Monday, April 29, 2024
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पिछले 5 सालों में 200 से अधिक नौकरशाहों पर लिया गया एक्शन, केंद्रीय मंत्री ने सदन में दिया जवाब

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इन दर्ज मामलों में सबसे अधिक महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र में 39, जम्मू कश्मीर में 22, दिल्ली में 21, उत्तर प्रदेश में 17 और कर्नाटक में 14 नौकरशाहों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai
Published on: August 03, 2023 19:01 IST
Jitendra Singh SAID IN RAJYA SABHA Action taken on more than 200 bureaucrats in the last 5 years- India TV Hindi
Image Source : PTI नौकरशाहों पर एक्शन मामले में केंद्रीय मंत्री ने सदन में दिया जवाब

केंद्रीय जांच एजेंसियों ने दागी अफसरों पर कार्रवाई तेज कर दी है। केंद्र सरकार द्वारा अमूमन दागी अफसरों के खिलाफ एक्शन लिए जाते रहे हैं। लेकिन अब यह कार्यवाही तेज हो गई है। केंद्रीय कार्मिक मंत्री और राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की ओर से पिछले 5 सालों यानी 2018 से 30 जून 2023 तक 216 सिविल अधिकारियों के खिलाफ केस दायर किए गए हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इन दर्ज मामलों में सबसे अधिक महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र में 39, जम्मू कश्मीर में 22, दिल्ली में 21, उत्तर प्रदेश में 17 और कर्नाटक में 14 नौकरशाहों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। 

नौकरशाहों के खिलाफ एक्शन जारी

केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर देते हुए राज्यसभा में बताया कि सीबीआई ने पिछले पांच सालों के दौरान 216 नौकरशाहों पर केस दर्ज किए हैं। उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों के कई अफसरों के खिलाफ भी मामले चल रहे हैं जिनमें बिहार के 12 नौकरशाह, तमिलनाडु के 11 नौकरशाह, गुजरात, केरल और हरियाणा से 9-9 नौकरशाह हैं। वहीं 8-8 नौकरशाह पंजाब, राजस्थान और तेलंगाना से हैं। एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा, 'साल 2018 से जून 2023 तक अलग-अलग नौकरशाहों के खिलाफ 135 केस (रेगुलर केस और प्रिलिमिनरी जांच) दर्ज कर रखे हैं। 

कई नौकरशाहों पर केस दर्ज

उन्होंने कहा, 'इन 135 मामलों में से 57 मामलों में मुकदमें को लेकर संबंधित अदालतों में चार्जशीट तक दाखिल किए जा चुके हैं। इसमें दो ऐसे मामले भी हैं जिसे अभियोजन के मंजूरी का इंतजार है। ये मामले दो साल से लंबित हैं। बता दें कि आज लोकसभा और राज्यसभा में मॉनसून सत्र के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इस दौरान विपक्ष लगातार यह मांग करता रहा कि नियम 267 के तहत मणिपुर मामले पर चर्चा की अनुमति दी जाए। 

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