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द कॉन्ज्यूरिंग को बड़े पर्दे पर आए एक दशक से ज्यादा हो गया है। लेकिन, इससे पैदा हुआ डर अभी भी गूंज रहा है, खास तौर पर फिलीपींस में तो आज भी लोग इस फिल्म का नाम सुन हैरान हो जाते हैं। 2013 में आई यह फिल्म एक सुपरनैचुरल हॉरर फिल्म है, जिसे 7.5 रेटिंग मिली है।
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यह एड और लॉरेन वॉरेन के वास्तविक जीवन के असाधारण घटना पर आधारित है। इसने न केवल दर्शकों को डरा दिया है, बल्कि सभी हैरान रह गए कि इसे शूट कैसे किया गया होगा। डर इतना तीव्र था कि हर स्क्रीनिंग से पहले कैथोलिक पादरियों को आशीर्वाद देने के लिए सिनेमाघरों में बुलाया गया।
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फिलीपींस के कई सिनेमाघरों ने स्थानीय पादरियों से सहायता मांगी जाती थी। लेकिन, उनकी भूमिका सिर्फ प्रार्थनाओं से कहीं ज्यादा थी। कुछ दर्शकों ने बताया कि फिल्म देखने के बाद उन्हें नकारात्मक उपस्थिति भी महसूस हुई। हालांकि, उन्हें किसी तरह की कोई चोट नहीं आई।
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लोगों ने दावा किया कि उन्हें फिल्म देखने के बाद कुछ भयावह महसूस हुआ, जैसे भयानक ठंड लगना, मन अशांत और यहां तक कि बिना किसी कारण के शारीरिक बेचैनी होने लगी। थिएटर मालिकों को भी बोला गया कि इस फिल्म को देखने के बाद से डर लग रहा है।
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कुछ शहरों में, स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि दर्शकों को बीच में ही थिएटर से बाहर जाना पड़ा। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि फिल्म के अंत में उन्हें लगा कि जैसे उनका मन अशांत है। इसलिए पुजारियों ने शो के बाद दर्शकों को शांत करने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके से मदद करने की कोशिश की, साथ ही साथ आध्यात्मिक सहायता भी देना शुरू कर दिया।
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इसे रिलीज हुए 12 साल हो गए। लेकिन, द कॉन्ज्यूरिंग को अब तक बनी सबसे डरावनी हॉरर फिल्मों में गिना जाता है। जो चीज इसे अलग बनाती है, वह है इसकी सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानी है। कई लोगों के लिए डर का मतलब ही ये फिल्म है। यह फिल्म दुनिया भर में लोगों की रूह कांपने पर मजबूर कर देती है।
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हॉरर कंटेंट से भरी दुनिया में, द कॉन्ज्यूरिंग अभी भी एक भयावह मूवी बनी हुई है। न केवल अपने डर के लिए, बल्कि सिनेमा हॉल में वास्तविक जीवन की आध्यात्मिक आपात स्थिति को जगाने के लिए।