Saturday, April 20, 2024
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बदला जंग का तरीका, लड़ाकू विमानों की जगह ले रहे जंगी Drone, रूसी ड्रोन ने मार गिराया यूक्रेन का फाइटर जेट

तुर्की और ईरानी ड्रोन से तबाही के कई उदाहरण हाल के समय में देखने को मिले हैं। रूस और यूक्रेन की जंग में भी ड्रोन के इस्तेमाल से तबाही के उदाहरण देखने को मिले हैं। यही नहीं, आर्मीनिया और अजरबेजान के संघर्ष में भी ड्रोन की अहम भूमिका सामने आई है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: March 31, 2023 23:46 IST
बदला जंग का तरीका, लड़ाकू विमानों की जगह ले रहे जंगी Drone, रूसी ड्रोन ने मार गिराया यूक्रेन का फाइटर- India TV Hindi
Image Source : FILE बदला जंग का तरीका, लड़ाकू विमानों की जगह ले रहे जंगी Drone, रूसी ड्रोन ने मार गिराया यूक्रेन का फाइटर जेट

दुनिया में समय के साथ जंग का तरीका भी बदल रहा है। पहले टैंक और जंगी जहाजों के बल पर युद्ध लड़े और जीते जाते थे। वैसे तो बड़े पैमाने पर जंग में ये अभी भी उपयोग में लिए ही जाते हैं, लेकिन खास बात यह है कि अब अत्याधुनिक हथियारों से लैस जंगी फाइटर जेटी की तुलना में काफी छोटे ड्रोन भी बड़े ही घातक और मारक साबित हो रहे हैं। तुर्की और ईरानी ड्रोन से तबाही के कई उदाहरण हाल के समय में देखने को मिले हैं। रूस और यूक्रेन की जंग में भी ड्रोन के इस्तेमाल से तबाही के उदाहरण देखने को मिले हैं। यही नहीं, आर्मीनिया और अजरबेजान के संघर्ष में भी ड्रोन की अहम भूमिका सामने आई है। यूक्रेन जहां ड्रोन की सहायता से युद्ध कर रहा है, वहीं रूस भी घातक ड्रोन का सहारा जंग में ले रहा है। ऐसे ही एक मामले में हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि यूक्रेनी पायलेट जो जंगी सुखोई उड़ा रहे थे, वे रूस के खतरनाक ड्रोन के हमले में मारे गए थे। 

रूस-यूक्रेन युद्ध और आर्मीनिया-अजरबैजान संघर्ष में ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। दावा किया जा रहा है कि ड्रोन ने युद्ध की दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिसमें ड्रोन के हमलों ने दुश्मन सेना को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। एक्सपर्ट्स की चिंता है कि कहीं सशस्त्र ड्रोन लड़ाकू विमानों की जगह तो नहीं ले रहे हैं। दरअसल, आधुनिक ड्रोन लड़ाकू विमानों का एक प्रभावी विकल्प हो सकते हैं। ये लड़ाकू विमानों की तुलना में सस्ते होते हैं और इनका ऑपरेशन कॉस्ट काफी कम होता है। इनके नष्ट होने से न तो आर्थिक रूप से भारी नुकसान होता है और ना ही कोई जनहानि होती है।

रूस ने ड्रोन से मार गिराया यूक्रेनी लड़ाकू विमान

कुछ दिनों पहले एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक यूक्रेनी पायलट एविएशन स्क्वाड्रन कमांडर मेजर डेनिस किरिलुक 27 मार्च की रात रूसी हमले में मारे गए थे। उनके सुखोई एसयू 27 लड़ाकू विमान को ईरानी शहीद 136 ड्रोन ने मार गिराया था। यूक्रेन ने आधिकारिक तौर पर इस खबर की पुष्टि तो की, लेकिन यह नहीं बताया कि यूक्रेनी लड़ाकू विमान को ड्रोन से कैसे नष्ट किया गया।

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना

इससे पहले पिछले साल यूक्रेनी मिग 29 उड़ा रहे एक पायलट ने स्टैक्ड 136 कामिकेज़ ड्रोन के झुंड को मारने के लिए हवाई लड़ाई शुरू की थी। पायलट ने सभी ड्रोन को मार भी गिराया, लेकिन यह लड़ाई विमान के लिए घातक साबित हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, उनमें से एक ड्रोन का मलबा तेजी से मिग.29 से टकराया और वह जमीन पर आ गिरा। गनीमत रही कि पायलट समय पर लड़ाकू विमान से इजेक्ट हो गया, जिससे उसकी जान बच गई।

उधर, रूस के खिलाफ चल रहे युद्ध से सबक लेते हुए यूक्रेन के एक सरकारी अधिकारी ने दावा किया है कि उनके देश की सेना के पास अब भी 3000 किलोमीटर तक मार करने वाले हजारों हमलावर ड्रोन हैं।

आर्मीनिया-अजरबैजान संघर्ष बना टर्निंग पॉइंट

2020 में आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच भीषण संघर्ष हुआ था। उस समय अजरबैजानी ड्रोन ने 44 दिनों तक चले संघर्ष के दौरान नागोर्नो-काराबाख में आर्मीनियाई सेना को कई गहरे जख्म दिए थे। अजरबैजान के ड्रोन ने आर्मनिया के तोपखाने, टैंक, एयर डिफेंस सिस्टम और सैन्य ठिकानों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था। ये हमले इतने कारगर रहे कि आर्मीनियाई सेना कभी भी उबर नहीं सकी। इसी युद्ध के कारण दुनियाभर के देशों में ड्रोन को लेकर नई रणनीति बनाई जाने लगी थी। इससे पहले किसी भी देश की सेना ड्रोन को युद्धक हथियार के तौर पर नहीं देखती थी।

आखिर ड्रोन का उपयोग इतना फायदेमंद क्यों?

आधुनिक युद्धक ड्रोन लड़ाकू विमानों की तुलना में कई तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। खासतौर पर इनके इस्तेमाल से लड़ाकू विमानों के पायलटों की कीमती जान बचाई जा सकती है। ड्रोन न केवल युद्ध में प्रभावी भूमिका निभाते हैं, बल्कि इस्तेमाल करने वाले देश को व्यापक जनहानि से भी बचाते हैं। इनके इस्तेमाल से लड़ाकू विमान की तुलना में खर्च भी काफी कम आता है। महंगे पायलट ट्रेनिंग की कोई आवश्यकता नहीं होती है। आसानी से कहीं भी तैनाती की जा सकती है।

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