तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के चलते अफगान सिखों को वहां से निकलना पड़ा और वह नहीं जानते कि क्या कभी वापस जा पाएंगे या नहीं।
तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट के पास अपने लड़ाकों की तैनाती बढ़ा दी है और 15 घंटे से भारत के उड़ान भरने का इंतजार कर रहे 140 हिंदुओं और सिखों को वहां से लौटने के लिए कहा है।
आज अफगानिस्तान में सिख समुदाय के जहां गिने-चुने लोग रह गए हैं, वहीं कुछ दशक पहले ही इस मुल्क में उनके हजारों परिवार आबाद थे।
पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के तीन स्वरूपों को काबुल से दिल्ली लेकर आने वाले सरदार धर्मेंद्र सिंह और सरदार कुलराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय वायुसेना को मदद के लिए धन्यवाद किया है।
अकाली नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजिंदर सिंह सिरसा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से सीएए में संशोधन करने और कट-ऑफ की तारीख 2014 से 2021 तक बढ़ाने का अनुरोध करता हूं।"
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचकर खुद जाकर तीनों प्रतियों को रिसीव किया है। सोमवार को तीनों प्रतियों को सुरक्षित काबुल एयरपोर्ट पहुंचाया गया था जिसके बाद आज उन्हें भारत पहुंचा दिया गया है।
सिरसा ने कहा कि गुरुद्वारे के अंदर और आसपास की जगहों पर जो लोग रुके हैं, वे बिल्कुल सुरक्षित हैं और मैं निरंतर उनसे संपर्क में हूं।
जयवीर शेरगिल ने अपने पत्र में कहा है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने अपने हमले बढ़ा दिए हैं, जिस वजह से वहां के लोगों की जान खतरे में है।
सिरसा ने बताया कि अस्पताल में व्यस्कों के लिए 35 आईसीयू बिस्तर और बच्चों के लिए चार आईसीयू बिस्तर होंगे। महिलाओं के लिए अलग से वार्ड भी होगा।
‘न्यूयॉर्क डेली न्यूज’ वेबसाइट की एक खबर के अनुसार, एस्टोरिया के रहने वाले सुमित अहलुवालिया (32) ने कहा कि उन पर हमला करने वाला व्यक्ति नस्ली घृणा से भरा हुआ था। अहलुवालिया ने बताया कि अश्वेत व्यक्ति ने ब्राउन्सविले में उनके कार्यस्थल पर 26 अप्रैल को हमला किया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि यह देश हर सिख पर गर्व करता है। उन्होंने देश के लिए क्या नहीं किया। उनके लिए कुछ लोगों द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा और उन्हें गुमराह करने का प्रयास कभी भी राष्ट्र को लाभ नहीं पहुंचाएगा।
दिल्ली में किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति तो सरकार ने दे दी है, लेकिन अहम प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।
भारत ने धर्मों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने में संयुक्त राष्ट्र के चुनिंदा रुख की आलोचना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा बौद्धों, हिंदुओं और सिखों के खिलाफ बढ़ती नफरत और हिंसा को पहचानने में नाकाम रही है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों की मदद करने में योगदान के लिए हिन्दू, सिख और जैन समुदाय की सराहना की।
पश्चिम बंगाल में एक सिख सुरक्षाकर्मी की पगड़ी खोलने पर पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह ने कड़ी नाराजगी जताई है।
इस्लामिक स्टेट (IS) से संबंधित स्थानीय समूहों की ओर से बढ़ते खतरे के बीच अफगानिस्तान में बचे हुए सिख और हिंदू समुदाय के चंद लोग भी अब इस देश को छोड़ कर निकल रहे हैं।
भारत ने मंगलवार को पाकिस्तान को 'आतंकवाद का केंद्र' बताते हुए कहा कि इस्लामाबाद किसी को अकारण मानवाधिकार पर व्याख्यान न दे क्योंकि उसने लगातार जातीय और हिंदुओं, सिखों और इसाईयों समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया है।
12 सितंबर 1897 को सारागढ़ी की लड़ाई में 21 सिखों ने 10 हजार की संख्या में अफगान की सेना को धूल चटा दी थी। इस जंग ने कुर्बानी और वीरता की एक नई कहानी लिखी थी।
अफगानिस्तान में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की संख्या महज 700 रह गई है, जो कि 1970 के दशक में लगभग 7,00,000 थी।
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