विलासिता में न खोना
कर्मेंन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों पर आपका हमेशा संयम होना चाहिए। इसका मतलब है कि परिवार के सभी लोगों को शौक-मौज में इतना न डूब जाना चाहिए कि अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को ही भूल जाए। जिससे बाद में परिवार दु:ख और कष्टों से घिर जाए।
कुलदेवता का पूजन और श्राद्ध
शास्त्रों के अनुसार जिस घर के पितृ और कुल देवता उस कुल के लोगों से संतुष्ट रहते हैं, तो उनकी आने वाली सात पीढिय़ां भी खुशहाल रहती है। मान्यता के अनुसार हर कुल की एक आराध्य देवी होती है। जिनकी आराधना पूरे परिवार पर एक विशेष तिथियों पर तो जरुर की जाती है। इसी प्रकार पितरों का श्राद्ध करनें से वो लोग भी खुश रहते है। इसके लिए हमें उनकी मृत्यु की तिथि के साथ-साथ यह ध्यान रखना चाहिए की श्राद्ध करते समय कोई भी गलती न हो। श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते है जिससे कि उनका आशीर्वाद आप पर बना रहता है।
शिष्टाचार
अगर आपके अंदर अच्छे विचार और व्यवहार है तो आप अच्छें परिवार के सदस्य संस्कार और जीवन मूल्यों से जुड़े रहें है। हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करें। रोज सुबह उनका आशीर्वाद लेकर दिन की शुरुआत करे ताकि सभी का स्वभाव, चरित्र और व्यक्तित्व श्रेष्ठ बने। महिलाओं का सम्मान करें और दूसरी की महिलाओं को बुरी नजर से न देखें। ऐसा करने से घर में हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
पवित्र विवाह
विवाह संस्कार को शास्त्रों में सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। यह 16 संस्कारों में से पुरुषार्थ प्राप्ति का सबसे अहम संस्कार हैं। परंपराओं के अनुसार शादी का संबंध दो घरों को सुख देता है। विधि-विधान के साथ किया हुआ शादी से स्वस्थ और संस्कारी संतान होती हैं, जो आगे चलकर आपके वंश का नाम रोशन करती हैं।
ये भी पढें- अगर अपने घर में है वास्तु दोष, तो इन उपायों से करें दूर