Friday, May 03, 2024
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"ये वतन जितना मोदी का, उतना ही महमूद का है," जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष ने कही बड़ी बातें; VIDEO

जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कई बड़ी बातें कहीं हैं। मदनी ने कहा कि ये मुल्क सबका है, पीएम मोदी का भी है, महमूद मदनी का भी है।

Reported By : Sanjay Sah Edited By : Swayam Prakash Updated on: February 11, 2023 6:15 IST
जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद का महाअधिवेशन आज से जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के अध्यक्षता में नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में आरंभ हुआ। इसमें जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष  महमूद मदनी ने कई बड़ी बातें कहीं हैं। मदनी ने कहा कि ये मुल्क सबका है, पीएम मोदी का भी है, महमूद मदनी का भी है। मौलाना मोहम्मद असद मदनी ने कहा कि आज का दौर वसूल और हिफ़ाज़त की जंग लादने का दौर है। यह देश सबका है। इस महाधिवेशन का पूर्ण सत्र रविवार को आयोजित होगा जिसमें हजारों की संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। 

"देश जितना मोदी और भागवत का, उतना ही मदनी का"

मदनी ने कहा कि भारत हमारा वतन है, यह वतन जितना नरेंद्र मोदी का है, जितना मोहन भागवत का है, उतना ही मोहम्मद मदनी का है। एक इंच न वो हम से आगे हैं और न एक इंच हम उनसे पीछे हैं। इस्लाम इसी देश का सबसे पुराना धर्म है। मदनी ने कहा कि अदालतें रियासतों की दबाव में काम कर रही हैं। जबरन लालच देकर धर्म परिवर्तन के खिलाफ हम भी हैं, लेकिन आजकल देखा जा रहा है कि समान्य धर्म परिवर्तन पर भी झूठे आरोप लगाकर जेल भेजा जा रहा है।

"ये हिफाजत के लिए जंग लड़ने का दौर"
मौलाना मोहम्मद असद मदनी ने आगे कहा कि आज हमारा देश में नफरत का माहौल है। बेबुनियाद प्रोपेगेंडा फैलाने का काम तेजी से किया जा रहा है और ऐसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट भी छोड़कर कर उनका हौसला अफजाई कर रहा है। उन्हें आजाद छोड़ा जा रहा है जिन्हें देश के लिए हम खतरा समझते हैं। आज का दौर वसूल और हिफाजत के लिए जंग लड़ने का दौर है। मदनी ने कहा कि आज हर तरह की आवाजें उठने लगी हैं। दस्तूर-ए-हिंद में दी गई जमातें बेसुध हैं। इन हालात में अगर स्वामी विवेकानंद, मोहनदास करमचंद गांधी, जवाहरलाल नेहरू और चिश्ती के आदर्शों को मानने वाले नेता इसी तरह तमाशाबीन बने रहे तो नहीं कहा जा सकता कि देश का हश्र क्या होगा। 

"नौजवानों को भड़काने का काम किया जा रहा"
जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि दलितों, पसमांदा मुसलमान और अल्पसंख्यकों को नजरअंदाज करके देश की तरक्की कैसे होगी, यह देश सबका है। यह जज्बाती, इमोशनल सियासत के बजाय यूनाइट होकर शिद्दत से सामाजिक सतह पर मुकाबला करें। मुल्क में भाईचारा और इंसाफ किया जाए। उन्होंने कहा कि नौजवानों को भड़काने का काम किया जा रहा है और उन्हें मायूस करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसलिए हालत से मायूस न हों, न होश का दामन छोडें।

"यह धरती इस्लाम की पैदाइश है"
महमूद मदनी ने कहा कि इस धरती की खासियत यह है कि यह खुदा के सबसे पहले पैगंबर की सरजमीं है। यह धरती इस्लाम की पैदाइश है। यह मुसलमानों का पहला वतन है, इसलिए यह कहना, यह समझना, यह बोलना कि इस्लाम बाहर से आया हुआ मजहब है, यह सरासर गलत है, यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। इस्लाम मुल्क का सारे धर्मों में सबसे पुराना मजहब है। इसलिए मैं वादा करता हूं भारत हिंदी मुसलमानों के लिए और बाकी देशों से सबसे अच्छी जगह है। 

"अगर मुल्क का निजाम बिगड़ जाएगा तो..."
लेकिन इसके साथ ही ऐसी हकीकत को जानना भी जरूरी है कि अपने ही वतन में रहने का एक सिस्टम है अगर वह सिस्टम निजाम दुरुस्त है तो इस मुल्क के बाशिंदों के लिए रहना आसान होगा और वह निजाम बिगड़ जाएगा तो शहरियों की जिंदगी मुश्किल हो जाएगी। इसलिए हमें देखना होगा कि हमारे मुल्क का निजाम कैसा है, इसको चलाने वाले अपने जिम्मेदारियों के प्रति किस तरह से सजग हैं।

"जालिमों, कातिलों, लुटेरों को हम सजा दिलाने में नाकाम"
मदनी ने कहा कि जालिमों, कातिलों, लुटेरों को हम सजा दिलाने में नाकाम हैं, बल्कि बेकसूर लोगों को गिरफ्तार किया जाता है और उन्हें मुद्दतों जेल में रखा जाता है। 20 साल गुजरने के बाद अदालत उन्हें रिहा कर देती है। किसी भी फ़साद होने पर मारे भी मुस्लमान जाते हैं लूटे भी जाते हैं और उल्टा उन्हें ही कसूरवार ठहरा कर सजा दे दी जाती है। बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद अदालतों के किरदार पर सवाल उठाया है। अदालतें कुछ समय से सरकारों के दबाव में काम कर रही हैं।  

"धर्म की आजादी बुनियादी हक है"
महमूद मदनी ने कहा कि धर्म की आजादी बुनियादी हक है। जबरन, धोखाधड़ी और किसी लालच से धर्म परिवर्तन के हम भी खिलाफ हैं लेकिन देखने में आ रहा है जो खुद धर्म परिवर्तन कर रहे हैं उन्हें भी ज़बर्दस्ती, धोखाधड़ी और लालच के केस में गिरफ्तार किया जा रहा है। एजेन्सी अकालियतों को निशाना बना रही हैं। ऐसे कई उदाहरण सामने हैं, जैसे नमाज़ पर पाबंदी, पुलिस की कारवाई, बुलडोजर की कारवाई।

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