Saturday, May 04, 2024
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'Supertech Twin Tower': महज 09 सेकंड में ताश के पत्तों की तरह धराशाही हो जाएगी नोएडा की ये 32 मंजिला इमारत, कैसे गिरेगी? जानिए A टू Z सबकुछ

Supertech Twin Tower: नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त को गिराया जाएगा। इस इमारत को गिराने में लगभग 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगेगा। इस टावर की ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार से भी अधिक है। ये टावर भारत की अब तक की सबसे ऊंची इमारतें गिराने वाली बन जाएगी।

Ravi Prashant Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: August 25, 2022 15:39 IST
Supertech Twin Tower- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Supertech Twin Tower

Highlights

  • 28 अगस्त को ध्वस्त स्थल पर केवल 10 मजदुर ही रहेंगे
  • इस एरिया में लगभग 5,000 से अधिक निवासी रहते हैं
  • धूल लगभग 10 मिनट हवा में उड़ेगा

Supertech Twin Tower: नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त को गिराया जाएगा। इस इमारत को गिराने में लगभग 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगेगा। इस टावर की ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार से भी अधिक है। ये टावर भारत की अब तक की सबसे ऊंची इमारतें गिराने वाली बन जाएगी। टावर को गिराने के लिए लगभग-लगभग तैयारी कर ली गई है। इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह के बड़े पैमाने पर ध्वस्त के पर्यावरणीय के लिए खतरा साबित हो सकता है।

सुपरटेक ट्विन टावर कहां स्थित हैं?

ये 40 मंजिला टावर (एपेक्स और सेयेन) नोएडा के सेक्टर 93 ए में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के पास स्थित है। इन दोनों टावरों में 900 से ज्यादा फ्लैट हैं। वे नोएडा, उत्तर प्रदेश में सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा हैं। दोनों टावर एक साथ लगभग 7.5 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र को कवर करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया था आदेश 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस टावर को ध्वस्त का किया जाएगा। कोर्ट ने बताया था कि सुपर टेक ने मानदंडों का उल्लंघन करके इस इमारत को बनाया गया था। एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा पहले एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि निर्माण यूपी अपार्टमेंट अधिनियम 2010 का उल्लंघन था। यह भी कहा गया था कि उनके निर्माण ने न्यूनतम दूरी की आवश्यकता का उल्लंघन किया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने टावरों को गिराने का आदेश दिया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि यूपी अपार्टमेंट अधिनियम के तहत आवश्यक व्यक्तिगत फ्लैट मालिकों की सहमति के बिना उन्हें अवैध रूप से बनाया गया था।

किस तरह से ध्वस्त किया जाएगा ये टावर 
मुंबई स्थित एडिफिस इंजीनियरिंग और उनकी दक्षिण अफ्रीकी साझेदार फर्म जेट डिमोलिशन सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने का काम करेंगे। इम्प्लोजन तकनीक से इमारतों को तोड़ा जाएगा। इमारत में लगभग 3,700 किलोग्राम विस्फोटक डाला गया है। परियोजना के विवरण के अनुसार, एपेक्स टॉवर में 11 मुख्य ब्लास्ट फ्लोर हैं, जहां फर्श के सभी स्तंभों में विस्फोटक फिक्स्ड और ब्लास्ट किए जाएंगे और सात माध्यमिक मंजिलें, जहां 60 प्रतिशत कॉलम ब्लास्ट किए जाएंगे। इस टावर को गिराने में करीब 09 सेकेंड लगेगा। इमारत गिराने वाली फर्म एडिफिस इंजीनियरिंग के पार्टनर उत्कर्ष मेहता ने पीटीआई के हवाले से कहा कि "एक श्रृंखला में सभी विस्फोटकों को विस्फोट किए जाएंगे इसमें में 9 से 10 सेकंड का समय लगेगा।" उन्होंने आगे बताया कि, "विस्फोटों के बाद संरचनाएं एक बार में नीचे नहीं आएंगी और पूरी तरह से नीचे आने में चार से पांच सेकंड का समय लगेगा," उन्होंने कहा कि धूल लगभग 10 मिनट हवा में उड़ेगा। उस समय आसपास के इलाकें में पूरा अंधेरा हो जाएगा। 

कितना मलबा निकलेगा?
परियोजना अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए अनुमानों के अनुसार, एपेक्स (32 मंजिला) और सेयेन (29 मंजिला) के विध्वंस से लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने की उम्मीद है। इसके अलावा, लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावरों के विध्वंस का प्रभाव दो सोसायटियों  एमराल्ड कोर्ट और आस-पास के एटीएस विलेज पर होगा। सबसे अधिक नजदीक मे रहने वाले लोगों को होगा। 

