Bhadwa Chauth Vrat Katha (भादवा चौथ की कथा): इस साल भादवा चौथ 12 अगस्त 2025 को मनाई जा रही है। ये भगवान गणेश को समर्पित एक मुख्य हिंदू त्योहार है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन व्रत रखने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। कई महिलाएं संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी ये व्रत रखती हैं। कई जगहों पर इस दिन गाय और बछड़े की पूजा भी की जाती है। यहां हम आपको बताएंगे इस संकष्टी चतुर्थी के दिन कौन सी कथा पढ़ी जाती है।
भादवा चौथ व्रत कथा (Bhadwa Chauth Vrat Katha)
भादवा चौथ की व्रत कथा अनुसार पौराणिक काल में एक नल नाम के राजा थे जिनकी बेहद सुंदर रानी थी। जिनका नाम दमयन्ती था। किसी शाप के कारण राजा नल को अपना राजपाठ खोने के साथ-साथ अपनी रानी से दूर होने का कष्ट भी सहना पड़ा। तब दमयन्ती ने भादो संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जिसके प्रभाव से उन्होंने अपने पति को प्राप्त किया।
कथा के अनुसार किसी श्राप के कारण राजा नल के ऊपर अचानक से दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। डाकुओं ने उनके महल से सबकुछ ले लिया और अंत में पूरे महल को जला दिया था। दुर्भाग्य से राजा नल भी जुआ खेलकर सब हार चुके थे। तब राजा नल अपनी रानी के साथ वन में चले गए लेकिन शाप के कारण उन्हें स्त्री वियोग का दुख सहना पड़ा। अब दोनों एक दूसरे के वियोग में वन में अकेले देशाटन कर रहे थे।
एक दिन रानी दमयन्ती को वन में महर्षि शरभंग के दर्शन हुए। रानी ने मुनि को नमस्कार किया और अपने पति को प्राप्त करने का उपाय पूछा? तब मुनि ने दमयन्ती को भादों की चौथ का व्रत रखने की सलाह दी और कहा कि इस व्रत में गजानन भगवान की विधि विधान पूजा करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पति तुम्हें अवश्य ही प्राप्त होंगे। रानी दमयन्ती ने पूरे विधि विधान से ये व्रत किया जिसके प्रभाव से उन्हें अपने पति के साथ-साथ पुत्र की भी प्राप्ति हुई। इस व्रत के प्रभाव से ही राजा-रानी को उनके कष्टों से मुक्ति मिल गई। कहते हैं तभी से इस व्रत को विघ्न का नाश करने वाला सर्वोतम व्रत माने जाना लगा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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