Monday, December 08, 2025
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'मेरे दादाजी के लिए किसी ने कुछ नहीं किया...', वंदे मातरम् पर चर्चा को लेकर बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के परपोते का बयान

संसद और देश में वंदे मातरम् को लेकर चर्चा जारी है। इस बीच अब वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के परपोते का बयान सामने आया है। सजल चट्टोपाध्याय ने कहा है कि मेरे दादाजी के लिए किसी ने कुछ भी नहीं किया है।

Edited By: India TV News Desk
Published : Dec 08, 2025 08:21 pm IST, Updated : Dec 08, 2025 08:51 pm IST
vande mataram Bankim Chandra Chattopadhyay grand son- India TV Hindi
Image Source : ANI बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के परपोते सजल चट्टोपाध्याय।

संसद में वंदे मातरम् को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में बहस जारी है। सोमवार को लोकसभा में पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेताओं ने अपना पक्ष रखा। इस दौरान वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की भी चर्चा हुई। अब इस पूरे मुद्दे पर बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के परपोते सजल चट्टोपाध्याय का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि मेरे दादाजी के लिए अब तक किसी ने कुछ नहीं किया है।

'दादाजी के लिए अब तक किसी ने कुछ नहीं किया'

वंदे मातरम् पर चर्चा को लेकर बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के परपोते सजल चट्टोपाध्याय ने कहा- "यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था। वंदे मातरम को राष्ट्रीय मंत्र माना जाता है। मेरे दादाजी के लिए अब तक किसी ने कुछ नहीं किया। ऐसे समय में जब अगली पीढ़ी इसे (वंदे मातरम) भूल रही है, पीएम मोदी जी ने जो किया है वह अच्छा है। मुझे गर्व है। सीएम ममता बनर्जी ने अभी तक कुछ नहीं किया है, उन्हें यह पहले ही करना चाहिए था।"

सजल चट्टोपाध्याय ने कहा- "अगर कोई दिल्ली से आता है, अमित शाह, या कोई भी, वे हमारे बारे में पूछते हैं। वे हमें व्यक्तिगत रूप से बुलाते हैं। हम राजनीतिक लोग नहीं हैं। हम केवल सच बोलते हैं। सीएम मैडम ने हमें अभी तक आमंत्रित नहीं किया है। बंकिम बाबू ने जो लिखा, उसमें सभी हिंदू देवी-देवताओं के नाम शामिल हैं, इसलिए उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जिस तरह से बंकिम बाबू की उपेक्षा की गई, उसी प्रकार उनके परिवार की भी उपेक्षा की जा रही है।"

'बंकिम चंद्र देश के पहले ग्रेजुएट थे'

सजल चट्टोपाध्याय ने कहा- "बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय देश के पहले ग्रेजुएट थे। हालांकि, देश में उनके नाम पर अभी भी कुछ नहीं है। रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर एक यूनिवर्सिटी है, उनके नाम पर भी एक यूनिवर्सिटी होने में क्या दिक्कत है? रवींद्र भवन है, क्या कोई बंकिम भवन है? अगर केंद्र सरकार ऐसा करती है, तो आने वाली पीढ़ियों को पता चल जाएगा कि वंदे मातरम् क्या है और इसे किसने लिखा। अगर कोई यूनिवर्सिटी है, तो वहां के लोगों को यह भी पता चल जाएगा कि बंकिम बाबू कौन थे।"

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