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आज है देवशयनी एकादशी, जानें कैसे करनी है भगवान विष्णु की पूजा

आज देवशयनी एकादशी मनाई जा रही है, आज बड़ी संख्या में विष्णु भक्त एकादशी व्रत रख रहे हैं। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी व्रत रखने मात्र से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jul 06, 2025 07:11 am IST, Updated : Jul 06, 2025 07:11 am IST
भगवान विष्णु- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV भगवान विष्णु

आज 6 जुलाई को आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी मनाई जा रही है, इसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है कारण है कि इस तिथि के बाद भगवान विष्णु 4 माह तक गहरी योग निद्रा में चले जाएंगे। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान विवाह, मुंडन जैसे शुभ कार्य मांगलिक नहीं किए जाते। माना जाता है कि इस तिथि पर पूरी भक्ति भाव और श्रद्धा से विष्णु भगवान की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

द्रिक पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 5 जुलाई की शाम 6.58 बजे पर लग चुकी है, जो आज रात 09.14 बजे तक रहेगी।

पारण का समय

देवशयनी एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि को पारण करना धर्म ग्रंथों में अच्छा माना गया है। ऐसे में इसका पारण समय 07 जुलाई को किया जाना चाहिए। इस व्रत पारण का शुभ समय सुबह 05.29 बजे से 08.16 बजे तक है।

पूजा विधि

सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं, फिर एकादशी व्रत का संकल्प लें। अब एक छोटी चौकी लें, उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछा लें और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें। अगर हो सके तो शालीग्राम को भी विराजित करें। फिर गंगाजल का छिड़काव करें। बता दें कि आज भगवान हरि का षोडशोपचार विधि से पूज किया जाता है, ऐसे में यह विधि करें। शालीग्राम का पंचामृत से अभिषेक करें और फिर पीले फूल, तुलसी और पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु चंदन और अक्षत अर्पित करने के बाद गाय के घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। फिर विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने के बाद आरती उतारें।

इसके बाद शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारें और रातभर भजन-कीर्तन करते हुए भगवान का ध्यान करें। अब अगले दिन पारण करें और गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं।

देवशयनी एकादशी मंत्र

  • "शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

    विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
    लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
    वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥"

  • "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"
  • "श्री विष्णवे नमः"

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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