Thursday, May 16, 2024
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इस्लाम के 4 तथ्य जिन्हें पढ़कर हर कोई हो जाता है दंग

इस्लाम इन दिनों मीडिया में सुर्ख़ियां बटोर रहा है लेकिन किसी वजह से नहीं बल्कि आतंकवाद की वजह से। ISIS, अल-क़ायदा और बोकोहरम जैसे जैसे आतंकी हमलों से बेगुनाहों का ख़ून बहाते जा रहे हैं

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: January 09, 2016 18:02 IST
quran- India TV Hindi
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इस्लाम इन दिनों मीडिया में सुर्ख़ियां बटोर रहा है लेकिन किसी वजह से नहीं बल्कि आतंकवाद की वजह से। ISIS, अल-क़ायदा और बोकोहरम जैसे जैसे आतंकी हमलों से बेगुनाहों का ख़ून बहाते जा रहे हैं वैसे-वैसे इस्लाम को लेकर लोगों की घ़लत धारणाओं को बल भी मिलता जा रहा है। इस्लाम के प्रति लोगों की अज्ञानता में इन हमलों ने आग में घी का काम किया है। इसकी वजह से ग़ैर-मुस्लिम देशों में मुस्लिम समुदाय को नफ़रत और भय का माहौल झोलना पड़ रहा है।

हम यहां आपको बताने जा रहे 4 ऐसे तथ्य जिनको लेकर लोगों की ग़लत धारणा बनी हुई है।

1. इस्लाम धर्म सिर्फ़ पूर्वी देशों तक सीमित था

ये आम धारणा है कि इस्लाम धर्म काफी लंबे समय तक पश्चिम देशों में आया ही नहीं था और ये सिर्फ पूर्वी देशों तक ही सीमित था। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। इस्लाम शताब्दियों से यूरोपीय इतिहास का केंद्रीय हिस्सा रहा है। स्पेन में स्पेनिश संगठनों द्वारा उखाड़ फ़ेंके जाने के पहले 700 सालक तक मुस्लिम शासन रहा। दक्षिणपूर्व (बाल्कन) देशों में भी भारी संख्या में मुसलमानों की मौजूदगी रही है और आज भी है। स्कॉलर डेविड अबुलाफ़िया के अनुसार ''मध्यकालीन यूरोप और इस्लाम के बीच संबंधों के इतिहास को दो दुनिया के संबंध के इतिहास के रुप में देखना बुनियादी ग़लती होगा।

एक अन्य स्कॉलर तारिक़ रमज़ान का कहना है कि यूरोप में रहने वाले मुसलमानों को विदेशी की तरह देखना बंद करना चाहिये। “ नागरिकता के लिहाज़ से मैं स्विस हूं, मेरी संस्कृति यूरोपीय है, मेरी विरासत मिश्र है, धर्म के लिहाज़ से मैं मुसलमान हूं और मेरे सिद्धांत सार्वभौमिक हैं।”

2. आत्मघाती हमलावर शहीद नहीं पापी हैं

बदन पर बारुद बांधकर बेगुनाहों को मारना इस्लाम में अपराध है। ये विडंबना ही है कि कुछ लोग इस  कृत्य को सही ठहराते हैं। वे दरअसल एक नहीं दो पाप कर रहे होते हैं। लगभग सभी मुस्लिम स्कॉलर्स ने आत्मघाती हमलों को ग़ैर-इस्लामिक बाताया है। 2013 में अफ़ग़ान सरकार ने एक सेमीनार किया था जिसमें सऊदी अरब के प्रमुख मुफ़्ती सहित सभी स्कॉलरों ने इस कृत्य की आलोचना की थी।

मशहूर स्कॉलर रॉबर्ट पैप ने अपनी किताब डाइंग टू विन: द स्ट्रेटेजिक लॉजिक ऑफ़ सुसाइड टेरोरिज़्म, में लिखा है कि आत्मघाती हमला करने वाले धर्म से नहीं बल्कि राजनीतिक और राष्ट्रवाद के उद्देश्य से प्रेरित रहते हैं। पैप का ये भी कहना है कि आत्मघाती हमले के तरीक़े सिर्फ़ मुसलमानों ने ही नहीं बल्कि श्रीलंका में तमिल टाइगर्स और टर्की में PKK नेभी अपनाएं हैं।

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