Tuesday, February 11, 2025
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Mahakumbh 2025: हाथ में ढफली, मुख में नॉन स्टाप शिव का नाम... कौन हैं सिर पर मोर पंख लगाने वाले ये साधु

महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में लोग आए हुए हैं। इसी बीच एक साधुओं का संंप्रदाय कल्पवासी साधुओं से भिक्षा मांग रहा है, इस संप्रदाय के साधुओं के मुख पर सिर्फ शिव के भजन और कीर्तन ही सुनाई दे रहे हैं, आइए जानते हैं ये कौन है...

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 20, 2025 12:44 IST, Updated : Jan 20, 2025 12:45 IST
Mahakumbh 2025
Image Source : INSTAGRAM जोगी जंगम साधु

महाकुंभ में देश-विदेश के हर कोने से सनातनी साधु-संत महाकुंभ में शामिल हो रहे हैं। इस पावन पर्व पर हर संप्रदाय के साधु महात्मा अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। इसी बीच एक अनोख संतों का जत्था भी लोगों का काफी आकर्षित कर रहा है, जिनके हाथों में ढफली, ढोलक, मंजीरा औऱ मुंह में बस शिव का नाम, जो निरंतर चलता रहता है कभी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। इनके भजन कीर्तन मेले में किसी के मनोरंजन आदि के लिए नहीं होते, बल्कि ये कल्पवास में बैठे साधु-संतों से भिक्षा मांगने के लिए होते हैं। इन साधुओं को जोगी जंगम साधु कहा जाता है।

ऐसी होती है वेशभूषा

इनके सिर पर मोर का पंख, मुंह पर शिव का नाम, माथे पर बिंदी और कानों में पार्वती के कुंडल इनकी शोभा बढ़ा रहे हैं। इसी श्रृंगार के साथ ये कल्पवासी साधुओं के पास पहुंचते हैं और भजन करते रहते हैं और भिक्षा मांगते हैं। भजन से खुश होकर कल्पवासी साधु इन जंगम साधुओं को पैसे, अनाज आदि भिक्षा स्वरूप देते हैं। ये साधु सुर साधक हैं, जो अपने ईष्टदेव और उसके उपासक अखाड़े की महिमा का गुणगान करते हैं। इन्हें अखाड़ों का गायक भी कहते हैं।

क्या है धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो जोगी जंगम साधु का सीधा संबंध भगवान शिव से हैं। कहा जाता है कि जब पार्वती से शादी के बाद जब भगवान शिव ने विष्णु और ब्रह्मा को दान देना चाहा तो उन्होंने इसे मना कर दिया, जिस कारण भोले शंकर नाराज हो गए और क्रोधवश अपने जांघ पर हाथ मारा। इसी से साधुओं का एक संप्रदाय जन्मा, जिसे जोगी जंगम साधु यानी जांस से जन्मा साधु कहा गया। यही जंगम साधु आज भी संन्यासी अखाड़ों के पास जाकर शिव कथा-शिव से जुड़े गीत सुनाते हैं और इन अखाड़ों से मिले दान पर ही अपनी जीविका चलाते हैं। हालांकि जंगम जोगी वैष्णव अखाड़ों में प्रवेश नहीं करते। कहा जाता है कि ये जंगम साधु भेंट का हाथ से नहीं लेते बल्कि अपनी घंटी को उलटकर उसमें दक्षिणा लेते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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