Thursday, May 02, 2024
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज: ऐसे करें मंत्रोच्चारण के साथ लड्डू गोपाल की पूजा

श्री कृष्ण का जन्म भादप्रद माह कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में वृष के चंद्रमा में हुआ था। जो कि इस बार 14 अगस्त की शाम 7 बजकर 48 मिनट से शुरु होकर 15 अगस्त की शाम 5 बजकर 42 मिनट कर रहेगी। जानिए पूजा विधि के बारें में...

India TV Lifestyle Desk Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published on: August 14, 2017 6:52 IST

lord krishna

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इसके बाद श्री कृष्ण के पालने में विराजमान करा कर इस मंत्र के साथ सुलाना चाहिए-

"विश्राय विश्रेक्षाय विश्रपले विश्र सम्भावाय गोविंदाय नमों नम:"

जब आप श्री परि को शयन करा चुके हो इसके बाद एक पूजा का चौक और मंडप बनाए और श्रीकृष्ण के साथ रोहिणी और चंद्रमा की भी पूजा करें। उसके बाद शंख में चंदन युक्त जल लेकर अपने घुटनों के बल बैठकर चंद्रमा का अर्द्ध इस मंत्र के साथ करें।

श्री रोदार्णवसम्भुत अनिनेत्रसमुद्धव।

ग्रहाणार्ध्य शशाळेश रोहिणा सहिते मम्।।

इसका मतलब हुआ कि हे सागर से उत्पन्न देव हे अत्रिमुनि के नेत्र से समुभ्छुत हे चंद्र दे!  रोहिणी देवी के साथ मेरे द्वारा दि गए अर्द्ध को आप स्वीकार करें।

इसके बाद नंदननंतर वर्त को महा लक्ष्मी, वसुदेव,नंद, बलराम तथा यशोदा को फल के साथ अर्द्ध दे और प्रार्थना करें कि हे देव जो अनन्त, वामन. शौरि बैकुंठ नाथ पुरुषोत्म, वासुदेव, श्रृषिकेश, माघव, वराह, नरसिंह, दैत्यसूदन, गोविंद, नारायण, अच्युत, त्रिलोकेश, पीताम्बरधारी, नारा.ण चतुर्भुज, शंख चक्र गदाधर, वनमाता से विभूषित नाम लेकर कहे कि जिसे देवकी से बासुदेव ने उत्पन्न किया है जो संसार , ब्राह्मणो की रक्षा क् लिए अवतरित हुए है। उस ब्रह्मारूप भगवान श्री कृष्ण को मै नमन करती हूं।

इस तरह भगवान की पूजा के बाद घी-धूप से उनकी आरती करते हुए जयकारा लगाना चाहिए औऱ प्रसाद ग्रहण करनें का बाद ही जाना चाहिए।

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