मध्यप्रदेश में दूषित कफ सिरप पीने के बाद तबीयत बिगड़ने के कारण अब तक 20 बच्चों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मौतें राज्य के छिंदवाड़ा जिले में हुई है। यहां 17 बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। अब इस घटना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा बयान दिया है। सीएम मोहन यादव ने माना है कि छिंदवाड़ा की घटना प्रशासनिक चूक है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना होती है तो मन में भारी दुख और कष्ट होता है।
CM ने की विपक्ष से अपील
सीएम मोहन यादव ने राज्य में विपक्ष से भी बड़ी अपील की है। सीएम मोहन ने कहा कि "विपक्ष से भी कहना चाहूंगा कि चुनाव 5 साल बाद आता है। हम एक-दूसरे की सकारात्मक आलोचना करें। यह घटना हम सब की सामूहिक जवाबदारी है। यह बात सही है इतने बड़े राज्य में जब व्यवस्थाओं के आधार पर ऐसी कोई घटना होती है तो मन में भारी दुख होता है मैं भरे मन से भी कह सकता हूं कि जब ऐसी कोई चूक होती है, जब कोई घटना के आधार पर अपने बीच में से लोग जाते हैं तो कष्ट होता है। चाहे वह छिंदवाड़ा की बात हो। कल स्वास्थ्य मंत्री जी नागपुर गए जहां बच्चे भर्ती थे।"
सबकी सामूहिक जवाबदारी है
सीएम मोहन यादव ने कहा- "कुल मिलाकर सबकी सामूहिक जवाबदारी है। मैं अपने पक्ष के लोगों से भी और विपक्ष के लोगों से भी कहना चाहूंगा कि चुनाव तो 5 साल बाद आता है लेकिन हमारी परस्पर समझ और सहानुभूति रहे और एक दूसरे की जानकारी सकारात्मक आलोचना करें। कोई इसको बुरा नहीं मानता है लेकिन दायरे में रहकर सही बात बताएं। प्रशासन को चाहे मीडिया बताए, चाहे आम आदमी बताए, चाहे नेता प्रतिपक्ष बताएं हम उसका स्वागत करेंगे।"
कितने बच्चों की मौत?
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने जानकारी दी है कि राज्य में पांच बच्चों की हालत गंभीर है, जबकि 20 बच्चों की मौत ‘दूषित’ कफ सिरप पीने से हो चुकी है। अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इन बच्चों की मौत गुर्दों के संदिग्ध रूप से फेल होने के कारण हुई है, जो ‘विषाक्त’ कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से जुड़ी है। राजेंद्र शुक्ला ने कहा- "इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुरना को मिलाकर कुल 20 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। छिंदवाड़ा के 17, बैतूल के दो और पांढुरना के एक बच्चे की अभी तक मौत हुई है जबकि पांच बच्चों का नागपुर में इलाज जारी है।"
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