Friday, April 19, 2024
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गैर इरादतन हत्या पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, "चोट और मौत में लंबे अंतराल से कम नहीं होगा अपराधी का जिम्मा"

गैर इरादतन हत्या ( भारतीय दंड संहिता की धारा 304) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पीड़ित को चोट लगने और मौत होने के बीच ज्यादा समय बीतने के बाद भी अपराधी की जिम्मेदारी कम नहीं होगी।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: January 27, 2023 15:02 IST
सुप्रीम कोर्ट (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट (फाइल)

Supreme Court's Big Decision on Section 304: गैर इरादतन हत्या ( भारतीय दंड संहिता की धारा 304) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पीड़ित को चोट लगने और मौत होने के बीच ज्यादा समय बीतने के बाद भी अपराधी की जिम्मेदारी कम नहीं होगी। यानि अपराधी का दोष सिर्फ इसलिए कम नहीं हो सकता है कि व्यक्ति की मौत चोट लगने के लंबे समय बाद हुई। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के एक मामले पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब किसी अभियुक्त द्वारा दी गई चोटों के कारण काफी समय बीत जाने के बाद पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो यह हत्या के मामले में अपराधी की जिम्मेदारी को कम नहीं करेगा।

जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस. रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि यहां ऐसी कोई कोई रूढ़िवादी धारणा या सूत्र नहीं हो सकता है कि जहां पीड़ित की मौत चोट लगने के कुछ समय के अंतराल पर हो जाए और उसमें अपराधी के अपराध को गैर इरादतन ही माना जाए। कोर्ट ने कहा कि हर मामले की अपनी अनूठी तथ्य स्थिति होती है। इसलिए वह गैर इरादतन हत्या है या हत्या यह तथ्य और परिस्थितियां तय करेंगी। कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि हालांकि किसी केस में जो महत्वपूर्ण है वह चोट की प्रकृति है और क्या यह सामान्य रूप से मौत की ओर ले जाने के लिए पर्याप्त है"। कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे मामले में चिकित्सा पर कम ध्यान दिए जाने जैसे तर्क प्रासंगिक कारक नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की अपील खारिज की

पीठ ने कहा कि इस मामले में चिकित्सकीय ध्यान की पर्याप्तता या अन्य कोई प्रासंगिक कारक नहीं है, क्योंकि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मौत कार्डियो रेस्पिरेटरी फेलियर के कारण हुई थी, जो चोटों के परिणामस्वरूप हुई थी। "इस प्रकार  चोटें और मौत दोनों एक दूसरे के बहुत नजदीक सीधे एक दूसरे से जुड़े हुए थे। "सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने आग्रह किया था कि पीड़िता की मौत हमले के 20 दिन बाद हुई थी। चोट और मौत में इतना समय बीत जाने से यह पता चलता कि चोटें प्रकृति के सामान्य क्रम में मृत्यु का कारण बनने के लिए पर्याप्त नहीं थीं। मगर कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा कि ऐसे कई निर्णय हुए हैं, जो इस बात पर जोर देते हैं कि समय की इस तरह की चूक को अपराधी की जिम्मेदारी को हत्या के अपराध से घटाकर गैर-इरादतन मानव वध कर देती है, जो हत्या की श्रेणी में नहीं आता है। मगर इसे धारणा नहीं बनाया जा सकता।

दोषियों ने हाईकोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती

याचिकाकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें कोर्ट ने उन्हें हत्या का दोषी ठहराया था। पुलिस के अनुसार फरवरी 2012 में आरोपी ने मृतक उस वक्त हमला कर दिया था, जब वह विवादित जमीन को जेसीबी से समतल करने का प्रयास कर रहा था। पीड़िता की मौत के बाद पीड़ित परिवार ने आरोपियों के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया था। अभियुक्तों ने तर्क दिया कि कथित घटना के लगभग 20 दिनों के बाद और सर्जरी में जटिलताओं के कारण पीड़िता की मौत हुई है। इसलिए उनकी कथित हरकतें मौत का कारण नहीं थीं। मगर शीर्ष अदालत ने कहा कि सवाल यह है कि क्या अपीलकर्ता हत्या के अपराध के दोषी हैं, धारा 302 के तहत दंडनीय है, या क्या वे कम गंभीर धारा 304, आईपीसी के तहत आपराधिक रूप से उत्तरदायी हैं।

गवाहों के बयान से साबित होता है कि हत्या के इरादे से किया गया हमला

पीठ ने कहा, "यह अदालत यह स्वीकार करने में कोई कठिनाई नहीं देखती है कि सबसे पहले अपीलकर्ता हमलावर थे, दूसरे उन्होंने मृतक पर कुल्हाड़ियों से हमला किया और तीसरा मृतक निहत्था था। शीर्ष अदालत ने अपीलकर्ताओं के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया कि मौत अनजाने में "अचानक झगड़े" के कारण हुई थी। उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत की पीठ ने ने कहा कि "दो महत्वपूर्ण चश्मदीद गवाहों की गवाही से यह स्थापित होता है कि जब मृतक अपनी संपत्ति पर सेप्टिक टैंक को समतल कर रहा था, तो आरोपियों/अपीलकर्ताओं ने उसके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। उसने उनसे ऐसा नहीं करने के लिए कहा। अपीलकर्ता, जो बगल की संपत्ति में थे, दीवार पर चढ़ गए। , मृतक के घर में घुस गया, और उस पर कुल्हाड़ियों से हमला किया।

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