Thursday, May 02, 2024
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उत्तराखंड में लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड, जल्द सामने आ सकता है ड्राफ्ट

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तेजी से काम चल रहा है। जल्द की इसका ड्राफ्ट भी सामने आ जाएगा।

Niraj Kumar Edited By: Niraj Kumar
Published on: June 23, 2023 14:04 IST
पुष्कर सिंह धामी, सीएम, उत्तराखंड- India TV Hindi
Image Source : फाइल पुष्कर सिंह धामी, सीएम, उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। अगले कुछ दिनों में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। मुख्यमंत्री धामी पहले ही इस बात के स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि जून आखिरी सप्ताह तक यूसीसी का ड्राफ्ट जनता के सामने आ सकता है। 

पहली कैबिनेट में ही कमेटी बनाई

पुष्कर सिंह धामी ने पिछले साल मार्च महीने में प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का वादा किया था। जिसके बाद सरकार में आने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में धामी सरकार ने इसपर कमेटी बनाई। तब से ही यह विषय समूचे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

सभी धर्मों के लिए एक ही कानून

यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का मतलब है कि सभी धर्मों के लिए एक ही कानून। शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने समेत तमाम विषय इसमें शामिल होंगे। भले ही कुछ लोग इसे राजनीतिक मुद्दा समझें और सियासी मोड़ दें, लेकिन तमाम हाई कोर्ट (खासकर दिल्ली हाई कोर्ट) से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट मौजूदा केंद्र सरकार से इस संबंध में अब तक की गई कोशिशों के बारे में पूछ चुका है, जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय विधि आयोग से राय मांगी गई है।

पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित ड्राफ्ट कमेटी प्रदेश में हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति के प्रमुख हितधारकों से बातचीत कर चुकी है। इधर मुख्यमंत्री धामी का समान नागरिक संहिता को लेकर रुख स्पष्ट है।

2019 के घोषणापत्र में किया था वादा

भाजपा के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। लिहाजा यह उम्मीद जताई जा रही है कि उत्तराखंड में लागू होते ही इसे देशभर में भी लागू किया जा सकता है। धामी अगर इसमें सफल हो गए तो राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी विशिष्ट छवि बन जायेगी और जनहित का कानून भी लागू हो जायेगा। (IANS)

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