रोटी भारतीय खान-पान का अहम हिस्सा है। हर घर में रोजाना रोटी बनाई जाती है। रोटी के बिना कुछ लोगों का भोजन अधूरा रह जाता है। घर में कितनी प्रकार की चीजें क्यों न बन जाए, कुछ लोगों को रोटी चाहिए ही होती है। ज्यादातर घरों में गेहूं के आटे की रोटी बनाई जाती है। लेकिन इन दिनों मार्केट में मल्टीग्रेन आटा भी खूब बिक रहा है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि मल्टीग्रेन आटा या सादा आटा, लोगों के लिए इन दोनों में से क्या ज्यादा फायदेमंद है। ऐसे में हमने AIIMS के डॉक्टर अमरेंद्र सिंह माल्ही से बात की। यहां जानें क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट।
क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट
डॉक्टर अमरेंद्र सिंह माल्ही का मानना है कि मल्टीग्रेन आटा या सादा आटा के फायदे के बारे में जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि व्यक्ति की सेहत, पाचन क्षमता और वो कैसी डाइट लेता है ये बेहद जरूरी है। हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि स्वस्थ लोगों के लिए सादा गेहूं का आटा भी पर्याप्त है। क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर , प्रोटीन, फैट, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक विटामिन-बी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। लेकिन किसी व्यक्ति का आहार सही नहीं है तो उसके लिए मल्टीग्रेन आटा फायदेमंद साबित हो सकता है। बाजार में मिलने वाले “मल्टीग्रेन” आटे में सिर्फ 5–15% अन्य अनाज होते हैं। जिसकी वजह से शरीर को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता है। वहीं अगर व्यक्ति को पाचन संबंधित समस्या, IBS, ग्लूटेन इंटॉलरेंस या बुज़ुर्गों में अवशोषण की कमी हो, तो बहुत ज्यादा फाइबर वाला आटा नुकसान पहुंचा सकता है।
मल्टीग्रेन आटा या सादा आटा?
एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए सादा गेहूं का आटा सुरक्षित और संतुलित विकल्प है। मल्टीग्रेन आटा तभी फायदेमंद है जब उसमें वैज्ञानिक अनुपात में साबुत अनाज हों और व्यक्ति की सेहत, आयु और पाचन क्षमता को ध्यान में रखकर चुना जाए। डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोग वाले रोगियों में मल्टीग्रेन आटा नियंत्रित मात्रा में लेने लाभकारी हो सकता है, लेकिन इसे भी डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह के बाद ही लें।
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