Tuesday, May 14, 2024
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Tokyo Olympic : नया इतिहास रचने को तैयार हैं मुक्केबाजी में भारत के ‘नवरत्न’

भारत के पांच पुरुष और चार महिला मुक्केबाज 24 जुलाई से सूमो कुश्ती स्थल रियोगोकु कोकुजिकान में अपना कौशल दिखाएंगे।

Bhasha Edited by: Bhasha
Updated on: July 17, 2021 14:17 IST
Olympic, Sports, India, Boxing  - India TV Hindi
Image Source : GETTY/TWITTER/BFI/PTI/IOA Indian Boxing 

टोक्यो ओलंपिक में भारत के नौ मुक्केबाज भाग लेंगे जिससे पहली बार इस खेल में पदक की सबसे अधिक उम्मीदें लगायी जा रही हैं। भारत के पांच पुरुष और चार महिला मुक्केबाज 24 जुलाई से सूमो कुश्ती स्थल रियोगोकु कोकुजिकान में अपना कौशल दिखाएंगे। इन सभी नौ मुक्केबाजों पर एक नजर– 

पुरुष वर्ग :

अमित पंघाल (52 किग्रा) – 

यह मुक्केबाज दिग्गजों को मात देने में सक्षम है। अपने वर्ग में दुनिया के नंबर एक पंघाल को टोक्यो में भारत के लिये पदक के सर्वश्रेष्ठ दावेदारों में माना जा रहा है। हरियाणा का सेना में कार्यरत यह जवान नियंत्रित आक्रामकता और रणनीतिक कौशल का अच्छा मिश्रण है। 

वह विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक, एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। पिछले चार वर्षों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले 25 वर्षीय पंघाल अपनी कमजोरियों को भी जानते हैं और ओलंपिक से पहले उन्हें दूर करने के लिये प्रतिबद्ध हैं। 

Boxing

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Amit Panghal 

मनीष कौशिक (63 किग्रा) – 

मनीष भी पहली बार ओलंपिक में खेल रहे हैं। वह भी सेना में हैं और 25 वर्ष के हैं। उन्हें छुपा रुस्तम माना जा रहा है। वह 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और 2019 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके हैं। मुक्केबाजी के गढ़ भिवानी में किसान परिवार में जन्में मनीष ने विजेंदर सिंह के 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद ओलंपिक में खेलने का सपना संजोया था। 

वह पिछले साल एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान चोट लगने के बाद लगभग 10 महीने तक बाहर रहे थे लेकिन अब ओलंपिक पदक के दावेदारों में शामिल हैं। 

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Manish 

विकास कृष्ण (69 किग्रा) – 

भारत के सबसे अनुभवी मुक्केबाजों में से एक। दो बार के ओलंपियन। एक ऐसा मुक्केबाज जो अपनी हर चाल के लिये रणनीति तैयार करता है और उन पर अमल भी करता है। एक कुशल मुक्केबाज जिन्होंने इस बीच अपनी कुछ कमजोरियों को दूर किया है जिनमें रिंग में संतुलन और करीबी मुक्केबाजी शामिल हैं। 

इसके लिये उन्होंने कुछ बलिदान भी किया। यह 29 वर्षीय मुक्केबाज पिछले एक साल से अपने परिवार से दूर है लेकिन उनका एक ही लक्ष्य है ओलंपिक स्वर्ण पदक। 

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Vikas 

आशीष कुमार (75 किग्रा) - 

हिमाचल प्रदेश के सुंदर नगर का रहने वाला मुक्केबाज। उन्होंने पिछले साल अपने पिता के निधन के एक महीने बाद टोक्यो ओलंपिक में जगह बनायी। यह 26 वर्षीय उस भार वर्ग में लगातार प्रगति कर रहा है, जिसमें विजेंदर सिंह ने कई बार इतिहास रचा। 

आशीष का ओलंपिक सफर आसान नहीं रहा है। अपने पिता के निधन के बाद वह स्पेन में एक टूर्नामेंट के दौरान कोविड-19 की चपेट में आ गये थे। वह एशियाई चैंपियनशिप में थोड़ा रंग में नहीं दिखे लेकिन उन्हें किसी भी तरह से कम करके नहीं आंका जा सकता है। 

