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मेडिकल साइंस का चमत्कार! दुनिया में पहली बार Gene-Editing Treatment से हुआ बच्चे का इलाज

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने एक बार फिर करिश्मा कर दिखाया है। एक गंभीर आनुवंशिक रोग से पीड़ित बच्चे केजे मुलडून को जीन एडिटिंग तकनीक के माध्यम से सफल इलाज देकर नया जीवन दिया गया है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : May 16, 2025 2:46 IST, Updated : May 16, 2025 2:46 IST
केजे मुलडून (बच्चा) डॉ किरण मुसुनुरु (M) डॉ रेबेका अहरेंस-निकलास (R)
Image Source : न्यूयॉर्क टाइम्स केजे मुलडून (बच्चा) डॉ किरण मुसुनुरु (M) डॉ रेबेका अहरेंस-निकलास (R)

World First Gene-Editing Treatment: केजे मुलडून का जन्म होने के कुछ ही मिनटों के भीतर डॉक्टरों को पता चल गया कि कुछ गड़बड़ है। समय से पांच सप्ताह पहले उसके हाथ उठाने पर अकड़ जाते थे और वापस नीचे आते समय अजीब तरह से हिलते थे। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के एक डॉक्टर ने संभावित कारणों की जांच करते हुए पाया कि केजे का अमोनिया का स्तर चार्ट से बाहर था। इसके बाद बच्चे को फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया।

केजे की समस्या

दरअसल, केजे मुलडून का शरीर अमोनिया को साफ नहीं कर सकता था, जो तब बनता है जब शरीर भोजन से प्रोटीन को ऊर्जा में बदलता है। स्वस्थ लोगों की तरह इसे पेशाब से बाहर निकालने में सक्षम ना होने के कारण, अमोनिया जमा हो गया और पहले उसके मस्तिष्क और फिर उसके पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा।

केजे की मां निकोल ने उस पल को किया याद

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, केजे के जीवन के दूसरे दिन तक उसके माता-पिता काइल और निकोल को घबराए हुए थे। काइल ने उस पल को याद करते हुए कहा, "मैंने मृत्यु या गंभीर रूप से विकासात्मक विकलांगता के बारे में सुना।" निकोल ने 12 मई को पत्रकारों के साथ बातचीत में यह बता कही थी। निकोल ने कहा अब वह 9 महीने बाद मुस्कुरा रहा है, बिना किसी सहायता के बैठ रहा है और खुशी से एवोकाडो खा रहा है। उसने अब तक अपने रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं और बाधाओं को हरा दिया है। वह हमारी उम्मीदों से बढ़कर है।

जीन थेरेपी से हो रहा है इलाज

निकोल ने कहा कि यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि केजे का इलाज जीन थेरेपी के जरिए हो रहा है। उसके लिवर की कोशिकाओं में जीन को संपादित किया जाता है। ऐसा उसके लिवर की कुछ कोशिकाओं में आनुवंशिक गलती को ठीक करने के मकसद से किया जाता है। जीन थेरेपी से केजे का शरीर CPS1 नाम का एंजाइम बनाने में सक्षम हो जाता है, जो प्रोटीन को तोड़ने के लिए आवश्यक है। केजे का अमोनिया स्तर अब सामान्य के काफी करीब है। 

'अभी केजे को लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी'

फिलहाल, डॉक्टरों का कहना है कि केजे को ठीक कहना या यह बताना कि उसका बाकी जीवन कैसा होगा, अभी बहुत जल्दी है। लेकिन वह निश्चित रूप से उस समय से बेहतर स्थिति में है। केजे की मां निकोल कहती हैं कि "उसे उन मील के पत्थरों तक पहुंचते देखना जो किसी भी शिशु के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, हमें और भी अधिक चौंका देता है।'' निकोल कहती हैं कि हम जानते हैं कि हमने क्या देखा था और कितना बुरा हो सकता था। 

पहले से ही डॉक्टर कर रहे थे कोशिश 

वैसे यहां यह जानना भी जरूरी है कि केजे के जन्म से पहले, पेन के डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की एक टीम ऐसे उपचार का परीक्षण करने की कोशिश कर रही थी, जिसे पहले कभी नहीं आजमाया गया था। एक कंपनी के साथ काम करते हुए पेन के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ किरण मुसुनुरु ने पता लगाया था कि लिवर कोशिकाओं में जीन-संपादित कैसे किया जाता है। 2021 में कोरोना महामारी के बाद अपनी प्रयोगशाला में वापस आकर, मुसुनुरु ने फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल में मेटाबोलिक चिकित्सक डॉ रेबेका अहरेंस-निकलास के साथ मिलकर काम किया। इस जोड़ी को उम्मीद थी कि वो मेटाबोलिक समस्याएं जिससे केजे पीड़ित है उसमें कुछ बेहतर कर सकेंगे।

डॉ रेबेका ने क्या कहा?

फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल में मेटाबोलिक चिकित्सक डॉ रेबेका अहरेंस-निकलास कहती हैं, "मेरे पास ऐसे कई मरीज हैं जिनके पास कोई विकल्प नहीं है।" उन्होंने कहा कि मौजूदा दवाएं और आहार अमोनिया के ओवरलोड के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं और लिवर ट्रांसप्लांट से ज्यादातर समस्याएं ठीक हो सकती हैं, लेकिन बच्चे को लंबे समय तक जीना होगा और ट्रांसप्लांट के लिए काफी बड़ा होना होगा। 

डॉक्टरों को नहीं थी उम्मीद

केजे की बीमारी इतनी गंभीर थी कि डॉ रेबेका को यकीन नहीं था कि वह अपने पहले जन्मदिन तक जीवित रह पाएगा या नहीं, या अगर वह जीवित रहा तो उसके मस्तिष्क की क्या स्थिति होगी। केजे के माता-पिता को बताने से पहले मुसुनुरु और अहरेंस ने अध्ययन किया कि क्या वो CRISPR नाम की संपादन तकनीक से उसके विशिष्ट आनुवंशिक उत्परिवर्तन को ठीक कर सकते हैं। 

डॉक्टरों के पास नहीं था समय

कुछ ही हफ्तों के भीतर, मुसुनुरु की प्रयोगशाला में कुछ सफलता मिली। एक तरीका निकाला गया और चूहों पर इसका परीक्षण किया गया। लेकिन, उन्हें अभी भी केजे को ठीक करने के लिए पर्याप्त रिजल्ट नहीं मिल रहे थे। सबसे बड़ी समस्या समय की कमी थी जो डॉक्टरों के पक्ष में नहीं थी। अमोनिया केजे की मस्तिष्क कोशिकाओं पर असर कर रहा था। इसी बीच वैलेंटाइन डे तक डॉक्टरों ने ऐसा तरीका खोज निकाला जो इतना कारगर साबित हुआ कि इलाज संभव नजर आने लगा। 

परिवार ने ले लिया फैसला

केजे के माता-पिता निकोल और काइल के पास विकल्प था कि वो प्रतीक्षा कर सकते थे और उम्मीद कर सकते थे कि दवाइयां इतनी क्षति को रोक सकती हैं कि केजे अपने पहले जन्मदिन तक पहुंच जाए और लिवर प्रत्यारोपण के लिए योग्य हो जाए। या वो जल्दी से जल्दी जीन थेरेपी का विकल्प चुन सकते थे। लेकिन, यह एक ऐसा तरीका था जिसे पहले कभी किसी पर आजमाया नहीं गया था। निकोल और काइल ने फिर वो फैसला लिया जो कभी किसी पर आजमाया नहीं गया था।

सबसे बड़ा दिन

काइल ने कहा कि परिवार के लोगों ने बात की और फिर यह फैसला लिया गया। “हमने प्रार्थना की, लोगों से बात की, जानकारी एकत्र की, अंत में हमने तय किया कि हमें यही रास्ता अपनाना चाहिए।”  इसके बाद 25 फरवरी को पहला इन्फ्यूजन दिन काफी परेशान करने वाला था, खासकर उन कई डॉक्टरों के लिए भी जो इलाज से जुड़े थे। डॉ रेबेका ने कहा, “यह मेरे जीवन के सबसे लंबे दो घंटे थे।” केजे  उस समय लगभग छह महीने का था। 

'दुर्लभ बीमारियों के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मिला रोडमैप'

डॉ पीटर मार्क्स ने केजे के व्यक्तिगत उपचार और उसके विकास की देखरेख की थी, ने कहा, "यहां रोमांचक बात यह है कि यह बहुत दुर्लभ बीमारियों के लिए नया प्रतिमान बन सकता है।"  उन्होंने कहा, "चाहे आप इस बच्चे का इलाज कर रहे हों या किसी और का 99 प्रतिशत एक जैसा ही होगा।" "यह वास्तव में रोमांचक है क्योंकि यह हमें दुर्लभ बीमारियों के क्षेत्र में आगे बढ़ने का रोडमैप दे सकता है।"

क्या बोले माता-पिता

केजे 1 जून को 10 महीने का हो जाएगा। उसके डॉक्टर और परिवार इससे ज्यादा खुश नहीं हो सकते। निकोल ने कहा, "केजे ने बड़े पड़ाव तय किए हैं। मील के पत्थरों का पार किया है तब वो यहां तक पहुंचा है। हमने देखा है कि चीजें काम कर रही हैं।" "जीन संपादन और इन्फ्यूजन के बारे में बात शुरू करने से पहले उनका विचार कुछ और ही थी।" काइल के लिए, उनके परिवार की कहानी "प्रेरणा और भाग्य" की कहानी है। उन्होंने कहा "यह सब होना ही था।" निकोल ने कहा  "सबकुछ ठीक-ठाक रहा है और हमें एक छोटा लड़ाकू लड़का मिला है।" उन्होंने कहा "बच्चे के साथ क्या हो रहा है, इस बारे में खुद को शिक्षित करें, डॉक्टरों से मिलें, सबसे बढ़कर उम्मीद की छोटी किरण को थामे रहें, हार ना मानें। "

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