Thursday, April 25, 2024
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तीन दशक बाद माओवादियों के गढ़ से मुक्त हुआ ‘बूढ़ा पहाड़’, दौरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन

छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा यह क्षेत्र तीन दशक तक माओवादियों का गढ़ रहा और सुरक्षाबलों ने इसे उनके नियंत्रण से मुक्त कराया।

IndiaTV Hindi Desk Edited By: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 27, 2023 23:54 IST
हेमंत सोरेन, सीएम, झारखंड- India TV Hindi
Image Source : TWITTER हेमंत सोरेन, सीएम, झारखंड

बूढ़ा पहाड़ (झारखंड):  हेमंत सोरेन कभी माओवादियों के गढ़ रहे ‘बूढ़ा पहाड़’ का दौरा करने वाले झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने वहां 100 करोड़ रुपये की विकास परियोजना की शुरुआत भी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा यह क्षेत्र तीन दशक तक माओवादियों का गढ़ रहा और सुरक्षाबलों ने इसे उनके नियंत्रण से मुक्त कराया। अधिकारियों ने बताया कि सोरेन दोपहर के समय इस पहाड़ी पर पहुंचे जहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अब अपना शिविर स्थापित कर लिया है। 

जरूरत पड़ी तो विकास की राशि बढ़ाएगे-सोरेन

उन्होंने बताया कि 100 करोड़ रुपये की बूढ़ा पहाड़ विकास परियोजना के तहत गढ़वा की टेहरी पंचायत के 11 गांवों तथा लातेहार की अकसी पंचायत के 11 गांवों का कायाकल्प होगा। सोरेन ने कहा, ‘‘यदि जरूरत पड़ी तो यह रकम बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये की जा सकती है।’’ इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले तीन महीनों में चार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का लाभ इस क्षेत्र में ग्रामीणों को मिला है। 

रांची से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर है बूढ़ा पहाड़

उन्होंने कहा, ‘‘माओवादियों के नियंत्रण से इसे मुक्त कराए जाने के बाद सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए खापरी महुआ गांव में ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ नामक संपर्क कार्यक्रम शुरू किया कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।’’ सोरेन के साथ मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा एवं अन्य कई शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे। लातेहार और गढ़वा जिलों से सटा ‘बूढ़ा पहाड़’ झारखंड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

तीन दशक बाद माओवादियों के नियंत्रण से मुक्त हुआ बूढ़ा पहाड़

तीन दशक बाद सुरक्षाबलों ने इसे माओवादियों के नियंत्रण से मुक्त कराया था। इसके लिए तीन विशेष अभियान चलाए गए थे। ये अभियान अप्रैल, 2022 में शुरू किए गए थे। अधिकारियों ने कहा कि इन अभियानों के दौरान कुल 14 माओवादियों को मार गिराया गया जबकि 590 अन्य को या तो पकड़ लिया गया या फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने बताया कि ‘बूढ़ा पहाड़’ से नक्सलियों को खदेड़ने के पिछले प्रयास मुश्किल भौगोलिक स्थिति के कारण सफल नहीं हुए। पुलिस महानिदेशक ने कहा, ‘‘माओवादी गतिविधियों के कारण इन वर्षों में इस क्षेत्र में कई सुरक्षाकर्मियों एवं नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी।’’ वहीं, एक अन्य शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘बूढ़ा पहाड़ में सुरक्षाबलों का स्थायी शिविर होगा।’

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