Thursday, May 02, 2024
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Explainer: दिल वालों की दिल्ली का घुट रहा दम, वायु प्रदूषण से शहर बना गैस चेंबर, जानें प्रदूषण के कारण व बचाव के उपाय

दिल्ली गैस चेंबर बन चुकी है। स्मॉग में सांस लेना मुश्किल हो चुका है। एक्यूआई 488 पहुंच चुका है लेकिन अब भी इससे राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में ये जानना अहम है कि प्रदूषण क्या केवल पराली जलाने से होता है या कुछ अन्य कारण भी हैं।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Updated on: November 06, 2023 14:22 IST
Delhi became gas chamber due to heavy air pollution disadvantages and preventive measures what gover- India TV Hindi
Image Source : PTI दिल्ली वायु प्रदूषण के कारण और बचाव के तरीके

वायु प्रदूषण और स्मॉग की चादर में लिपटी दिल्ली का दम घुटने लगा है। स्मॉग के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, वहीं कई लोग इससे गंभीर बीमारियों के शिकार भी हो सकते हैं। आमतौर पर लोग कहते हैं कि पराली जलाने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण हो रहा है। लेकिन केवल पराली ही इस स्मॉग और प्रदूषण का जिम्मेदार है। हम आपको बताएंगे कि इस प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं? वायु प्रदूषण का नुकसान क्या है और इससे कैसे बचा जाए।

क्या होता है स्मॉग?

स्मॉग दो शब्दों smoke and fog यानी धुआं और कोहरा से मिलकर बना है। यह वायु मंडल में मौजूद गैसों और प्रदूषकों के मिश्रण से बनता है। यह मुख्यत: काले या पीले रंग का होता है जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

वायु प्रदूषण के कारण?

  • दिल्ली में वायु प्रदूषण के अहम कारणों में से एक है पड़ोसी राज्यों द्वारा पराली जलाना।
  • एक अनुमान के मुताबिक इन पड़ोसी राज्यों में हर साल 35 मिलियन टन पराली जलाई जाती है। 
  • पराली के अलावा गाड़ियों से निकलने वाले धुएं भी इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • आईआईटी कानपुर के एक रिसर्च के मुताबिक सर्दियों के मौसम में पीएम 2.5 का 20 प्रतिशत हिस्सा गाड़ियों के धुएं से आता है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने भी गाड़ियों से होने वाले उत्सर्जन को वायु प्रदूषण का मुख्य कारण माना है।
  • वायु प्रदूषण फैलाने में पटाखे पहले स्थान पर भले ही न आते हों लेकिन लोगों को यह समझने की जरूरत है कि इससे प्रदूषण होता है।
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में असीमित जनसंख्या भी अलग-अलग प्रकार के प्रदूषणों के लिए जिम्मेदार है।
  • दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर होने वाले निर्माण कार्य, शहरी क्षेत्र में औद्योगिक वेस्ट तथा कचरे का ढेर के कारण भी प्रदूषण होता है।
  • भारत में सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निवेश की कमी, जिस कारण सड़कों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा होती है और वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।
  • सार्वजनिक वाहनों के बदले निजी वाहनों में यात्रा। 
  • जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से भी प्रदूषण होता है। अगर कोयले की बात करें तो कोयले का उपयोग कारखानों चलाने व बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में कई जहरीली गैसे वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं। अधिकांश उद्योग अपने दैनिक कार्यों में जीवश्म ईंधन का ही इस्तेमाल करते हैं। 

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Image Source : INDIA TV
वायु प्रदूषण से कैसे बचें?

वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान?

