
मध्य प्रदेश के डिंडोरी में जिला अस्पताल की खराब हालत बैगा जनजाति की महिलाओं पर भारी पड़ रही है। यहां अस्पताल में पर्याप्त बेड की कमी है या कर्मचारी ज्यादा दिन किसी मरीज को अस्पताल में रखना नहीं चाहते हैं। इसी वजह से इलाज पूरा होने से पहले ही उनकी छुट्टी कर दी जाती है। बीमार मरीज अपने परिजनों के साथ फर्श पर ही पड़े रहते हैं। वहीं, जब इन हालातों की शिकायत जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की जाती है तो वह झल्ला कर फोन काट देते हैं।
रविवार को भी ऐसा ही मामला सामने आया है। जनपद पंचायत अध्यक्ष आशा धुर्वे सिकल सेल से पीड़ित बैगा जनजाति की महिला को खून देने के लिए अस्पताल पहुंची थीं। यहां उन्होंने देखा कि जिस मरीज को वह खून देने पहुंची हैं। वह फर्श पर एक कोने में लेटी हुई है। ऐसे में उन्होंने मरीज को बेड दिलाने के लिए फोन लगाया तो जिले के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर रमेश मरावी झल्ला गए। उन्होंने कहा कि सभी मुझे ही समस्याएं बताते हैं। इसके साथ ही उन्होंने फोन काट दिया।
पीड़िता की सास ने क्या कहा?
पीड़िता की सास ने बताया कि बहू को सिकल सेल है (एक तरह की बीमारी, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सही आकार की नहीं होती हैं)। कुछ दिन पहले ही वह मां बनी है, लेकिन अब उसकी छुट्टी कर दी गई है। कुशियां बाई बैगा ने बताया "हम दस किलोमीटर दूर दुलोपुर गांव के रहने वाले हैं। बहू चमनिया बाई सीवियर सिकल सेल से पीड़ित है। डिलेवरी के दौरान उसे पांच बॉटल खून भी चढ़वाया गया था। उसे अभी भी खून की जरूरत है। दस दिन पहले ही जिला अस्पताल के डिलिवरी वार्ड में बच्चे को जन्म दिया था। बच्चे को शिशु चिकित्सा गहन इकाई में भर्ती कर दिया गया, लेकिन बहू की छुट्टी 28 मई को कर दी गई। तब से मैं और बहू फर्श पर पड़े हैं। उसको मैं खुद खाना बनाकर लाती हूं।"
बेटा भर्ती, मां से बेड खाली कराया
अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कुशियां बाई बैगा ने कहा "सरकार तो बैगा आदिवासियों के नाम पर अनेक योजनाएं भी चला रही है। हमने सोचा कि यहां अच्छी व्यवस्था मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हैं।" दूसरी महिला राजरानी झरिया ने बताया "चार दिन पहले ही बेटे को शिशु चिकित्सा गहन इकाई में भर्ती करवाया गया है और मुझसे बेड खाली करवा लिया गया है। मैं भी फर्श में सोती हूं, लेकिन कोई सुविधा नहीं है।" हालांकि, मीडिया के दबाव के चलते बाद में दोनों महिलाओं को बेड उपलब्ध करवा दिया गया।
(डिंडोरी से दीपक नामदेव की रिपोर्ट)