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'ममता बनर्जी CAA को छूने की हिम्मत नहीं कर सकतीं', बंगाल में अमित शाह ने ललकारा

ममता बनर्जी के CAA को रद्द करने दावे को लेकर अमित शाह ने तगड़ा पलटवार किया है। केंद्र सरकार ने पिछले महीने सीएए लागू किया था।यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले बिना दस्तावेजों के भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को तेजी से नागरिकता प्रदान करने के लिए बनाया गया था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Apr 24, 2024 8:28 IST, Updated : Apr 24, 2024 8:28 IST
amit shah- India TV Hindi
Image Source : PTI अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को संशोधित नागरिकता अधिनियम (CAA) के विरोध के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला करते हुए दावा किया कि न तो वह और न ही कांग्रेस सीएए को छूने की हिम्मत कर सकती हैं। रायगंज निर्वाचन क्षेत्र के करनदिघी में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने स्कूल भर्ती घोटाले समेत भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर तीखा हमला बोला और जोर देकर कहा कि केवल भाजपा ही राज्य में टीएमसी के भ्रष्टाचार और कट मनी संस्कृति को खत्म कर सकती है। शाह ने कहा कि भाजपा ने पश्चिम बंगाल से 35 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखा है और अगर “यह लक्ष्य हासिल कर लेती है, तो तृणमूल के गुंडों को उल्टा लटका दिया जाएगा और सीधा कर दिया जाएगा।”

शाह ने बताया, CAA का विरोध क्यों कर रही हैं सीएम ममता

कांग्रेस के नेताओं की सत्ता में आने पर सीएए को रद्द करने संबंधी टिप्पणी पर शाह ने कहा, ‘‘न तो कांग्रेस और न ही ममता बनर्जी सीएए को छूने की हिम्मत कर सकती हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ममता बनर्जी संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 (सीएए) का विरोध क्यों कर रही हैं? वे कानून का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता पाने में मदद मिलेगी। वह बंगाल में घुसपैठ का समर्थन कर रही हैं लेकिन हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का विरोध करती हैं।’’

बंगाल सीएम ने किया था CAA रद्द करने का दावा

बनर्जी ने हाल ही में दावा किया था कि अगर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I. सत्ता में आता है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल भी एक हिस्सा है, तो वह संसद में एक नया कानून लाकर सीएए को रद्द कर देगा। केंद्र ने पिछले महीने सीएए लागू किया था। संसद द्वारा यह कानून पारित किए जाने के चार साल बाद इससे संबंधित नियमों को अधिसूचित किया गया था। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले बिना दस्तावेजों के भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को तेजी से नागरिकता प्रदान करने के लिए बनाया गया था।  

'लाखों रुपये में बेची गईं नौकरियां'

रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कल एक फैसला सुनाया, जिसमें हजारों नियुक्तियों (2016 शिक्षक भर्ती परीक्षा के माध्यम से की गई) को रद्द कर दिया गया। यह शर्म की बात है कि नौकरियां लाखों रुपये में बेची गईं। उन्होंने नौकरी के लिए 10 लाख और 15 लाख की रिश्वत ली है। इसका मतलब है कि अगर आपके पास 15 लाख रुपये नहीं हैं, तो आप अपने भाइयों और बेटों को नौकरी कैसे दिलाएंगे?’’ उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और उससे सहायता प्राप्त विद्यालयों में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की भर्ती प्रक्रिया के जरिए हुई 25,753 नियुक्तियों को एक दिन पहले रद्द कर दिया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उच्च न्यायालय के आदेश को ‘‘अवैध’’ बताया था और कहा था कि उनकी सरकार फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। (भाषा)

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