क्या इमारत गिरने से पर्यावरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि ध्वस्त से धूल के बादल आसमान में बन जाएंगे। वही इस पर बहस कई दिनों से बहस हो रही है कि क्या इसका पर्यावरण पर कोई स्थायी प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा आस-पास के रहने वालें लोग कई बिमारियों के चपेट में आ सकते हैं। आंखों में जलन, नाक, मुंह और श्वसन प्रणाली से लेकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं"। इस ध्वस्त के कारण से कई दिनों तक हवाओं में धुल और कण मिले रहेंगे। हालांकि इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि हमने ध्वस्त के समय एसओपी का प्रयोग करेंगे। जो भी पर्यावरण को बचाने के लिए कार्य होंगे उसका हम पालने करेंगे। 

आस-पास कितने रहतें है लोग 
इस एरिया में लगभग 5,000 से अधिक निवासी रहते हैं।  28 अगस्त को एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटियों को खाली कर देने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं। निवासियों को सुबह 7.30 बजे तक परिसर खाली करना होगा और शाम 4 बजे के बाद केवल एडिफिस से सुरक्षा मंजूरी के साथ वापस आ सकते हैं। सोसायटी से 2500 से ज्यादा वाहन हटाए जाएंगे। नोएडा प्राधिकरण बॉटनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन पर मल्टीलेवल पार्किंग सुविधा में उनके लिए जगह उपलब्ध कराएगा। मेट्रो स्टेशन पर पार्किंग एक बार में 5,000 से अधिक वाहनों को आसानी से समायोजित कर सकती है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे 28 अगस्त को दोपहर 2.15 बजे से दोपहर 2.45 बजे तक वाहनों की आवाजाही के लिए बंद रहेगा। आपातकालीन सेवाओं के लिए आवश्यक फायर टेंडर और एंबुलेंस पार्क के पीछे बनी सड़क पर ट्विन टावरों के सामने खड़ी की जाएंगी। सेक्टर 137 के फेलिक्स अस्पताल में लगभग 50 बेड निवासियों के लिए आरक्षित किए गए हैं, जिसमें एमराल्ड कोर्ट के 12 बेडरेस्टेड निवासियों के लिए बेड शामिल हैं। 28 अगस्त को ध्वस्त स्थल पर केवल 10 मजदुर ही रहेंगे। इनमें दो भारतीय ब्लास्टर और एडिफिस के प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता और इसके दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ पार्टनर जेट डिमोलिशन के सात सदस्य शामिल होंगे।

क्या होगा मलबे और कचरे का 
इस संबंध में अधिकारिंयो ने बताया कि लगभग 1,200 से 1,300 ट्रक में मलबे को भर साइट से बाहर निकालना होगा। नोएडा प्राधिकरण के पास सेक्टर 80 में एक निर्माण और ध्वस्त अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र है, जिसकी क्षमता प्रति दिन 300 टन है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि हालांकि मलबे को बाहर निकालने के लिए यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इसे वहां संसाधित किया जाएगा या नहीं। अधिकारियों के मुताबिक सारा मलबा बेकार नहीं जाएगा। इस ध्वस्त से लगभग 4,000 टन लोहा और इस्पात निकलने की संभावना है, जिसे एडिफिस ने ध्वस्त लागत के एक हिस्से की वसूली के लिए उपयोग करने की योजना बनाई है। एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज की सुरक्षा के लिए दोनों सोसायटियों में जियो टेक्सटाइल कवरिंग भी होगी। इस पूरी प्रक्रिया में 110 किलोमीटर लंबाई में गैल्वेनाइज्ड आयरन और जियो टेक्सटाइल से बनी करीब 225 टन तार वाली जाली का इस्तेमाल किया जाएगा। नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक (योजना) इश्तियाक अहमद ने पीटीआई के हवाले से कहा कि 21,000 क्यूबिक मीटर मलबा पांच से छह हेक्टेयर की एक अलग भूमि पर डंप किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बचा हुआ मलबा ट्विन टावरों के बेसमेंट क्षेत्रों में डाला जाएगा जहां एक गड्ढा बनाया गया है। अहमद ने आगे बताया कि, "ध्वस्त के बाद के मलबे को नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित किया जाएगा। इस पर अंतिम निर्णय क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लिया जाएगा, जो मलबे प्रबंधन पर एडिफिस इंजीनियरिंग की एक रिपोर्ट की जांच कर रहा है।"

क्या खरीदारों को पैसा मिलेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले अधिकारियों को बुकिंग के समय से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ घर खरीदारों की पूरी राशि वापस करने का निर्देश दिया था। इसने यह भी कहा कि एमराल्ड कोर्ट परियोजना के आरडब्ल्यूए को ट्विन टावरों के निर्माण के कारण हुए उत्पीड़न के लिए 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए। अदालत के आदेश के अनुसार, सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वाले निवेशक और घर खरीदार 17 जनवरी, 2022 तक 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अपना पैसा वापस पाने के पात्र थे।

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