मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गर्वनर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद बैंकों के फंसे ऋण यानी एनपीए को लेकर भी बड़ी घोषणा की है। रिजर्व बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की पहचान के लिए अगले तीन-चार दिनों में संशोधित परिपत्र जारी करेगा। संशोधित परिपत्र 12 फरवरी 2018 को जारी हुए पुराने परिपत्र का स्थान लेगा। बता दें कि पुराने परिपत्र को उच्चतम न्यायालय ने दो अप्रैल के अपने एक निर्णय में रद्द कर दिया था। उक्त परिपत्र में बैंक कर्ज की किस्त के भुगतान में ग्राहक की ओर से एक दिन की देरी को भी एनपीए करार देने का प्रावधान था।
केंद्रीय बैंक के गर्वनर दास ने कहा कि बंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए (Non-performing asset) के वर्गीकरण को लेकर संशोधित परिपत्र जल्द जारी किया जाएगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नीतिगत समीक्षा बैठक के परिणाम की घोषणा के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एनपीए की पहचान को लेकर 12 फरवरी को जारी किए गए परिपत्र की जगह पर संशोधित परिपत्र शीघ्र ही तीन-चार दिनों में जारी किया जाएगा।
आपको बता दें कि RBI ने 12 फरवरी, 2018 को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान पर एक रूपरेखा जारी की थी, जिसके तहत बैंकों को एक दिन के लिए भी चूक का खुलासा करने के लिए कहा गया था और 2,000 करोड़ रुपए और उससे अधिक के असफल होने के मामले में 180 दिनों के भीतर संकल्प योजना ढूंढनी होगी। यह दिवालिएपन के लिए भेजना होगा।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट आरबीआई का 12 फरवरी 2018 का सर्कुलर 2 अप्रैल को असवैंधानिक करार कर चुका है। ये सर्कुलर बैंकों के खराब कर्ज से जुड़ा हुआ था। इस सर्कुलर में कर्ज में फंसी कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की बात कही गई थी। इसके चलते वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक में तनातनी भी बढ़ी थी। बीते 2 अप्रैल को 2 जजों की बेंच ने आरबीआई का 12 फरवरी 2018 का सर्कुलर अमान्य करार दिया था। इस सर्कुलर में 1 दिन का भी डिफॉल्ट किया तो कंपनी के कर्ज को एनपीए में डालने की बात थी। इसका अर्थ है अगर कोई कंपनी 1 दिन का डिफॉल्ट कर देती है और लोन नहीं चुकाती है तो उस कर्ज को फंसे कर्ज के तौर पर माना जाएगा। डिफॉल्ट के 180 दिन के भीतर अगर मामला नहीं सुलझता है तो बैंक को ऐसे अकाउंट की जानकारी NCLT को देनी होगी। ये अकाउंट 2000 करोड़ से ज्यादा का होना चाहिए। इसके तहत बैंक को 180 दिन की डेडलाइन खत्म होने के 15 दिन के भीतर आईबीसी कोड 2016 के तहत कंपनी के दिवालिया की अर्जी देनी होती है।