
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई को एनसीआर में सुपरटेक लिमिटेड की परियोजनाओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया है। इससे 'बिल्डर-बैंकों' के गठजोड़ का पता लगाया जाने में मदद मिलेगी। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से होम बायर्स की परेशानी भी कम होगी। सुपरटेक के कई प्रोजेक्ट्स विवादों में हैं। खबर के मुताबिक, जांच करने के लिए, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य पुलिस के कर्मियों से मिलकर विशेष जांच दल बनाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि एजेंसी के राडार पर आने वाली ज्यादातर परियोजनाएं एनसीआर में स्थित हैं।
5,000 करोड़ रुपये से अधिक का लोन का मामला
शुरुआती जांच में से एक सुपरटेक प्रोजेक्ट और उन बैंकों की भूमिका की जांच करना है, जिन्होंने इसके कई आवास परियोजनाओं के लिए सब्सिडी योजना के तहत 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का लोन दिया है। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, बाकी पांच शुरुआती जांच नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक प्राधिकरण, गुरुग्राम प्राधिकरण और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण जैसे पांच सरकारी प्राधिकरणों की भूमिका की जांच करेगी।
नोडल अधिकारी, सीए करेंगे मदद
सुप्रीम कोर्ट ने भूमि विकास प्राधिकरण, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के रेरा और आरबीआई को नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है। यह सीबीआई या एसआईटी द्वारा मांगी गई सभी जानकारी उपलब्ध कराएंगे। भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान को भी बिल्डर-बैंकर गठजोड़ की जांच में एसआईटी की मदद के लिए तीन सीए की सेवाएं उपलब्ध करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने के भीतर पहली अंतरिम रिपोर्ट मांगी है। मामले की मासिक आधार पर निगरानी की जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक्शन सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें यह खुलासा हुआ था कि हजारों घर खरीदार सब्सिडी योजना से प्रभावित हुए थे। बैंकों ने कथित तौर पर परियोजनाओं के पूरा होने से पहले बिल्डरों को सीधे होम लोन की 60-70% राशि का भुगतान किया था।