके एक साल तक वेंटिलेटर को स्टोर रूम में रखे रहे तो कोई भी सरकार क्या कर सकती है?

Rajat Sharma Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: May 08, 2021 16:28 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma

कोरोना वायरस पूरे देश में तबाही मचा रहा है। हालात बेहद गंभीर हैं। शुक्रवार को एक बार फिर 4 लाख से ज्यादा (4,01,078) नए मामले सामने आए। यह लगातार तीसरा दिन है जब संक्रमण के नए मामलों की संख्या 4 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। वहीं शुक्रवार को कोरोना से 4,187 लोगों की मौत हो गई। यह एक दिन में कोरोना संक्रमण से होनेवाली सबसे ज्यादा मौत है। कर्नाटक में यह महामारी तेजी से फैल रही है। यहां 48,781 नए मामले सामने आए हैं जबकि 592 लोगों की मौत हुई है। अकेले बेंगलुरु में कोरोना ने 346 लोगों की जान ले ली। 

 
प्रभावित राज्यों की सूची में महाराष्ट्र अभी-भी सबसे ऊपर है। यहां कोरोना वायरस के 54,022 नए मामले आए और 898 लोगों की मौत हो गई।  केरल में  38,460 ताज़ा मामले आए और 54 लोगों की मौत हुई। उत्तर प्रदेश में 28,076 नए मामले आए और 372 लोगों की जान चली गई। तमिलनाडु में 26,465 नए मामले आए औरे 197 मौतें हुई। पश्चिम बंगाल में 19,216 नए मामले आए और 112 लोगों की मौत हो गई। राजस्थान में 18,231 मामले आए और 164 मौतें हुईं। आंध्र प्रदेश में 17,188 मामले आए और 73 मौतें हुईं। हरियाणा में 13,876 नए मामले आए और 162 लोगों की मौत हो गई। बिहार में 13,466 ताजा मामले आए। मध्य प्रदेश में 11,708 नए मामले आए और 84 मरीजों ने दम तोड़ दिया।  उत्तराखंड में 9,642 नए मामले आए और 137 मौतें हुईं। पंजाब में 8,367 नए मामले आए और 165 मौतें हुईं। तेलंगाना में 5,559 नए मामले आए और 41 लोगों की जान चली गई। एक अनुमान के मुताबिक इस महामारी की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में रोजाना नए मामलों की संख्या चार गुना ज्यादा है।
 
कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों में अस्पतालों के बेड कोरोना मरीजों से भरे पड़े हैं। इन राज्यों ने केंद्र से ऑक्सीजन सप्लाई का कोटा बढ़ाने की मांग की है।  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दावा किया कि राजधानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति की स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन कई अस्पतालों में अभी भी आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की कमी है। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि बिहार और यूपी के कई जिला अस्पतालों में सैकड़ों वेंटिलेटर्स का इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है क्योंकि यहां टैक्नीशियन नहीं हैं, एनेस्थीसिया में ट्रेंड कर्मचारियों की कमी है। इन वेंटिलेटर्स की पैकिंग भी नहीं खोली गई है। डिब्बों में बंद ये वेंटिलेटर अस्पतालों में धूल फांक रहे हैं। 
 
शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने आपको उत्तर प्रदेश के बिजनौर अस्पताल का दृश्य दिखाया जहां मरीजों के रिश्तेदार डॉक्टरों से गुहार लगा रहे थे कि मरीज की जान बचा लीजिए, ऑक्सीजन दे दीजिए, वेंटिलेटर का इंतजाम कर दीजिए, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था। कोई मदद नहीं मिली। मरीज की जान बचाने के लिए परिवार वाले खुद इधर उधर भाग रहे थे। कुछ रिश्तेदार खुद ही मरीज को CPR देने की कोशिश कर रहे थे तो कोई पीठ ठोंककर मरीज का ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। वार्ड में दो-तीन मरीजों की  हालत गंभीर थी और उन्हें वेटिलेंटर की सख्त जरूरत थी। लेकिन मरीजों को कोई मदद नहीं मिल रही थी। 
 
इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने जब मामले की पड़ताल की तो पता चला कि सीएमओ ने पिछले साल 50 लाख रुपये की लागत से 24 वेंटिलेटर खरीदे थे। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) ने इस बात को स्वीकार किया कि 24 वेंटिलेटर्स की खरीद के बाद इनमें से 10 वेंटिलेटर्स को खोल कर फिट किया गया था लेकिन इन्हें चलाने के लिए कोई ट्रेंड स्टाफ नहीं था इसलिए इनका इस्तेमाल नहीं हो पाया। सीएमएस ने कहा कि अस्पताल में कोई एनेस्थेटिस्ट नहीं था जो इन वेंटिलेटर्स को चला सके। सीएमएस ने अब बिना इस्तेमाल हुए इन वेंटिलेटर्स को मुरादाबाद जिला अस्पताल में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। 
 
यह जिला अस्पतालों को चलाने वाले सिस्टम की घोर लापरवाही और उदासीनता है। राज्य सरकार ने वेंटिलेटर्स भेजे और ये अस्पताल के स्टोर में ही रखे रह गए। इनका इस्तेमाल नहीं हो पाया। इन वेंटिलेटर्स को चलाने के लिए नियुक्त कर्मचारियों को ट्रेंड करने की कोशिश तक नहीं की गई और कोरोना मरीजों की दर्दनाक मौत होती रही।
 
ये अकेले बिजनौर का ही मामला नहीं है। 'आज की बात' में हमने दिखाया कि कैसे यूपी के फिरोजाबाद जिला अस्पताल के स्टोर रूम में 67 वेंटिलेटर पैक रखे हुए हैं। हमारे रिपोर्टर को पता चला कि 114 नए वेंटिलेटर पिछले साल पीएम केयर्स फंड से खरीदे गए थे। अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक इन वेंटिलेटर्स का उपयोग करने की कोई जरूरत नहीं हुई इसलिए इन्हें अन्य जिला अस्पतालों में भेजने का निर्णय लिया गया। अस्पताल के सीएमओ ने हमारे रिपोर्ट से झूठ बोला कि ये सभी वेंटिलेटर चालू हालत में हैं। हमारे रिपोर्टर को पता चला कि केवल 47 वेंटिलेटर्स की पैकिंग खोली गई और इनका इस्तेमाल किया गया जबकि बाकी के वेंटिलेटर्स अभी भी पैक हैं। यानी कुल 67 वेंटिलेटर स्टोर रूम के अंदर धूल फांक रहे थे। अब अस्पताल प्रमुख ने कुछ उन वेंटिलेटर्स को अन्य जिला अस्पतालों में शिफ्ट करने के लिए उच्चाधिकारियों को चिट्ठी लिखी है जिनका इस्तेमाल नहीं किया जा सका है। यह चिट्ठी अब स्वास्थ्य विभाग की फाइलों में कहीं दबी पड़ी है।
 
जब ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की कमी के कारण कोरोना मरीजों की मौत हो जाती है तो उनके परिवारवाले सरकार को दोषी ठहराते हैं। लेकिन सरकार इससे ज्यादा क्या कर सकती है? सरकार वेंटिलेटर दे सकती है, ऑक्सीजन उपलब्ध करा सकती है, ऑक्सीजन के टैंकर पहुंचा सकती है, अस्पतालों में बेड लगवा सकती है लेकिन अगर अस्पताल टैक्नीशियन की कमी का बहाना करके एक साल तक वेंटिलेटर को स्टोर रूम में रखे रहे तो कोई भी सरकार क्या कर सकती है?
 
