Friday, April 26, 2024
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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा, अशरफ गनी ने छोड़ा देश

अल-जजीरा चैनल पर प्रसारित वीडियो फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 16, 2021 6:54 IST
वीडियो फुटेज में...- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA वीडियो फुटेज में तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन में दिखे

काबुल: अल-जजीरा चैनल पर प्रसारित वीडियो फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है। तालिबान के अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने की उम्मीद है और वह देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम देगा। बीस साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) एस्टोनिया और नॉर्वे के अनुरोध पर अफगानिस्तान की स्थिति पर सोमवार को आपात बैठक करेगी। परिषद के राजनयिकों ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस परिषद के सदस्यों को राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद के ताजा हालात से अवगत कराएंगे।

अशरफ गनी ने छोड़ा देश

गौरतलब है कि रविवार सुबह काबुल पर तालिबान लड़ाकों की दस्तक के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया। वहीं देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, हालांकि काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानें बंद होने के कारण लोगों की इन कोशिशों को झटका लगा है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार, अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से शेष कर्मचारियों को व्‍यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है। हालांकि, उन्होंने जल्दीबाजी में अमेरिका के वहां से निकलने के आरोपों को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह वियतनाम की पुनरावृत्ति नहीं है।

एबीसी चैनल के ‘द वीक’ पर रविवार को ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हमारे लोग परिसर को छोड़ रहे हैं और हवाईअड्डा जा रहे हैं।’’ उन्होंने इसकी पुष्टि भी की कि अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी परिसर खाली करने से पहले दस्तावेज और अन्य सामग्री को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ‘‘यह बहुत सोच-समझकर और सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। यह सबकुछ अमेरिकी बलों की उपस्थिति में हो रहा है, जो वहां हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।’’

काबुल स्थिति अमेरिकी दूतावास खाली करने के क्रम में रविवार को परिसर से सैन्य हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भरते रहे। नागरिक इस भय से देश छोड़ना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे। नागरिक अपने जीवन भर की बचत को निकालने के लिए नकद मशीनों के बाहर खड़े हो गए। वहीं काबुल में अधिक सुरक्षित माहौल के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को छोड़कर आए हजारों की संख्या में आम लोग पूरे शहर में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए दिखे।

अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अफगानिस्तान को इस मुश्किल स्थिति में छोड़कर देश से चले गए हैं। अल्लाह उन्हें जवाबदेह ठहराएं।’’ अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा।

काबुल का तालिबान के नियंत्रण में जाना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था। ओसामा को तब तालिबान सरकार द्वारा आश्रय दिया गया था। एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका। हालांकि इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया। अमेरिका वर्षों से, युद्ध से बाहर निकलने को प्रयासरत है।

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