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नेपाल में आगजनी और हिंसा से बिगड़े हालात, देश भर में हुए जेल ब्रेक कांड में 13572 कैदी फरार

नेपाल में हालात बिगड़े हुए हैं। इस बीच खबर है कि नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान देश भर में हुए जेल ब्रेक कांड में 13572 कैदी फरार हुए हैं। नेपाल में हालत को देखते हुए सेना को आगे आना पड़ा है।

Reported By : Nitish Chandra Written By : Rituraj Tripathi Published : Sep 10, 2025 12:37 pm IST, Updated : Sep 10, 2025 06:48 pm IST
Nepal violence- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK/AP जेलों से करीब 6 हजार कैदी फरार, नेपाल के राष्ट्रपति का जल रहा आवास

काठमांडू: नेपाल में सरकार के खिलाफ जेन-जी के प्रदर्शन के बाद भड़की हिंसा से हालात बिगड़ गए हैं। अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शनकारियों का गुस्सा खत्म नहीं हुआ है और प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। नेपाल में जगह-जगह इमारतें जली हुई हालत में दिख रही हैं और उनसे धुआं निकल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने तमाम सरकारी ऑफिसों और उनमें रखे अहम दस्तावेजों को तबाह कर दिया है। ऐसे में अब नेपाल में सेना ने कमान अपने हाथ में ले ली है और पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया है।

13572 कैदी फरार

नेपाल में भड़की हिंसा के बीच एक बड़ी खबर ये है कि नेपाल जेलों से बड़ी संख्या में कैदी फरार हो गए है। नेपाल पुलिस की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में हुए जेल ब्रेक कांड में 13572 कैदी फरार हुए हैं। इसमें अकेले कास्की से 773 कैदी और नवलपरासी जेल से 500 कैदी फरार हुए हैं। चितवन से 700 कैदी, कैलाली से 612 कैदी, जलेश्वर से 576 कैदी फरार हुए हैं। नेपाल की इन जेलों से फरार कैदियों की लिस्ट भी सामने आई है। ऐसे में ये मामला भी चिंता का विषय है कि फरार कैदी देश की सुरक्षा में बाधा बन सकते हैं। इसमें ये चिन्हित कर पाना भी मुश्किल है कि कौन सा कैदी कितना खतरनाक है। 

Nepal

Image Source : REPORTER INPUT
नेपाल की जेल से भागे कैदियों की लिस्ट

नेपाल में क्यों शुरू हुआ प्रदर्शन?

नेपाल में हालिया प्रदर्शन मुख्य रूप से सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, और एक्स) पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के विरोध में शुरू हुए थे। यह प्रतिबंध सरकार ने इसलिए लगाया था क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल सरकार के साथ पंजीकरण की सात दिन की समयसीमा का पालन नहीं किया था। सरकार का तर्क था कि यह कदम अनियंत्रित कंटेंट, फर्जी खबरों, और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए जरूरी था। हालांकि, प्रदर्शनकारी, खासकर जेन-जी युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना। उनका आरोप था कि सरकार भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है । इसके बाद प्रदर्शन काठमांडू से शुरू होकर देश के अन्य शहरों में फैल गया, और इसने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें पुलिस के साथ झड़पें हुईं। इन झड़पों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए।

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