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अगस्त में थोक महंगाई हुई पस्त, लगातार दूसरे महीने घटकर 1.31% पर आई, जानें क्या हुआ सस्ता

पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चला है कि सब्जियों की ऊंची कीमतों के कारण अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 3. 65 प्रतिशत थी। यह जुलाई में 3. 60 प्रतिशत से अधिक थी।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Sep 17, 2024 12:58 IST, Updated : Sep 17, 2024 13:04 IST
आलू और प्याज की मुद्रास्फीति अगस्त में 77. 96 प्रतिशत और 65. 75 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर रही। - India TV Paisa
Photo:INDIA TV आलू और प्याज की मुद्रास्फीति अगस्त में 77. 96 प्रतिशत और 65. 75 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर रही।

देश में थोक महंगाई दर में कमी दर्ज की गई है। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2024 में थोक मुद्रास्फीति (महंगाई) लगातार दूसरे महीने घटकर 1. 31 प्रतिशत पर आ गई है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, आंकड़ों में महंगाई दर में कमी का कारण सस्ती सब्जियां, खाद्य पदार्थ और ईंधन हैं। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 2. 04 प्रतिशत थी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, पिछले साल अगस्त में यह (-) 0. 46 प्रतिशत थी।

इन वजहों से महंगाई के ट्रेंड में आया बदलाव

खबर के मुताबिक, उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अगस्त 2024 में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों, अन्य विनिर्माण, कपड़ा विनिर्माण और मशीनरी और उपकरण आदि के विनिर्माण की कीमतों में वृद्धि के कारण है। आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति अगस्त में 3. 11 प्रतिशत थी, जबकि जुलाई में यह 3. 45 प्रतिशत थी। इसकी वजह सब्जियों की कीमतों में गिरावट रही, जिसमें जुलाई में 8. 93 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में 10. 01 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

आलू और प्याज की कीमत तेज

आलू और प्याज की मुद्रास्फीति अगस्त में 77. 96 प्रतिशत और 65. 75 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर रही। ईंधन और बिजली श्रेणी में जुलाई में 1. 72 प्रतिशत की मुद्रास्फीति के मुकाबले अगस्त में 0. 67 प्रतिशत की अपस्फीति देखी गई। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चला है कि सब्जियों की ऊंची कीमतों के कारण अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 3. 65 प्रतिशत थी। यह जुलाई में 3. 60 प्रतिशत से अधिक थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), जो मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है, ने अगस्त में लगातार नौवीं बार बेंचमार्क ब्याज दर या रेपो दर को 6. 5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा।

ब्याज दर में कटौती महंगाई की दीर्घकालीन दर पर निर्भर करेगी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बीते सोमवार को कहा है कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती महंगाई की दीर्घकालीन दर पर निर्भर करेगी न कि मासिक आंकड़ों पर। दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 7 से 9 अक्टूबर के बीच होनी है। बैठक में नीतिगत दर में कटौती पर निर्णय किया जाएगा। आरबीआई ने अगस्त मे मौद्रिक नीति समीक्षा में ऊंची खाद्य महंगाई को देखते हुए रेपो दर को लगातार नौवीं बार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।

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