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कोल इंडिया ट्रेड यूनियंस ने शुरू की तीन दिवसीय हड़ताल, उत्‍पादन में 40 लाख टन का होगा नुकसान

यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है, जब सरकार ने कोल इंडिया (सीआईएल) के लिए एक अरब टन कोयला उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 02, 2020 14:39 IST
Coal India trade unions begin 3-day strike; around 4 MT of coal output likely to be hit- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

Coal India trade unions begin 3-day strike; around 4 MT of coal output likely to be hit

नई दिल्‍ली। सरकार के वाणिज्यिक कोयला खनन की इजाजत देने के विरोध में कोल इंडिया के मजदूर संगठनों की तीन दिवसीय हड़ताल गुरुवार से शुरू हुई। इससे करीब 40 लाख टन कोयला उत्पादन प्रभावित हो सकता है। एचएमएस से संबद्ध हिंद खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष नाथूलाल पाण्डेय ने कहा कि मजदूर संगठन गुरुवार को सुबह छह बजे शुरू होने वाली पहली पाली से हड़ताल पर चले गए। उन्होंने बताया कि कोल इंडिया हर दिन औसतन 13 लाख टन कोयला उत्पादन करता है, इस तरह तीन दिनों तक चलने वाली हड़ताल से उत्पादन में 40 लाख टन का नुकसान होने का अनुमान है।

यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है, जब सरकार ने कोल इंडिया (सीआईएल) के लिए एक अरब टन कोयला उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है, जो घरेलू कोयला उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक है। पाण्डेय ने बताया कि पूर्वी कोलफील्ड्स के झांझरा इलाके में पांच व्यक्तियों एक सीटू सदस्य, एक इंटक और तीन एचएमएस के जो हड़ताल पर थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा कोल इंडिया शाखा बीसीसीएल में कार्यरत कर्मचारी काम पर नहीं गए हैं, जिसके चलते खदानों में अस्पताल जैसी आपातकालीन सेवाएं ठप पड़ गई हैं।

इसके अलावा कोल इंडिया की शाखा एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक ने बाहरी लोगों को खदान में काम करने के लिए बुलाया है, जो एक असाधारण स्थिति  है और ऐसा कोल इंडिया में कभी नहीं हुआ है। कोल इंडिया के मजदूर संगठनों और सरकार के बीच बुधवार को वाणिज्यिक कोयला खनन के मुद्दे पर वार्ता विफल रही। कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों के बीच बुधवार को एक वर्चुअल बैठक हुई थी। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान मंत्री ने यूनियनों को बताया कि वाणिज्यिक खनन केंद्र सरकार का नीतिगत निर्णय है और कोयला उत्पादन बढ़ाने का एकमात्र तरीका है।

दूसरी ओर मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने वाणिज्यिक खनन का विरोध करते हुए अपना रुख दोहराया। उन्होंने बताया कि अंत में मंत्री ने वाणिज्यिक खनन के निर्णय को वापस लेने की मांग को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद मजदूर संगठनों के पास दो से चार जुलाई तक तीन दिनों की हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।

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