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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार का फैसला, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

संविधान विशेषज्ञ एजी नूरानी का मानना है कि यह एक ग़ैर-क़ानूनी और असंवैधानिक फ़ैसला है। अनुच्छेद 370 का मामला बिल्कुल साफ़ है। उसे कोई ख़त्म नहीं किया जा सकता है। वो केवल जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के ज़रिए ख़त्म की जा सकती है लेकिन राज्य की संविधान सभा तो 1956 में ही भंग कर दी गई थी। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Aug 07, 2019 01:18 pm IST, Updated : Aug 07, 2019 01:18 pm IST
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार का फैसला, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञों- India TV Hindi
Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार का फैसला, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञों

नयी दिल्ली: जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के लिये संविधान के अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश की वैधानिकता को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी। अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने इस मामले में एक याचिका दायर की है। शर्मा ने राष्ट्रपति के आदेश को गैरकानूनी बताते हुये दावा किया है कि इसे राज्य विधानसभा से सहमति लिये बगैर ही पारित किया गया है। 

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शर्मा संभवत: आज अपनी इस याचिका के बारे में उल्लेख करके इसे शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध करेंगे। केन्द्र ने सोमवार को जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने का प्रस्ताव पेश किया था।

वहीं इस मुद्दे पर संविधान विशेषज्ञों की राय अलग-अलग हैं। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से नहीं हटाया गया है। उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 तीन भागों में बंटा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के बारे में अस्थाई प्रावधान है जिसको या तो बदला जा सकता है या फिर हटाया जा सकता है।

उनका कहना है कि ये सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करता है कि वो इस मामले को सुने या फिर इसे ख़ारिज करे। हालांकि वो कहते हैं कि इस पूरे मामले में राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन उनका मानना है कि जो किया गया है वो संविधान के दायरे में रह कर ही किया गया है।

दूसरी ओर संविधान विशेषज्ञ एजी नूरानी का मानना है कि यह एक ग़ैर-क़ानूनी और असंवैधानिक फ़ैसला है। अनुच्छेद 370 का मामला बिल्कुल साफ़ है। उसे कोई ख़त्म नहीं किया जा सकता है। वो केवल जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के ज़रिए ख़त्म की जा सकती है लेकिन राज्य की संविधान सभा तो 1956 में ही भंग कर दी गई थी। मोदी सरकार उसे तोड़-मरोड़ कर ख़त्म करने की कोशिश कर रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट क्या फ़ैसला करेगी ये तो वही जानती है।

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