  • वायु प्रदूषण का नुकसान हर जीवित प्राणी व पेड़-पौधों को होता है। 
  • वायु प्रदूषण के कारण एलर्जी, खांसी, आंख और नाक में जलन की समस्या होती है।
  • गर्भवती महिलाओं तथा पेट में पल रहे बच्चे पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। 
  • अस्थमा के मरीजों के लिए वायु प्रदूषण सबसे बुरा होता है।
  • सांस लेने में दिक्कत और फेंफड़ों के संक्रमण का खतरा बना रहता है। 
  • वायु प्रदूषण के कारण लंग कैंसर की समस्या देखने को मिल सकती है। 
  • वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में रिकेट्स विकसित हो सकता है। 
  • वायु प्रदूषण के कारण Skin Infection, अंधापन का भी खतरा बना रहता है।
  • WHO के मुताबिक भारत सांस की बीमारियों और अस्थमा से होने वाली मौतों के मामले में काफी आगे है।
  • वायु प्रदूषण के कारण अम्लीय वर्षा यानी एसिड रेन होती है जो जीवित प्राणियों समेत ऐतिहासिक भवनों इत्यादि के लिए नुकसानदायक है।

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वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान

प्रदूषण से खुद को कैसे बचाएं?

  • वायु प्रदूषण या स्मॉग की स्थिति में घर से बाहर न निकलें। अगर बाहर जाते हैं तो मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।
  • अगर आप वर्कआउट करना चाहते हैं तो इनडोर जिम का विक्लप बेहतर रहेगा।
  • स्मोकिंग न करें और कचरा न जलाएं।
  • जितना अधिक हो सके पानी का सेवन करें ताकि विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाए।
  • Vitamin C, मैग्नीशियम और ओमेगा फैटी एसिड युक्त फलों का भरपूर सेवन करें।
  • खुले इलाकों में आयोजित समारोहों में जाने से बचें।
  • होटल या रेस्तरां में कोयले की आग पर बन रहे खाने से दूरी बनाएं।
  • फास्ट फूड या जंक फूड के सेवन से बचें।
  • अगर आपको सांस या फेफड़े संबंधित समस्याएं हैं तो डॉक्टर से सलाह लें तथा इन्हेलर हमेशा अपने साथ रखें।
  • डॉक्टरों की मानें तो अैसी स्मॉग की स्थिति में श्वसन संबंधित समस्या किसी को भी हो सकती है। ऐसे में दिक्कत महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • स्टीम बाथ लें या फिर भाप लें ताकि आपके फेफड़े साफ रहें।
  • अगर आप पहले से किसी बीमारी से नहीं जूझ रहे तो काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
  • हरी सब्जियों का सेवन करें।
  • घर की साफ सफाई रखें और हो सके तो घर में एयर प्यूरीफायर बेहतर विकल्प रहेगा।
  • गुड़ का सेवन कर सकते हैं। यह खून और गले को साफ करता है।

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वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकारों को क्या करना चाहिए?

  • सभी राज्य सरकारों के मुख्यमंत्रियों के प्रतिनिधि और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में एक टीम का गठन किया जाना चाहिए, जो प्रदूषण संबंधित मामलों पर त्वरित कार्रवाई कर सके।
  • पराली जलानें पर सभी राज्यों को रोक लगाना चाहिए। बल्कि पराली को नष्ट करने के लिए केमिकल का छिड़काव किया जाना चाहिए।
  • आद्योगिक क्षेत्रों को शहरों से या भीड़भाड़ वाले इलाके से दूर स्थापित किया जाए तथा कारखानों की चिमनियों में फिल्टर का इस्तेमाल अनिवार्य होना चाहिए।
  • जनसंख्या में हो रही बढ़ोत्तरी को कंट्रोल किया जाए ताकि पेड़ों और जंगलों को न काटना पड़े।
  • वायु प्रदूषण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलानी होगी।
  • सरकारें सुनिश्चित करें की समय-समय पर लगातार वाहनों की जांच हो ताकि अधजला धुआं प्रदूषण न फैला सके।
  • चीन के तर्ज पर दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में स्मॉग टावर का निर्माण कराना चाहिए।
  • लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल करें, इसके लिए सरकार को लुभावनी नीतियों का सहारा लेना होगा। 
  • संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी गोल्स को ध्यान में रखकर सरकारों को विकास कार्यों को पूरा करना होगा।

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