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Air India की बिक्री के लिए जल्‍दी मंगाई जाएंगी वित्‍तीय बोलियां, अजय सिंह व अंकुर भाटिया मिलकर लगाएंगे बोली

सिंह और दो निवेशक एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के लिए बोली लगाएंगे।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: March 26, 2021 18:39 IST
Financial bids will be invited in coming days for Air India sale, SpiceJet’s Ajay Singh emerged as b- India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO

Financial bids will be invited in coming days for Air India sale, SpiceJet’s Ajay Singh emerged as bidders

नई दिल्‍ली। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) के विनिवेश के लिए एक नई समयसीमा पर काम कर रही है। नागर विमानन राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां आगामी दिनों में आमंत्रित की जाएंगी। पुरी ने कहा कि सरकार के सामने एयर इंडिया के निजीकरण करने या उसे बंद करने का ही विकल्प है। निजीकरण होने तक उसे इसे चालू रखना होगा। टाटा संस (Tata Sons) के अलावा स्‍पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह रास एआई खैमाह इनवेस्‍टमेंट अथॉरिटी और दिल्‍ली स्थित बर्ड ग्रुप के प्रमोटर अंकुर भाटिया के साथ मिलकर एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की योजना बना रहे हैं।

सिंह और दो निवेशक एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्‍सेदारी का अधि‍ग्रहण करने के लिए बोली लगाएंगे। हालांकि सिंह और अन्‍य दोनों निवेशकों ने अभी अपनी साझेदारी और बोली को लेकर  कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। इन्‍होंने अपना अभिरुचि पत्र दिसंबर में जमा किया था।

सिंह, जिन्‍हें स्‍पाइसजेट को उबारने का श्रेय जाता है, ने 2005 में स्‍पाइसजेट की स्‍थापना की थी और बाद में इसे बिलबर रॉस को बेच दिया था। रॉस ने इसे बाद में कलानिधि मारन को 2010 में बेच दिया। सिंह ने दोबारा 2015 में स्‍पाइसजेट पर नियंत्रण हासिल किया। भाटिया बर्ड ग्रुप के कार्यकारी निदेशक हैं, जिनका कारोबार ट्रैवल टेक्‍नोलॉजी, एविएशन सर्विसेस, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल और एजुकेशन क्षेत्र में फैला है। 

पुरी ने कहा कि अब हम एयर इंडिया की बिक्री के लिए नई समयसीमा पर विचार कर रहे हैं। मूल्य लगाने के इच्छुक पक्षों के लिए अब डाटा-रूम (सूचना संग्रह) खोल दिया गया है। वित्तीय बोलियों के लिए 64 दिन का समय होगा। उसके बाद सिर्फ फैसला लेने और एयरलाइन हस्तांतरित करने का निर्णय ही शेष होगा। यर इंडिया सरकार की अकेले की मिल्कियत है। वह इसमें अपनी संपूर्ण 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए खरीदार तलाशने में लगी है।

लाभ में चलने वाली इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में 2007 में विलय कर दिया गया। उसके बाद यह घाटे में डूबती गई। पुरी ने कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। या तो हमें इसका निजीकरण करना होगा या इसे बंद करना होगा। एयर इंडिया अब पैसा बना रही है, लेकिन अभी हमें प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। कुप्रबंधन की वजह से एयर इंडिया का कुल कर्ज 60,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है।

एयर इंडिया के लिए वित्त मंत्री से कोष मांगने का उल्लेख करते हुए पुरी ने कहा कि मेरी इतनी क्षमता नहीं है कि मैं बार-बार निर्मला जी के पास जाऊं और कहूं कि मुझे कुछ और पैसा दे दें। उन्होंने कहा कि पूर्व में एयर इंडिया के निजीकरण के प्रयास इसलिए सफल नहीं हो पाए, क्योंकि  उन्हें पूरे दिल से नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू विमान सेवा क्षेत्र कोरोना वायरस महामारी से असर से अब उबर रहा है।

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