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मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के आठ नए मामले सामने आये, किसी की मौत नहीं

अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में बृहस्पतिवार को 5,18,437 लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाए गये हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Aug 12, 2021 09:47 pm IST, Updated : Aug 12, 2021 09:47 pm IST
Madhya Pradesh sees eight new COVID-19 cases; active infections at 131- India TV Hindi
Image Source : ANI मध्य प्रदेश में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के आठ नए मामले सामने आए।

भोपाल: मध्य प्रदेश में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के आठ नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में अब तक संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या 7,91,998 तक पहुंच गयी। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में किसी भी व्यक्ति की कोरोना से मौत नहीं हुई है और प्रदेश में अब तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 10,514 है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में केवल 131 कोरोना के उाचाराधीन मरीज हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 7,91,998 संक्रमितों में से अब तक 7,81,353 मरीज संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में बृहस्पतिवार को 5,18,437 लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाए गये और इसी के साथ प्रदेश में अब तक 3,66,86,401 लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुके हैं।

इस बीच हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश में ब्लैक फंगस और सफेद फंगस संक्रमण एवं इस तरह की अन्य बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। मामले में न्याय मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि 10 अगस्त को पारित अपने आदेश में हाईकोर्ट ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को छह सितंबर तक इस संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। 

मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति वीके शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि हम मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश देते हैं कि वह राज्य में ब्लैक फंगस, सफेद फंगस या इसी तरह की किसी अन्य प्रकार की बीमारी के मरीजों की संख्या के संबंध में सटीक जानकारी दें। 

नागरथ ने कहा कि हाईकोर्ट ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि प्रदेश में ऐसे सभी मरीजों को चिकित्सकों द्वारा निर्धारित एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन और अन्य दवाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि दवाओं की कमी के कारण किसी मरीज को परेशानी न हो। 

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