Friday, April 26, 2024
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Rishi Panchami 2020: आज है ऋषि पंचमी, जानें क्या है इसका महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी मनायी जाती है। जानिए क्या है ऋषि पंचमी का महत्व, पूजा विधि और शुभ मूहूर्त।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 23, 2020 11:42 IST
Rishi Panchami- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/PRADIPSINH7 Rishi Panchami

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी मनायी जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती है और विष्णु जी की पूजा अर्चना करती हैं। ये व्रत महिलाएं सप्तर्षियों के सम्मान और पीरियड्स दोष से शुद्धि के लिए करती हैं। जानिए क्या है ऋषि पंचमी का महत्व, पूजा विधि और शुभ मूहूर्त।

ऋषि पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 22 अगस्त को शाम 7 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही है।  23 अगस्त को शाम 5 बजकर 4 मिनट तक रहेगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त- 11 बजकर 6 मिनट से दोपहर 1 बजकर 41 मिनट तक

ऋषि पंचमी का महत्व
ऋषि पंचमी के दिन महिलाएं नदी खासतौर पर गंगा में स्नान करती हैं। मान्यता है कि पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफ और अन्य दोषों के निवारण के लिए महिलाएं ये व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं सप्तऋषियों की पूजा अर्चना करती हैं। 

इस तरह करें पूजा

  • सबसे पहले महिलाएं स्नान करें
  • इसके बाद सप्त ऋषियों की मूर्ति बनाएं
  • सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें
  • गणेश जी की पूजा करने के बाद ऋषि पंचमी की कथा सुने
  • महिलाएं व्रत रखती है
  • इस दौरान वो फलाहार खा सकती हैं
  • पूजा करने के बाद और दिनभर व्रत के बाद बाह्मणों को भोजन कराएं
  • शाम को पारण कर व्रत को खोल दें
  • इस दिन व्रत में एक बार भोजन करना चाहिए

ऋषि पंचमी की पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।

ऋषि पंचमी व्रत कथा
ऋषि पंचमी की व्रत कथा के बारे में भविष्य पुराण में लिखा गया गया है कि विदर्भ देश में एक उत्तम नाम का ब्राह्मण था। उसकी पत्नी का नाम सुशीला था। उत्तक के दो बच्चे एक पुत्र और पुत्री थे। उत्तक ने विवाह योग्य होने पर बेटी का विवाह कर दिया। शादी के कुछ दिन बाद भी बेटी के पति की अकाल मृत्यु हो गई। इसके बाद उसकी बेटी अपने पिता के घर वापस आ गई।

एक दिन उत्तक की विधवा पुत्री सो रही थी। तभी उसकी मां ने देखा कि पुत्री के शरीर में कीड़े हो गए हैं। बेटी को इस हालत में देखकर सुशीला परेशान हो गई। इस बारे में उसने अपने पति को बताया। ब्राह्मण ने ध्यान लगाया और पुत्री के पूर्व जन्म के बारे में देखा। ब्राह्मण ने ध्यान में देखा कि उसकी बेटी पहले भी ब्राह्मण परिवार से थी लेकिन पीरियड्स के दौरान उसने पूजा के बर्तनों को छू लिया था।

इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उसने ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं रखा। जिसकी वजह से इस जन्म में उसे कीड़े पड़े। पिता के कहने पर विधवा बेटी ने दुखों से मुक्ति पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत किया और इससे उसे अटल सौभाग्य की प्राप्ति हुई। 

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