बिहार में भी यही स्थिति है। कई जिले ऐसे हैं जहां के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर तो हैं, कागजों पर वेंटिलेटर की एंट्री भी है, लेकिन ये वेंटिलेटर कभी स्टोर रूम से बाहर ही नहीं निकले। इनके ऊपर चढ़ा हुआ कवर कभी हटा ही नहीं। आज तक ये किसी मरीज की जिंदगी बचाने के काम नहीं आए। उदाहण के तौर पर दरभंगा के बेनीपुर अनुमंडल अस्पताल में पिछले साल कोरोना काल में जो चार नए वेंटिलेटर स्वास्थ्य विभाग ने मुहैया कराया था, उसे कई महीने बीत जाने के बाद भी आज तक इंस्टॉल तक नहीं किया गया। अस्पताल के प्रभारी का कहना है कि इस अस्पताल में कोई आईसीयू नहीं है, इसलिए वेंटिलेटर्स को इन्सटॉल नहीं किया गया। इसके अलावा वेंटलेटर्स के रखरखाव और इस्तेमाल के लिए कोई ट्रेंड कर्मचारी भी नहीं है।
 
हमने देखा कि पिछले दो हफ्तों के दौरान विदेशों से मदद के तौर पर  400 से ज्यादा वेंटिलेटर आए, लेकिन अ्ब प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री हर जिला अस्पताल में जाकर यह नहीं देख सकते कि इन वेंटिलेटर्स का उपयोग किया जा रहा है या नहीं। ये काम तो अस्पताल प्रशासन को करना है। उनको ये तय करना है कि वेंटिलेटर मौजूद है तो फिर उसे ऑपरेट करने वाले का इंतजाम भी करना चाहिए। इसे लेकर जिला प्रशासन से बात करे। इसी तरह इंडिया टीवी रिपोर्टर ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से दृश्य दिखाए, जहां 27 वेंटिलेटर बेड लगाए गए थे। ये सारे वेंटिलेटर पिछले साल खरीदे गए थे। लेकिन ये सिर्फ सजावट का सामान बन कर रह गए। वजह एक ही हैं: इन्हें भी ऑपरेट करने के लिए जिस मैन पावर की जरूरत है, वो इतने बड़े अस्पताल में उपलब्ध नही है। 
 
बिहार के गोपालगंज सदर अस्पताल में छह आईसीयू वेंटिलेटर बेड हैं, लेकिन ये सभी लाल कपड़े से ढंके हुए हैं। ये वेंटिलेटर चालू हालत में हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सका है क्योंकि इसे चलानेवाला कोई ट्रेंड स्टाफ नहीं है। अस्पताल के सिविल सर्जन ने कहा कि उन्होंने कई बार स्वास्थ्य मंत्री को टेक्नीशियनों की नियुक्ति के लिए चिट्ठी भेजी लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। यही हालत बिहार के शिवहर, खगड़िया और सासाराम के जिला अस्पतालों की है। शिवहर जिला अस्पताल के स्टोर रूम में छह वेंटिलेटर को स्क्रैप की तरह डंप किया गया था। लगभग सभी मामलों में अस्पताल अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने टेक्नीशियनों की नियुक्ति के लिए जिले के अधिकारियों को चिट्ठी भेजी थी लेकिन जिले के अधिकारियों ने इसे राज्य के स्वास्थ्य विभाग में भेज दिया और वहां पर  फाइलें अटक गईं। 
 
इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स राजस्थान के जिला अस्पतालों में गए और वहां भी ऐसा ही दृश्य देखा। चूरू जिला अस्पताल में 20 से अधिक वेंटिलेटर बेकार पड़े हैं। करोड़ों रुपये के ये वेंटिलेटर्स धूल फांक रहे थे। कुछ तो बाथरूम के पास बनी जगह पर रखे हुए थे। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वेंटिलेटर को जगह की कमी के कारण वॉशरूम के पास रखा गया था। भरतिया अस्पताल के कोविड नोडल अधिकारी डॉ. साजिद खान का कहा है कि जब भी जरूरत होती है तब कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर और बीएपीपी दिया जा रहा है। डॉ. साजिद का दावा है कि अस्पताल में 67 वेंटिलेटर है जिनमें से एक ख़राब हालत में है। 15 वेंटिलेटर अभी इन्स्टॉल नहीं किया गया है जबकि 51 वेन्टिलेटर इनस्टॉल हैं। इन वेंटिलेटर्स से आईसीयू और मेडिकल आईसीयू में काम लिया जा रहा है।
 
