Monday, May 06, 2024
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मणिपुर में प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का किया उल्लंघन, पुलिस कार्रवाई में 25 से ज्यादा लोग घायल

मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सुरक्षा बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस की कार्रवाई में 25 लोग घायल हो गए।

Niraj Kumar Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published on: September 06, 2023 20:07 IST
मणिपुर में प्रदर्शन करते लोग- India TV Hindi
Image Source : पीटीआई मणिपुर में प्रदर्शन करते लोग

इंफाल : जहां एक ओर सरकार मणिपुर में शांति बहाली की पूरी कोशिश कर रही है वहीं रह-रहकर हिंसा की छिटपुट घटनाओं की खबरें भी आ रही हैं। मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे जिससे 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए। घायलों में ज्यादातर महिलाएं थीं। अधिकारियों ने बताया कि घायलों को इलाज के लिए बिष्णुपुर जिला अस्पताल और आसपास के अन्य अस्पतालों में ले जाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए बिष्णुपुर जिले के ओइनम में सैकड़ों स्थानीय लोग अपने घरों से बाहर आ गए। ये लोग पुलिस और अन्य केंद्रीय बलों के उन जवानों की आवाजाही रोकने के लिए सड़क के बीच में बैठ गए, जो इंफाल से फौगाकचाओ इखाई जा रहे थे। 

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सीओसीओएमआई ने लोगों से बैरिकेड पर धावा बोलने का किया आह्वान 

ये लोग ‘कोआर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी’ (सीओसीओएमआई) के फौगाकचाओ इखाई में सेना के बैरिकेड तोड़ने के आह्वान पर बिष्णुपुर जिले में एकत्रित हुए थे और मांग कर रहे थे कि उन्हें चुराचांदपुर की ओर भेज दिया जाए। अपुनबा मणिपुर कनबा इमा लुप (एएमकेआईएल) के अध्यक्ष लौरेम्बम नगनबी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद तोरबुंग में अपने घरों को छोड़ने वाले सैकड़ों मेइती बैरिकेड के कारण अपने घरों में नहीं जा पाये। हम सिर्फ यह मांग कर रहे हैं कि वे स्थानांतरित किये जाए ताकि लोग अपने घर जा सकें।’’ सीओसीओएमआई ने लोगों से बैरिकेड पर धावा बोलने का आह्वान किया था क्योंकि सरकार ने 30 अगस्त तक बैरिकेड हटाने संबंधी उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया। राज्य सरकार ने मंगलवार को कानून-व्यवस्था के उल्लंघन की आशंका में घाटी के पांच जिलों में अगले आदेश तक पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अवैध हथियारों की बरामदगी पर रिपोर्ट मांगी 

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मणिपुर सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में ‘‘सभी स्रोतों’’ से बने हथियारों की बरामदगी पर स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मणिपुर के मुख्य सचिव के हलफनामे पर भी गौर किया कि आर्थिक नाकेबंदी का सामना कर रहे लोगों के लिए भोजन और दवाओं जैसी बुनियादी वस्तुओं की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है। राज्य के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि राहत शिविरों में चेचक और खसरे का कोई प्रकोप नहीं है जैसा कि याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने आरोप लगाया था

 मणिपुर के मुख्य सचिव ने मोरेह सहित अन्य जगहों पर राशन और आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता और खसरा तथा चेचक के कथित प्रकोप को लेकर एक हलफनामा दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, “मुख्य सचिव ने नौ शिविरों में राशन वितरित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी है। अगर विशिष्ट मामलों के संबंध में कोई और शिकायत बनी रहती है तो इसे जिला प्रशासन के ध्यान में लाया जाना चाहिए। ऐसी किसी भी शिकायत का निपटारा शीघ्रता से किया जाना चाहिए।’’ हथियारों की बरामदगी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “सरकार इस अदालत को एक स्टेट्स रिपोर्ट प्रस्तुत करे। रिपोर्ट केवल इस अदालत को उपलब्ध कराई जाएगी।” 

सुप्रीम कोर्ट ने दिए कई निर्देश 

कई नए निर्देश जारी करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्रीय गृह सचिव को मणिपुर में राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय समिति को उसके कामकाज में मदद करने के लिए विशेषज्ञों के नामों को अंतिम रूप देने में समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल के साथ संवाद करने का निर्देश दिया। पीठ ने राज्य सरकार को एक अधिकारी को नामित करने का भी निर्देश दिया, जिसके साथ समिति अपने काम के सिलसिले में बातचीत कर सके। पीठ ने मणिपुर सरकार को राज्य पीड़ित मुआवजा योजना को नालसा (राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण) योजना के समान बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विवरण देते हुए एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया। 

मामले में पेश होने वाले वकीलों के बारे में मुख्य सचिव द्वारा हलफनामे में किए गए संदर्भ पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘‘शपथपत्र में वकील के बारे में किए गए किसी भी संदर्भ को वकील पर किसी भी टिप्पणी के रूप में नहीं माना जाएगा। हम यह स्पष्ट करते हैं कि अदालत के समक्ष पेश होने वाले वकील अदालत के अधिकारी के रूप में ऐसा करते हैं और इस अदालत के प्रति जिम्मेदार हैं।’’ पीठ ने राज्य सरकार को समिति के लिए पोर्टल बनाने के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया। यह बताए जाने पर कि बड़ी संख्या में शव मुर्दाघर में पड़े हैं और उनका सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार किए जाने की जरूरत है, पीठ ने कहा कि सरकार को फैसला लेना होगा ताकि लावारिस शव से बीमारी न फैले। पीठ ने कहा, ‘‘शवों को हमेशा के लिए मुर्दाघर में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इससे महामारी फैल सकती है।’’ (इनपुट-भाषा) 

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