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इस राज्य में कक्षा 10 तक के बच्चों को पढ़ाई जाएगी संविधान की प्रस्तावना, सरकार ने लिया फैसला

देश के राज्य केरल में पहली बार कक्षा एक से लेकर कक्षा 10 तक बच्चों को संविधान के बारे में पढ़ाया जाएगा। सरकार ने इसको लेकर घोषणा की है। सरकार के सूत्रों ने कहा कि अगले एकडेमिक ईयर से ये बच्चों के सिलेबस में जुड़ जाएगा।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 17, 2024 18:58 IST, Updated : Jan 17, 2024 18:58 IST
Preamble of the Constitution- India TV Hindi
Image Source : CONSTITUTION OF INDIA Preamble of the Constitution

इस समय देश में राम मंदिर की उद्घाटन की चर्चा जोरों पर है। दूसरी तरफ केरल राज्य में सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने फैसला लिया है कि राज्य के इतिहास में पहली बार, केरल के स्कूलों में बच्चों को देश के संविधान की प्रस्तावना पढ़ाई जाएगी। सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार ने बच्चों के मन में संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए कक्षा 1 से 10 तक की किताबों में संविधान की प्रस्तावना को शामिल करने का फैसला लिया है।

173 नई पाठ्यपुस्तकों को मंजूरी

राज्य शिक्षा मंत्री व स्टेट करिकुलम कमेटी के अध्यक्ष वी शिवनकुट्टी, ने बीते दिन इस महत्वपूर्ण फैसले की घोषणा की। स्टेट कर्कुलम कमेटी स्टीरिंग कमेटी ने हाल ही में एक दशक के बाद लागू किए गए पाठ्यक्रम सुधारों के हिस्से के रूप में कक्षा I, III, V, VII और IX के लिए 173 नई पाठ्यपुस्तकों को मंजूरी दी है। शिवनकुट्टी ने कहा, "यह पहली बार है कि संविधान की प्रस्तावना को हर पाठ्यपुस्तक की शुरुआत में शामिल और मुद्रित किया गया है।" मंत्री ने कहा कि एलडीएफ सरकार ने शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया है कि दक्षिणी राज्य संवैधानिक मूल्यों को कायम रखते हुए सुधार गतिविधियों को आगे बढ़ाएगा।

प्रस्तावना राज्य में सभी संशोधित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा

स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) के डाइरेक्टर जयप्रकाश आरके ने कहा कि एनसीईआरटी की कई पाठ्यपुस्तकों में पहले से ही संविधान की प्रस्तावना है, लेकिन यह पहली बार है कि केरल इस तरह की पहल के साथ सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावना राज्य में सभी संशोधित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा होगी। शिक्षकों की टेंनिंग में भी इसको हिस्सा बनाया जाएगा। इससे शिक्षकों और छात्रों दोनों को संविधान की प्रस्तावना के मूल को समझने में मदद मिलेगी। यदि पाठ्यपुस्तक मलयालम भाषा में है, तो प्रस्तावना भी मलयालम में होगी। उन्होंने कहा, तमिल पाठ्यपुस्तकों में यह तमिल में और हिंदी पाठ्यपुस्तकों में हिंदी में होगा।

युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करना उद्देश्य

सरकार द्वारा प्रस्तावना को स्कूल की पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा बनाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य युवाओं के बीच संविधान के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह वह समय है जब देश में संविधान और उसके मूल्यों के बारे में व्यापक चर्चा हो रही है और इस कदम से बच्चों को कम उम्र से ही इसके महत्व को समझने में मदद मिलेगी।

शिक्षकों को दी जाएगी ट्रेनिंग

अधिकारी ने आगे कहा, शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने के दौरान संविधान और उसकी प्रस्तावना का अर्थ और संदेश देने के लिए ट्रेनिंग दिया जाएगा। एससीईआरटी डाइरेक्टर ने कहा कि हालांकि निचली कक्षाओं में बच्चों के लिए संविधान की अवधारणा को समझना कठिन हो सकता है, लेकिन वे कम से कम पांचवीं कक्षा तक आते-आते इसकी मूल बातें समझने में सक्षम हो जाएंगे। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, संशोधित पाठ्यपुस्तकें अगले एकेडमिक ईयर के लिए स्कूल फिर से खुलने से कुछ हफ्ते पहले छात्रों तक पहुंच जाएंगी।

(रिपोर्ट- पीटीआई)

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