Wednesday, December 11, 2024
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बिहार में मगध-शाहाबाद के इलाके में NDA की हार के कारण आए सामने, पवन सिंह भी रहे एक बड़ी वजह

मगध-शाहाबाद इलाके की कई सीटों पर NDA को वैसे नतीजे नहीं मिले जैसी कि उसको उम्मीद थी और इसके कई कारणों में से एक पवन सिंह के काराकाट से चुनाव लड़ने के फैसले को बताया गया।

Reported By : Nitish Chandra Edited By : Vineet Kumar Singh Published : Jun 12, 2024 23:46 IST, Updated : Jun 13, 2024 6:27 IST
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Image Source : PTI FILE मगध-शाहाबाद के इलाके में NDA की हार की वजहों में पवन सिंह भी शामिल रहे।

पटना: बिहार में NDA का प्रदर्शन भले ही संतोषजनक रहा हो लेकिन मगध-शाहाबाद इलाके की कई सीटों पर उसे अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। बीजेपी के विस्तारकों की राय मानें तो इस इलाके में NDA के प्रत्याशियों को JDU का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ और इसकी एक बड़ी वजह पूर्व बीजेपी नेता और भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह का काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना भी रहा। पार्टी के विस्तारकों का कहना है कि इस इलाके में NDA के खराब प्रदर्शन की दूसरी बड़ी वजह प्रत्याशियों के रवैये के कारण बीजेपी कार्यकर्ताओं की उदासीनता भी रही। उनके मुताबिक, कार्यकर्ताओं ने वोटरों को बूथ तक लाने में उत्साह ही नहीं दिखाया।

7वें चरण की 8 में से 6 सीटें हारी थी बीजेपी

बता दें कि 7वें चरण की 8 सीटों में NDA के 6 प्रत्याशी चुनाव हार गए थे। उनमें बीजेपी की पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, JDU की जहानाबाद और उपेंद्र कुशवाहा की काराकाट सीटें शामिल हैं। वहीं, पहले चरण के चुनाव में भी बीजेपी इस इलाके की औरंगाबाद सीट पर भी हार गई। बीजेपी की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री  विजय सिन्हा, प्रदेश संगठन महामंत्री भीखू भाई दलसानिया, बक्सर एवं सासाराम में चुनाव हारने वाले बीजेपी के प्रत्याशियों क्रमश: मिथिलेश तिवारी और शिवेश राम के अलावा कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे।

पवन सिंह ने कई सीटों पर डाला असर

विस्तारकों के मुताबिक, काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पवन सिंह को लेकर RJD की तरफ से यह अफवाह फैलाई गई कि बीजेपी ही पवन सिंह को लड़ा रही है। इस कारण कुशवाहा समाज नाराज हो गया और NDA प्रत्याशियों को पूरे शाहाबाद क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ा। बिहार BJP की ओर से बुधवार को प्रदेश मुख्यालय में बुलाई गई बैठक में लोकसभा एवं विधानसभा विस्तारकों ने इस सच्चाई से प्रदेश नेतृत्व को अवगत करा दिया। विस्तारकों ने NDA प्रत्याशियों की हार का कारण गठबंधन दलों का वोट ट्रांसफर नहीं होना बताया है। 

विस्तारकों की राय क्यों होती है जरूरी?

बता दें कि विस्तारक पार्टी के लिए कार्यकर्ताओं के बीच काम करते हैं। प्रत्येक विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र में एक एक विस्तारक होते हैं जो पार्टी के खुफिया एजेंट की तरह काम करते हैं। विस्तारकों द्वारा दिए गए इनपुट पर पार्टी विश्लेषण करती हैं और अपनी रणनीति तैयार करती हैं।

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