
प्रेगनेंसी के दौरान मां को अपने और बच्चे की सेहत का खास ख्याल रखना होता है। इस दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोन कम ज्यादा होते हैं जिसका असर सेहत पर भी पड़ता है। प्रेगनेंसी में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, लिवर कोलेस्टेसिस और थायराइड जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी में थायराइड होने बेहद सामान्य है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर दवाएं देते हैं। गर्भावस्था में थायराइड बढ़ना मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है, जिसे कंट्रोल करना जरूरी है। आइये डॉक्टर से जानते हैं प्रेगनेंसी में थायराइड को कैसे कंट्रोल करें?
महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मीरा पाठक के अनुसार, थायराइड हमारी बॉडी को एक ऐसा ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है और गले में स्थित होता है। जो बॉडी के हार्ट रेट, सांस लेने, मसल कंट्रोल, डाइजेशन, वेट गेन इसके अलावा कैल्शियम लेवल्स को मेंटेन करता है। वहीं बच्चों के अंदर ब्रेन का विकास करने में मदद करता है। महिलाओं की बात करे तो उनके मासिक धर्म पर इसका सीधा असर पड़ता है। साथ ही मूड स्विंग्स और एनर्जी लेवल का घट जाना भी थायराइड के कारण होता है। प्रेगनेंसी में थायराइड का खतरा डबल हो जाता है।
प्रेगनेंसी में थायराइड कितना खतरनाक?
डॉक्टर की माने तो थायराइड बीमारी में या तो थायराइड बढ़ जाता है जिसको हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं या फिर थायराइड घट जाता है जिसे हाइपोथायरायडिज्म कहते है। ये दोनों कारण मां और फीटस (भ्रूण) को नुकसान पहुंचाते हैं। फीटस दो से तीन महीनों में अपना थायराइड नहीं बना पाता है जिसकी वजह से भ्रूण थायराइड के लिए मां पर निर्भर होता है। मां पर निर्भर होना के कारण मां का थायराइड बच्चे को प्रभावित करता है। प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में बच्चे का नर्वस सिस्टम, ब्रेन के स्पाइनल कॉर्ड का तेजी से विकास हो रहा होता है। थायराइड होने की वजह से बच्चे के विकास पर सीधा असर पड़ता है।
हाइपोथायरायडिज्म के क्या लक्षण होता है
- वजन बढ़ना
- ठंड ज्यादा लगना
- कॉन्स्टिपेशन
- बालों का झड़ना
- ड्राई स्किन
- याददाश्त कमजोर होना
- मसल्स में क्रेंप्स होना
- मिसकैरेज
- हाई बीपी होना
ये सभी लक्षण दिखने पर थायराइड लेवल की जांच करानी चाहिए।
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
- वजन घटना
- गर्मी लगना
- ज्यादा सोचना
- धड़कन महसूस होना
- बाल टूटना
- पसीना होना
हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म के होने से क्या प्रभाव पड़ता है
- मिसकैरेज
- बच्चे का विकास न हो पाना
- प्रेगनेंट महिला को हाई ब्लड प्रेशर हो जाना
- बच्चे की धड़कन रूक जाना
- प्रीमैच्योर डिलीवरी
प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड को कैसे कंट्रोल करें (How To Control Thyroid In Pregnancy)
- थायराइड का चेकअप पहले ही करा लें
- हाई और लो आने पर टीएसएच लेवल 2.5 से कम होने चाहिए
- 12 हफ्ते की प्रेगनेंसी के बाद टीएसएच लेवल 3 से कम हो
- कंट्रोल करने का लिए दवाई खाएं
- हर महीने में थायराइड का चेकअप कराएं
- सही मात्रा में खाना खाएं और पानी पीएं
- फूल गोभी, बंद गोभी, ब्रेकली को छोड़ दें
- आयोडीन से भरपूर खाना खाएं
- तीखा खाना न खाए
- नॉनवेज खाने वाले मीट, फिश और अंडा पकाकर खाएं
Disclaimer: (इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।)