Saturday, May 04, 2024
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भारत में पैदा हो सकता है स्टेंट का संकट: रिसर्च

हृदय की धमनियों की रुकावट दूर करने के लिए व्यापक तौर पर उपयोग में लाए जाने वाले स्टेंट की कीमत पर सरकार के नियंत्रण से स्टेंट के दाम में कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस कदम से आने वाले महीनों में स्टेंट का संकट पैदा हो सकता है।

IANS Edited by: IANS
Published on: June 02, 2018 10:50 IST
stunt cancer- India TV Hindi
stunt cancer

हेल्थ डेस्क: हृदय की धमनियों की रुकावट दूर करने के लिए व्यापक तौर पर उपयोग में लाए जाने वाले स्टेंट की कीमत पर सरकार के नियंत्रण से स्टेंट के दाम में कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस कदम से आने वाले महीनों में स्टेंट का संकट पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्टेंट के दामों पर सरकार के नियंत्रण के कारण ज्यादातर कंपनियों ने बेहतर गुणवत्ता वाले आधुनिक स्टेंट को भारतीय बाजार से हटा लिया, जबकि कुछ और कंपनियां कुछ महीनों के भीतर अपने स्टेंट हटाने वाली हैं, क्योंकि उन्हें लागत की भरपाई करने में मुश्किल हो रही है। 

सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ हॉस्पिटल के वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश नायर ने शुक्रवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "स्टेंट की कीमत पर सरकार के नियंत्रण के कारण भारत में निम्न गुणवत्ता वाले स्टेंट का उपयोग होने लगा है और इसके कारण हृदय रोगों के उपचार के परिणाम में गिरावट आई और इसका लाभ सिंगापुर जैसे देशों के अस्पतालों को मिलने लगा है, जहां अब पहले की तुलना में करीब 20 प्रतिशत अधिक भारतीय मरीज पहुंचने लगे हैं। यही नहीं, बेहतर इलाज के लिए भारत आने वाले पड़ोसी देशों के मरीज भी अब दूसरे देशों का रुख करने लगे हैं।" 

डॉ. नायर ने कहा कि नई पीढ़ी के आधुनिक स्टेंट की तुलना में पुरानी पीढ़ी के स्टेंट हृदय धमनियों में जटिल रुकावटों को दूर करने में उतने कारगर नहीं हो सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार, भारत में हर साल करीब छह लाख स्टेंट बिकते हैं। गौरतलब है कि नेशनल फर्मास्युटिकल प्राइसिंग अॅथारिटी (एनपीपीए) ने गत वर्ष फरवरी में हृदय धमनियों में लगाए जाने वाले स्टेंट की कीमत में 85 प्रतिशत की कमी कर दी, जिसके कारण स्टेंट की कीमत घटकर 29,600 रुपये हो गई। हालांकि स्टेंट की कीमत में कमी के बावजूद भारत में एंजियोप्लास्टी पर होने वाले खर्च में कोई खास कमी नहीं आई, क्योंकि ज्यादातर अस्पतालों ने अन्य मदों पर अधिक शुल्क लगाने शुरू कर दिए। 

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