Sunday, April 28, 2024
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लोगों ने टूटे-फूटे सरकारी स्कूल का इतने लाख जुटाकर कराया पुनर्निर्माण, 15 साल से जर्जर हालत में था विद्यालय

राजस्थान के अलवर जिले में कुछ सरकारी अधिकारियों और प्रवासी भारतीयों के एक समूह ने 15 साल से टूटी-फूट हालत में पड़े एक सरकारी स्कूल के पुनर्निर्माण कराया। इन लोगों वने इसके लिए 18 लाख रुपये जुटाए और उनकी कोशिशों से दो वर्ष में नया स्कूल बनकर तैयार हो गया।

Reported By : PTI Edited By : Akash Mishra Published on: July 02, 2023 14:53 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : FILE प्रतीकात्मक फोटो

राजस्थान के अलवर जिले में कुछ सरकारी अधिकारियों और प्रवासी भारतीयों के एक समूह ने 15 साल से टूटी-फूट हालत में पड़े एक सरकारी स्कूल के पुनर्निर्माण कराया। इन लोगों वने इसके लिए 18 लाख रुपये जुटाए और उनकी कोशिशों से दो वर्ष में नया स्कूल बनकर तैयार हो गया। अधिकारियों के समूह ने शिक्षा की शक्ति में अपने साझा विश्वास और भावी पीढ़ी के जीवन को बेहतर बनाने की इच्छा से प्रेरित होकर यह कदम उठाया। स्थानीय जन प्रतिनिधियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने विद्यालय का उद्घाटन आज किया। 

2021 में शुरू हुआ था काम 

अलवर के दलालपुरा गांव में सरकारी प्राथमिक विद्यालय दशकों से उपेक्षा का शिकार था और जर्जर हालत में पहुंच गया था। टपकती छतें, गिरती दीवारें और अपर्याप्त सुविधाएं छात्रों और शिक्षकों के सामने गंभीर चुनौतियां थीं। आयकर विभाग के अतिरिक्त आयुक्त धीरज जैन ने बताया कि ‘‘यह एक संयोग था कि स्कूल के प्रधानाचार्य ने स्कूल के नवीनीकरण की इच्छा व्यक्त की। हमने इस मामले पर चर्चा की और इसके नवीनीकरण के लिए रुपये जुटाने का फैसला किया। उन्होंने बता.ा कि इस स्कूल का काम मार्च 2021 में शुरू हुआ था और उद्घाटन आज यानी दो जुलाई को किया गया।’’ 

17 लोगों का बराबर का योगदान
इस समूह में जैन अकेले नहीं हैं बल्कि समान विचार रखने वाले करीब 17 लोगों ने इसमें बराबर का योगदान दिया है। इनमें वनपाल जोगेंद्र सिंह चौहान, अलवर के जिला रसद अधिकारी (डीएसओ) जीतेंद्र सिंह नरूका, उपखंड अधिकारी (एसडीओ) दिनेश शर्मा, मुख्य वाणिज्य अधिकारी (सीटीओ) हरिओम मीणा, प्रवासी भारतीय (एनआरआई) राजा वैराष्टक, स्वतंत्र विजय, संघर्ष चतुर्वेदी और भूपेन्द्र सिंह चौहान शामिल हैं। इनके अलावा सत्येन्द्र यादव, अनुराग जैन, प्रमोद शर्मा, हेमन्त यादव, बबली राम जाट, नितेश सोनी और अंशुमन वशिष्ठ ने भी इसमें योगदान दिया। 

'सभी अलवर से ही हैं'
अलवर के जिला रसद अधिकारी (डीएसओ) जीतेंद्र सिंह नरुका ने बताया, ‘‘लगभग 15-20 साल पहले, हम सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। हम सभी अलवर से ही हैं। उनमें से कुछ सिविल सेवक बन गए, जबकि कुछ विदेश चले गए। लेकिन, हम अभी भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और हमने साथ मिल कर यह काम किया।'' स्कूल के प्रधानाचार्य विमल जैन ने बताया कि स्कूल 1968 से अस्तित्व में है। इसे 1985 में दलालपुर गांव में स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद में, ग्राम पंचायत की मदद से तीन कक्षाएं बनाई गईं। 

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