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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फरलो पर फिर जेल से आया बाहर, रिसीव करने पहुंची हनीप्रीत

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम बुधवार को फरलो पर जेल से बाहर आया। वह इस बार सिरसा के डेरे में रहेगा। आज सुबह वह कड़ी सुरक्षा के बीच रोहतक से सिरसा पहुंच गया।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Apr 09, 2025 07:58 am IST, Updated : Apr 09, 2025 08:24 am IST
गुरमीत राम रहीम और हनीप्रीति की फाइल फोटो- India TV Hindi
Image Source : ANI गुरमीत राम रहीम और हनीप्रीति की फाइल फोटो

रोहतकः डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर हरियाणा सरकार एक बार फिर से मेहरबान हुई है। राम रहीम को सरकार ने 21 दिन की फरलो दी है। आज सुबह राम रहीम रोहतक जेल से बाहर आया। राम रहीम को लेने खुद हनीप्रीत पहुंची। जानकारी के अनुसार, राम रहीम इस बार सिरसा डेरे में रहेगा। बताया जा रहा है कि सिरसा पहुंचने पर राम रहीम सिंह ने एक वीडियो संदेश जारी कर अपने अनुयायियों से आग्रह किया कि वे उनके प्रवास के दौरान डेरा न जाएं।

रेप केस में राम रहीम को मिली है सजा

21 दिन की फरलो मंजूर होने के बाद आज सुबह छह बजकर चालीस मिनट पर राम रहीम पुलिस सुरक्षा के बीच अपने सिरसा डेरे के लिए रवाना हुआ। राम रहीम वर्ष 2017 से रोहतक की सुनारिया जेल में दो साध्वियों के साथ रेप और पत्रकार छत्रपति हत्या के मामले में सजा काट रहा है।

इस वजह से मिली फरलो

राम रहीम को फरलो मिलने का आधार सूत्रों से पता चला है 29 अप्रैल को सिरसा डेरे का स्थापना दिवस है। इस अवसर पर डेरे में एक बड़ा आयोजन राम रहीम करने जा रहा है। डेरे के स्थापना दिवस को मनाने को लेकर राम रहीम ने फरलो के लिए अर्जी लगाई थी। जिसको हरियाणा सरकार ने मंजूर करते हुए उसे 21 दिन की फरलो दी है। 

13 बार मिल चुकी है फरलो और पैरोल

इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राम रहीम 30 दिन की पैरोल मिली थी। 13 बार राम रहीम को पेरोल और फरलो मिल चुकी है। पिछले साल अक्टूबर में उनकी 20 दिन की पैरोल हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मिली थी। इसी तरह, अगस्त 2023 में 21 दिन की फरलो और 7 फरवरी, 2022 को दी गई एक और फरलो- पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक दो हफ्ते पहले ने आलोचना को जन्म दिया। 

क्या है पैरोल और फरलो में अंतर

किसी कैदी को फरलो तब दी जाती है जब उसे पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करनी होती है। एक कैदी को साल भर में तीन बार फरलो दिया जा सकता है। कैदी को उसके अच्छे आचरण- व्यवहार को देखकर फरलो दी जाती है। कैदी को फरलो में कोई ठोस वजह बताने की भी जरुरत नहीं पड़ती। वहीं, पैरोल किसी कैदी को बीमारी, विवाह, परिवार के किसी सदस्य की मौत या अन्य पर्याप्त कारणों के आधार पर दी जाती है। पैरोल की अवधि कैदी की सजा में गिनी जाती है।

रिपोर्ट- सुनील कुमार

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