Tuesday, April 16, 2024
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न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी करने की मांग पर SC की टिप्पणी, कहा- अधिक नहीं, अच्छे की है जरुरत

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा कि न्यायाधीशों की संख्या को दोगुना करना लंबित मामलों को हल करने का समाधान नहीं है।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: November 29, 2022 14:49 IST
सुप्रीम कोर्ट - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि अधिक न्यायाधीशों का मतलब अधिक केसों का निपटान नहीं है, बल्कि अच्छे न्यायाधीशों की जरुरत है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा कि न्यायाधीशों की संख्या को दोगुना करना लंबित मामलों को हल करने का समाधान नहीं है। 

'अधिक न्यायाधीशों का मतलब अधिक केसों का निपटान नहीं'

मुख्य न्यायाधीश ने उपाध्याय से कहा, "अधिक न्यायाधीशों का मतलब अधिक केसों का निपटान नहीं है, आपको अच्छे न्यायाधीशों की जरुरत है।" उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि इस समय अदालतों में लगभग 5 करोड़ मामले लंबित हैं। इसका मतलब है कि लगभग 20 करोड़ लोग प्रभावित हैं, यह अमेरिका की आबादी के करीब है। इसलिए मामलों को निपटाने के लिए न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी की जानी चाहिए। हालांकि, पीठ याचिकाकर्ता के दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई। 

इलाहाबाद HC में 160 सीटों को भरने में कठिनाई आ रही: पीठ

पीठ ने कहा, न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी करना समाधान नहीं है। हर बुराई को देखने का मतलब यह नहीं है कि जनहित याचिका दायर की जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने उपाध्याय से कहा न्यायाधीशों को मौजूदा खाली स्थानों को भरना कितना मुश्किल है, और कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में 160 सीटों को भरने में कठिनाई आ रही और याचिकाकर्ता 320 की मांग कर रहा है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "क्या आप बॉम्बे हाई कोर्ट गए हैं? वहां एक भी नए जज को नहीं जोड़ा जा सकता है, क्योंकि कोई बुनियादी ढांचा नहीं है। अधिक जजों की नियुक्ति समस्या का समाधान नहीं है।" अदालत की टिप्पणी के बाद उपाध्याय अपनी याचिका वापस ले ली। पीठ ने कहा कि याचिका को वापस ले लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया और याचिकाकर्ता को कुछ शोध करने के बाद नई याचिका दायर करने की छूट दी गई।

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