
दिल्ली हाई कोर्ट ने पार्क से ‘वर्चुअल’ माध्यम से अदालत में पेश होने वाले एक वकील को फटकार लगाई और कहा कि ‘हाइब्रिड’ अदालतें भी न्यायालय ही हैं और उनमें शिष्टाचार बनाए रखा जाना चाहिए। जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि वकील ने अदालत का आदेश सुनाने के दौरान अपना वीडियो भी बंद कर दिया था। अदालत ने कहा कि जब कोई वकील अपने कार्यालयों में बैठकर एक ही दिन विभिन्न अदालत परिसरों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होना चाहता है, तो वह सुविधानुसार और बेहतर तरीके से अदालतों की सहायता कर सकता है।
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान अपील करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील पार्क में खड़े होकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हो रहे थे। इसी पर कोर्ट ने उसे फटकार लगाई है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने और क्या कहा?
अदालत ने कहा, ‘‘लेकिन इसके लिए, वकील को यह समझना होगा कि अदालत की गरिमा को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अक्सर, वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने वाले वकील की ओर से कनेक्टिविटी की समस्या के कारण वकील की दलील नहीं सुनाई देती है। अक्सर, वीडियो चालू नहीं होता है। हाइब्रिड अदालतें भी न्यायालय ही हैं।’’
हाई कोर्ट ने जारी किए निर्देश
अदालत ने कहा, ‘‘कोई वकील हाथ में मोबाइल फोन लेकर पार्क में खड़ा होकर अपीलकर्ताओं के वकील के रूप में पेश होना चाहता है... यहां तक कि इस अदालत की दैनिक कार्यसूची में भी वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने के दौरान शिष्टाचार बनाए रखने के विशिष्ट निर्देश प्रतिदिन जारी किए जाते हैं। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।’’ इसलिए इसने दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और दिल्ली के सभी जिलों के बार एसोसिएशनों को निर्देश दिया कि वे अपने सदस्यों को इस बारे में जागरूक करें कि वे सुनवाई में वर्चुअल रूप से कैसे पेश हों। (भाषा इनपुट्स के साथ)
यह भी पढ़ें-
पहले पति से नहीं हुआ डिवोर्स, फिर भी दूसरे पति से गुजारा भत्ता ले सकती हैं महिलाएं: सुप्रीम कोर्ट