Saturday, April 20, 2024
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सिर्फ सुबह के वक्त ही क्यों होती है फांसी? 6 अहम बातें

सिर्फ सुबह के वक्त ही फांसी क्यो दी जाती है। फांसी देते वक्त उसके परिजन वहां क्यों नही होते या फिर फांसी देते वक्त जल्लाद क्या बोलता है जैसे सवाल हमारें मन में आते रहते है। जानिए फांसी से सम्बन्धित सवालों के जनाब के बारें में।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 20, 2020 5:30 IST
सिर्फ सुबह के वक्त ही क्यों होती है फांसी? 6 अहम बातें- India TV Hindi
Image Source : सिर्फ सुबह के वक्त ही क्यों होती है फांसी? 6 अहम बातें

नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चोरों आरोपियों की फांसी रोकने की याचिका को खारिज कर दिया जिसके बाद आज सुबह 5:30 बजें चारों दोषियों को फांसी दी गई। मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फिजियोथेरेपी की 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार करने को लेकर दोषी ठहराया गया। दोषियों को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे मृत्यु होने तक फांसी के फंदे से लटकाया गया। अपनी खबर में बताएगें कि सिर्फ सुबह के वक्त ही फांसी क्यो दी जाती है। फांसी देते वक्त उसके परिजन वहां क्यों नही होते या फिर फांसी देते वक्त जल्लाद क्या बोलता है जैसे सवाल हमारें मन में आते रहते है। जानिए फांसी से सम्बन्धित सवालों के जनाब के बारें में।

सिर्फ सुबह के वक्त ही फांसी क्यो दी जाती है

जेल मैन्युअल के तहत फांसी सूर्योदय से पहले के समय दी जाती है क्योकि जेल के अन्य कार्य  सूर्योदय के बाद शुरू हो जाते है। अन्य कार्य प्रभावित न हो इसलिए सुबह फांसी दी जाती है।

कितनी देर के लिए फांसी में लटकाया जाता है
इसका कोई एक निर्धारित समय नही है, लेकिन दस मिनट बाद डाक्टर का पैनल फांसी के फंदे में ही चेकअप कर बताता है कि वह मृत है कि नहीं उसी के बाद मृत शरीर को फांसी के फंदे से उतारा जाता है।

फांसी देते वक्त यह लोग रहते है मौजूद
फांसी देते वक्त वहां पर जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और जल्लाद मौजूद रहते है। इनके बिना फांसी नही दी जा सकती।

फांसी की सजा सुनाने के बाद जज द्वारा पेन का निब तोडना
फांसी की सजा सबसे बड़ी सजा होती है क्योंकि इससे उसका जीवन समाप्त हो जाता है। इसलिए जज फैसला सुनाने के बाद अपने पेन की निब तोड़ देते है ताकि उस पेन का दोबारा इस्तेमाल न हो।

फांसी देने से पहले जल्लाद क्या बोलता है
जल्लाद फांसी देने से पहले बोलता है कि मुझे माफ कर दो। हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लिम को सलाम, हम क्या कर सकते है हम तो हुकुम के गुलाम है।

आखिरी ख्वाहिश की मांग में जेल प्रशासन क्या दे सकता है?
जेल प्रशासन फांसी से पहले आखिरी ख्वाहिश पूछता है जो जेल के अंदर और जेल मैन्युअल के तहत होता है इसमें वो अपने परिजन से मिलने, कोई खास डिश खाने के लिए या फिर कोई धर्म ग्रंथ पढ़ने की इच्छा करता है अगर यह इच्छाएं जेल प्रशासन के मैन्युअल में है तो वो पूरी करता है।

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