जयपुर के पास कोटपुतली में तो हालत ये है कि यहां कई वेंटिलेटर्स पिछले एक साल से डिब्बे में बंद हैं। उन्हें इंस्टॉल करने के लिए किसी ने जहमत नहीं उठाई।  जिला कलेक्टर ने कहा कि ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी के कारण इनका उपयोग नहीं किया जा रहा था। उन्होंने इस्तेमाल में नहीं आए वेंटिलेटर्स को जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेजने की बात कही।
 
एक तरफ सरकारी अस्पतालों में वेंटीलेटर बेकार पड़े हैं, मरीज़ ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर यूपी, बिहार और राजस्थान के अस्पतालों में सैकड़ों वेंटिलेटर्स धूल फांक रहे हैं। महामारी के इस दौर में मरीजों के परिवार वालों को लूटने के लिए मुनाफाखोरों और ब्लैक मार्केटिंग करने वालों का गिरोह भी सक्रिय है। हमने आपको दिखाया था कि दिल्ली पुलिस ने एक रेस्टोरेंट में छापा मारकर 419 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर बरामद किया था। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इन लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने खान मार्केट के मशहूर खान चाचा रेस्टोरेंट पर छापा मारा और वहां पुलिस को 96 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर मिले। खान मार्केट के ही एक और रेस्टोरेंट टाउन हॉल से पुलिस ने 9 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स बरामद किए। खान मार्केट के दोनों रेस्टोरेंट दिल्ली के बड़े कारोबारी नवनीत कालरा के हैं। फिलहाल नवनीत कालरा फरार है। पुलिस 24 घंटे के अंदर तीन रेस्टोरेंट्स से 524 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स बरामद कर चुकी है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक ये ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स विदेशों से इंपोर्ट किए गए थे। इन्हें कई कंपनियों द्वारा मंगाया गया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस गैंग ने विदेश से 650 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए थे, जिनमें से 125 कंसंट्रेटर्स बेचे जा चुके थे जबकि 524 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर पुलिस ने बरामद कर लिया।
 
ऐसे समय में जब कोरोना महामारी से लोग तड़प-तड़पकर मर रहे हैं, कुछ लोग थोड़े से पैसे के लालच में लोगों की ज़िंदगी से खेल रहे हैं। ये मौत के सौदागर हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए और कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। महामारी तेजी से फैल रही और रोजाना इससे जुड़े आंकड़े का मैं अपने ब्लॉग के शुरुआत में उल्लेख करता हूं ताकि इस संकट की भयावहता को लोग समझें। कृपया भीड़ से दूर रहें, डबल मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग अपनाएं, हाथों को धोते रहें। क्योंकि कोरोना से बचना है तो सावधानी बरतनी पड़ेगी। जब हरिद्वार में कुंभ मेला शुरू हुआ तो उस वक्त भी मैंने कहा था कि कुंभ के आयोजन को रद्द करना चाहिए क्योंकि इससे इंसानों की जिंदगी पर असर पड़ता है, और आज की तारीख में इंसानों की जिंदगी से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं है। आस्था बाद में हो जाएगी। मेले बाद में लग जाएंगे। कुंभ का आयोजन हुआ और कोरोना विस्फोट के कारण इसे बीच में खत्म करना पड़ा। इसलिए अब मेरी मुस्लिम भाईयों से अपील है कि इस बार ईद पूरे जोश से मनाएं, लेकिन घर में रहकर मनाएं, बाहर न निकलें, लोगों से न मिलें। क्योंकि अगर गले नहीं मिले तो बच जाएंगे, गले मिले तो कोरोना गले लग जाएगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 मई, 2021 का पूरा एपिसोड

 

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