Maha Kumbh: नागा साधु अब महाकुंभ से लौट रहे हैं, कुछ नागा संत बसंत पंचमी के तुरंत बाद लौट गए जबकि कुछ यहां से सीधे भगवान शिव की नगरी की ओर आज प्रस्थान करेंगे।
महाकुंभ में नागा साधु हमेशा चर्चा का विषय रहते हैं। कारण होती है उनकी रहस्यमयी दुनिया और उनका रहन-सहन। कोई नहीं जानता कि वे कुंभ में कहां से आते हैं और कहां चले जाते हैं। ऐसे में आइए उनके बारे में एक और जानकारी देते हैं...
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान आज हो रहा है। अखाड़ों के संत गंगा स्नान के लिए संगम तट की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि अखाड़ों के लिए अमृत स्नान का महत्व क्या है?
Mahakumbh 2025: अमृत स्नान का मुख्य आकर्षण विभिन्न अखाड़ों के साधुओं का स्नान होता है। अमृत स्नान की तिथियां सूर्य, चंद्र और बृहस्पति के ज्योतिषीय मेल पर आधारित होती हैं और माना जाता है कि इनके योग से पवित्र नदियों की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है।
महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान के दिन भी नागा साधुओं को पहले डुबकी लगाने का अधिकार दिया गया है। लेकिन इस बार कुछ अखाड़ों के क्रम में बदलाव किया गया है। आइए जानते हैं कौन-सा अखाड़ा इस बार लगाएगा पहले डुबकी...
महाकुंभ 2025 में बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी संन्यासी बन गई हैं। वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे मिलती है ये पदवी...
शैव परंपरा के संप्रदाय वाले संत भगवान शिव को ही सर्वोच्च ईश्वर के रूप में देखते हैं। इस धर्म की परंपराएं, वेदों और उपनिषदों जैसे प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में आपको वर्णित मिल जाएंगी।
महाकुंभ में नागा साधुओं की चर्चा हर तरफ हो रही है। 14 जनवरी को पहले अमृत स्नान के बाद दूसरा अमृत स्नान नजदीक आ रहा है, नागा साधु इस स्नान में भी पहले स्नान करेंगे। आइए जानते हैं आखिरी अमृत स्नान कब होगा?
महाकुंभ में इस बार कई हजार नागा साधु और कई महामंडलेश्वर बने हैं। वहीं, 100 से अधिक संत इसमें फेल हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक अखाड़ों ने गलत जानकारी के कारण इन लोगों को परीक्षा में असफल कर दिया।
अघोरी साधु बाबा किनाराम को काफी अधिक मानते हैं। मान्यता है कि बाबा को कई सिद्धियां प्राप्त थी। आइए जानते हैं बाबा किनाराम की महत्वपूर्ण उपलब्धियां...
Maha Kumbh: नगर प्रवेश की परंपरा नागा संन्यासियों के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है। अफगान आक्रमणकारियों से प्रयाग की रक्षा के बाद, नागा संन्यासियों ने नगर प्रवेश किया और तभी से यह परंपरा जारी है। कुंभ, महाकुंभ और अर्धकुंभ का प्रवेश नागा साधुओं की पेशवाई जिसे अब छावनी प्रवेश कहते हैं, से होता है।
भारत में अघोरियों के नाम से लोग खौफ खाते हैं। कहा जाता है कि अघोरी जीवन और मृत्यु के बीच की बंधन को काफी पीछे छोड़ चुके होते हैं, वे हमेशा अपने आराध्य की भक्ति में लीन रहते हैं।
Maha kumbh: महाकुंभ में संतों का डेरा लगा हुआ है। दूर-दूर से आए संत संगम तट पर अपनी धूनी रमाएं प्रभु की भक्ति में लीन हैं। इनमें से कुछ संत अपने अनोखे काम या अंदाज के कारण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।
नागा साधु कुंभ शुरू होते ही अपनी धूनी जला देते हैं और यह कुंभ खत्म होने तक वे इसी के सामने बैठकर ध्यान लगाते हैं। नागा इसे शिव का प्रतीक मानते हैं।
महाकुंभ में दूर-दूर से साधु आए हुए हैं, इनमें से कुछ अघोर पंथ से जुड़े हुए संत भी हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि अघोर पंथ के बारे में कि इसकी शुरुआत किसने की...
महाकुंभ के दौरान कई साधु-संत तेजी से वायरल हो रहे हैं। ऐसे में एक संत जिनके शरीर पर सोना ही सोना दिख रहा है, वायरल हो रहे हैं।
महाकुंभ का पर्व फरवरी की 26 तारीख तक चलेगा। पहला अमृत स्नान हो चुका है। इस दौरान नागा साधुओं ने पहले स्नान किया था। ऐसे में स्नान से पहले उन्होंने अपने एक देव की पूजा की थी, आइए जानते हैं कौन हैं वो...
महाकुंभ में एक ऐसे संन्यासियों का अखाड़ा जमा हुआ है, जो न तो किसी को छू सकते हैं और न ही किसी को उनको छूने का अधिकार है। आइए जानते हैं इनके बारे में...
Mahakumbh Mela History: महाकुंभ का आयोजन 12 साल बाद ही क्यों लगता है और कुंभ मेला का इतिहास क्या है। कुंभ से जुड़ी हर जरूरी बातें जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से।
महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में लोग आए हुए हैं। इसी बीच एक साधुओं का संंप्रदाय कल्पवासी साधुओं से भिक्षा मांग रहा है, इस संप्रदाय के साधुओं के मुख पर सिर्फ शिव के भजन और कीर्तन ही सुनाई दे रहे हैं, आइए जानते हैं ये कौन है...
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