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बॉलीवुड का मशहूर डायरेक्टर, जिसकी फिल्मों में जिंदा नहीं बचते थे हीरो, ये 4 हैं सबूत

बॉलीवुड के एक ऐसे अभिनेता और डायरेक्टर जिसकी फिल्म में हीरो का मरना कंफर्म होता था। जी हां, इनकी बनाई ज्यादातर फिल्मों के आखिरी में लीड हीरो की मौत हो जाती है। तो चलिए जानते हैं कौन हैं ये डायरेक्टर?

Written By: Priya Shukla
Published : Apr 19, 2025 14:16 IST, Updated : Apr 19, 2025 14:16 IST
Feroz Khan
Image Source : INSTAGRAM फिरोज खान।

बॉलीवुड में ऐसे कुछ एक्टर्स और डायरेक्टर्स रहे हैं, जिन्होंने अपनी खासियत से अपने करियर को सफल बनाया। फिरोज खान भी एक ऐसा ही नाम रहे हैं। फिरोज खान अपने चार भाईयों में सबसे बड़े थे। फिरोज खान के साथ उनके अन्य चार भाईयों ने भी फिल्मों में किस्मत आजमाई। उनके छोटे भाई संजय खान को भी सभी जानते हैं। लेकिन, आज हम आपको फिरोज खान की नहीं बल्कि उनकी फिल्मों की एक खासियत के बारे में आपको बताएंगे। दरअसल, फिरोज खान की ज्यादातर फिल्मों का अंत पहले से ही तय होता था। उनकी फिल्मों में ये तय होता था की फिल्म के आखिरी में विलेन के साथ हीरो की मौत होगी।

फिरोज खान की स्टाइल के दीवाने थे लोग 

फिरोज खान एक बेहतरीन डायरेक्टर होने के साथ-साथ शानदार अभिनेता भी थे। एक समय था जब फिरोज खान अपनी वेस्टर्न टाइप फिल्मों के साथ ही अपनी जबरदस्त स्टाइल के के लिए भी खूब मशहूर हुआ करते थे। फिरोज खान को उनके कपड़े, जूते और उनके स्टाइल्स को उस समय यूथ खूब कॉपी किया करता था। उस समय फिरोज खान की फिल्मों में एक खास बात हुआ करती थी, जिसे उनकी खासियत या यूएसपी कहा जा सकता है। ये यूएसपी और कुछ नहीं बल्कि फिल्म में लीड हीरो की मौत है।

फिरोज खान की इन फिल्मों के आखिरी में हुई हीरो की मौत

बता दें कि फिरोज खान ने अपने करियर में जिन फिल्मों का निर्देशन किया उनमें से ज्यादातर फिल्मों में विलेन के साथ हीरो की भी मौत हो जाती है।  साल 1980 में आई फिल्म 'कुर्बानी' उस समय की सुपरहिट फिल्म थी। इस फिल्म में फिरोज खान, विनोद खन्ना, जीनत अमान, अमरीश पुरी और शक्ति कपूर सहित कई और भी कलाकार मुख्य भूमिका में नजर आए थे। इस फिल्म के आखिरी में विनोद खन्ना मर जाते हैं जो इस फिल्म के हीरो थे। साल 1988 की फिल्म 'दयावान', इस फिल्म का हीरो भी फिल्म के आखिरी में मर जाता है। इस फिल्म में हीरो की भूमिका में विनोद खन्ना नजर आए थे। साल 1986 में आई फिल्म 'जांबाज' और साल 1992 में आई फिल्म 'यलगार' में भी यही देखने को मिलता है कि फिल्म के आखिरी में हीरो मर जाता है। 

अपनी भूमिकाओं के लिए मश्हूर 

भारतीय सिनेमा में अपने काम के लिए आज भी फिरोज को जाना जाता हैं। उन्होंने अपने करियर में लगभग 60 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया। फिरोज ने 'आरजू', 'सफर', 'मेला', 'अपराध', 'काला सोना', 'धर्मात्मा', 'नागिन', 'कुर्बानी', 'जांबाज' और 'वेलकम' जैसी फिल्मों में अपनी शानदार भूमिकाओं से सभी का दिल जीता। वहीं अप्रैल 2009 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

फिरोज खान की डेब्यू फिल्म

फिरोज खान ने 1960 में अपने करियर की शुरुआत की थी। ये फिल्म थी 'दीदी'। इस फिल्म में फिरोज का छोटा सा किरदार था। इस फिल्म का नाम है 'हम सब चोर है'। इसके बाद वो जमाना और बड़े सरकार जैसी फिल्मों में सेकंड लीड की भूमिका में नजर आए।  बतौर लीड एक्टर उनकी पहली फिल्म 'घर की लाज' थी इस फिल्म में उनके अपोजिट निरूपा रॉय ने भूमिका निभाई थी। फिल्म 'ऊंचे लोग' उनके करियर की पहली हिट फिल्म थी।

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