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आतंकियों के खिलाफ पेगासस का इस्तेमाल गलत कैसे? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की सुनवाई में पूछा कि आतंकियों के खिलाफ इसके इस्तेमाल में क्या गलत है। कोर्ट ने निजता की रक्षा की बात कही, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक करने से इनकार किया।

Reported By : Atul Bhatia Edited By : Vineet Kumar Singh Published : Apr 29, 2025 01:59 pm IST, Updated : Apr 29, 2025 01:59 pm IST
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Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 30 जुलाई को अगली सुनवाई करेगा।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस जासूसी मामले में सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि अगर देश आतंकियों के खिलाफ जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता है, तो इसमें क्या गलत है? कोर्ट ने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा कोई भी दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन लोगों को अपनी निजता भंग होने का डर है, उनकी शिकायतों पर विचार किया जा सकता है। कोर्ट ने इस मामले को 30 जुलाई 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

'देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता'

जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने कहा, 'देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। अगर जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आतंकियों के खिलाफ हो रहा है, तो यह गलत नहीं है। लेकिन इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ हो रहा है, यह सवाल अहम है।' कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि निजी व्यक्तियों की गोपनीयता की रक्षा संविधान के तहत होगी।

कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने दिए ये तर्क

पेगासस जासूसी मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने तर्क दिया कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए। सिब्बल ने अमेरिकी अदालत के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि व्हाट्सएप ने खुद स्वीकार किया है कि उसका सिस्टम हैक हुआ था। उन्होंने मांग की कि जिन लोगों के फोन हैक हुए, उन्हें कम से कम संशोधित रिपोर्ट दी जाए। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आतंकियों के खिलाफ जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल ठीक है और उन्हें निजता का अधिकार नहीं दिया जा सकता। उन्होंने किसी भी तरह की व्यापक जांच के खिलाफ सुझाव दिया।

क्या है पेगासस मामला?

पेगासस एक इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसके जरिए कथित तौर पर भारत में नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई थी। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक तकनीकी समिति बनाई थी, जिसकी निगरानी पूर्व जज जस्टिस आर. वी. रविंद्रन कर रहे थे। इस समिति ने 29 फोनों की जांच की, जिनमें से 5 में मालवेयर पाया गया, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि पेगासस का इस्तेमाल हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई 2025 को तय की है। कोर्ट यह भी देखेगा कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट को किस हद तक सार्वजनिक किया जा सकता है। (PTI इनपुट्स के साथ)

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