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Ashish 

सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) - 

खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले सुपर हैवीवेट, लेकिन जो बहुत अधिक चर्चा में नहीं हैं। वह 32 वर्ष के हैं और पांच सदस्यीय पुरुष टीम में सबसे उम्रदराज हैं लेकिन यह उनका पहला ओलंपिक है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक और किसान के बेटे सतीश ने राष्ट्रमंडल के साथ-साथ एशियाई खेलों में भी पदक जीते हैं। 

सतीश ने कहा, "हमारा नाम कभी अखबार में आता ही नहीं, मुकाबले ही इतने देर से होते हैं हमारे। मेरी पत्नी को शक होता है कि मैं मुक्केबाज हूं भी या नहीं। ’’ वह ओलंपिक के लिये अपनी गोपनीय रणनीति पर काम कर रहे हैं इसके अलावा गति एक ऐसा पहलू जिसमें वह स्वयं को अन्य प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर मानते हैं। 

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Satish 

महिला वर्ग

एम सी मेरीकॉम (51 किग्रा) - 

भारतीय मुक्केबाजी में यदि कोई नाम परिचय का मोहताज नहीं है तो वह 38 वर्षीय एमसी मेरीकॉम है। उनकी निगाह दूसरे ओलंपिक पदक पर टिकी हैं। मेरीकॉम के नाम पर असंख्य उपलब्धियां हैं। वह छह बार की विश्व चैंपियन है और लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीत चुकी है। 

वह पिछले दो दशक से भी अधिक समय में रिंग में बनी हुई हैं। मेरीकॉम को यह स्वीकार करने में हिचक नहीं कि वह पहले की तुलना में धीमी पड़ गयी हैं लेकिन उन्होंने स्वयं को मजबूत बनाया ताकि उनके घूंसे दमदार बनें। देखना होगा कि वह अपनी युवा प्रतिद्वंद्वियों का सामना कैसे करती हैं। वह भारत के दो ध्वजवाहकों में से एक है। 

Mary Kom

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Mary Kom

सिमरनजीत कौर (60 किग्रा) - 

पंजाब के चकर गांव की रहने वाली 26 वर्षीय सिमरनजीत ने अपना पहला विश्व चैंपियनशिप पदक हासिल करने से चार महीने पहले 2018 में अपने पिता को खो दिया था। उन्हें रिंग से बाहर भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। आक्रामकता उनका मजबूत पक्ष है। उनके घूंसे दमदार है। 

वह पूरे नियंत्रण के साथ आक्रामक शुरुआत करना चाहेगी। वह राष्ट्रीय शिविर से कोविड-19 से भी संक्रमित रही थी लेकिन अब उससे उबरकर उनका एकमात्र लक्ष्य ओलंपिक पदक है। 

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Simranjeet

लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) –

टोक्यो जाने वाली महिला टीम की सबसे युवा सदस्य। इस 23 वर्षीय मुक्केबाज ने किकबॉक्सर के रूप शुरुआत की थी लेकिन जब वह मुक्केबाजी में आयी तो उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। वह दो बार विश्व चैंपियनशिप में पदक जीत चुकी है।

खेलों के लिये उनकी तैयारियां भी चुनौतीपूर्ण रही हैं। कोविड-19 के लिये पॉजिटिव पाये जाने के कारण वह पिछले साल इटली के अभ्यास दौरे पर नहीं जा पायी थी। उन्हें तकनीकी तौर पर बेहतर मुक्केबाज माना जाता है। देखना होगा कि वह ओलंपिक खेलों के दबाव को कैसे झेलती हैं। 

Lovlina Borgohain

Image Source : TWITTER/ @RIJIJUOFFICA
Lovlina Borgohain

पूजा रानी (75 किग्रा) – 

एक दमदार मुक्केबाज जो अपने करियर की शुरुआत में दस्ताने पहनने में शर्म महसूस करती थी क्योंकि "वे एक लड़की पर अजीब लगते हैं"। तब से लेकर अब ओलंपियन बनने तक इस 30 वर्षीय मुक्केबाज ने लंबा सफर तय किया है। 

वह मुक्केबाजी के गढ़ भिवानी की रहने वाली हैं। शुरू में उसने यह बात अपने पिता से छिपाकर रखा था कि वह मुक्केबाजी सीख रही है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की मुक्केबाज बनने के बाद वह चोटों से भी जूझती रही। पूजा ने हार नहीं मानी और अपनी प्रतिबद्धता के दम पर अब ओलंपिक पदक की दावेदार हैं। 

Pooja Rani

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Pooja rani 

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