तुर्की स्वीडन को नाटो सदस्य बनाए जाने के खिलाफ खड़ा हो गया है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोगन ने नाटो की सिफारिश का खुलकर विरोध किया है। साथ ही स्वीडन को नाटो की सदस्यता के लिए फिलहाल अयोग्य बताया है। साथ ही उसे अपने अंदर सुधार लाने की नसीहत दी है।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इसी बीच सैन्य संगठन नाटो अब नए सिरे से रूस को घेरने की तैयारी कर रहा है। इसे लेकर जो फेरबदल कि गए हैं, उसे नाटो और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन मिलकर इसे अगली बैठक में पेश करेंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध को 16 माह हो चुके हैं। इस दौरान सबसे बड़ा घटनाक्रम रूस की निजी सेना वैगनर ग्रुप का पुतिन से बगावत होना है। इससे यूक्रेन को एक उम्मीद जगी थी, लेकिन अचानक येवगिनी प्रिगोझिन ने पुतिन से सशस्त्र विद्रोह को वापस ले लिया। अब यूरोपीय संघ और नाटो पुतिन की ताकत का आकलन नहीं कर पा रहा।
टेलीविज़न पर राष्ट्र के नाम एक संबोधन में पुतिन ने चेतावनी भरी लहजे में कहा कि रूस में ब्लैकमेल या आंतरिक अशांति बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश और यूक्रेन चाहते हैं कि रूसी एक-दूसरे को मार डालें।
चीन ने जापान से कहा है कि क्षेत्र की शांति को ध्यान में रखते हुए उसे लिथुआनिया में हो रही NATO समिट में हिस्सा नहीं लेना चाहिए।
अमेरिका का दुश्मन नंबर 1 चीन अब रूस के साथ खड़ा होता दिख रहा है। ऐसे में एशिया में रूस, खासकर चीन की अकड़ ढीली करने के लिए सुदूर पूर्व में जापान के साथ नाटो अब अपनी करीबी बढ़ा रहा है।
रूस अपने दोस्त देश बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करके 'नाटो' को सबक सिखाना चाहता है। बेलारूस में परमाणु हथियारों की तैनाती को लेकर एग्रीमेंट भी साइन हो गया है।
यूक्रेन युद्ध में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देशों ने एक बार फिर से रूस की मुश्किल बढ़ा दी है। रूस के साथ युद्ध के दौरान सहायता करने के अपने वादों के मद्देनजर यूक्रेन को 98 प्रतिशत से अधिक लड़ाकू वाहनों की आपूर्ति की।
नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन नाटो के संगठन में शामिल होने का हकदार है। उन्होंने पिछले साल रूस के आक्रमण के बाद अपनी पहली यूक्रेन यात्रा के दौरान देश को लगातार सहयोग प्रदान करने का वादा किया।
यूक्रेन पर हमले के एक वर्ष से अधिक समय बाद उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) चीफ के अचानक कीव पहुंचने से खलबली मच गई है। आखिर क्या वजह है कि अचानक नाटो चीफ यूक्रेन पहुंचे हैं। आपको बता दें कि नाटो शुरू से ही यूक्रेन को युद्ध में मदद करता रहा है। इसे लेकर रूस और नाटो में भारी तनातनी चलती आ रही है।
इस समय भारतीय वायुसेना के बेड़े में 36 राफेल जेट हैं। वायुसेना में शामिल होने के बाद राफेल 26 जनवरी की कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर चुका है।
Super International: फिनलैंड को नाटो में एंट्री मिलने से रूस को लगा झटका, फिनलैंड को 31वें देश के तौर पर मिली सदस्यता.
फिनलैंड मंगलवार को आधिकारिक तौर पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ‘नाटो‘ में शामिल होने जा रहा है। नाटो के प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि फिनलैंड मंगलवार को इस सैन्य गठबंधन का 31वां सदस्य बनेगा। यह खबर रूस के लिए झटके की तरह है।
नई दिल्ली: यूक्रेन से चल रहे युद्ध के बीच रूस ने पश्चिमी देशों से लगती बेलारूस की सीमा पर परमाणु हथियार तैनात करने का ऐलान कर दिया है। इससे नाटो देशों में खलबली मच गई है। दरअसल रूस ने यह कदम उठाने का फैसला इसलिए किया है कि नाटो और पश्चिमी देश लगातार युद्ध में यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं।
जूलियन स्मिथ ने कहा, ‘रायसीना डायलॉग से इतर कुछ आदान-प्रदान हुए हैं, जो एक शुरुआत है और बातचीत को थोड़ा खोल दिया है।‘ उन्होंने बताया कि यह संदेश पहले भी भारत को दिया जा चुका है कि नाटो गठबंधन के तौर पर निश्चित रूप से भारत के साथ और ज्यादा करीब होना चाहता है। नाटो में इस समय 40 देश जुड़े हैं।
पुतिन ने यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को नाटो देश हथियारों की मदद कर रहे हैं। यह चिंता का कारण है। हालांकि इससे रूस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। पुतिन ने अमेरिका और नाटो देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि रूस के पास हथियारों का जखीरा जमा है, भरा हुआ है। इसका अभी तक इस्तेमाल ही नहीं किया गया है।
ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि एस्टोनिया में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के साथ कम्यूनिकेशन नहीं कर पाने के चलते रूसी विमान को एस्कॉर्ट करने के लिए नाटो के दो विमानों को भेजा गया।
यूक्रेन पर रूस की आक्रमकता बिना किसी वजह की एक ऐसी घटना है, जो पश्चिमी देशों और चीन के साथ रूस के रिलेशन को फिर से एक अलग तरह से देखा जा रहा है। रूस-यूक्रेन में जारी जंग के कई और मायने भी हैं, जो सामने आ रहा है।
बाइडन अब बुधवार को पोलैंड में 'नाटो' के पूर्व क्षेत्र के नेताओं से मुलाकात कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। नाटो के पूर्वी देश रूस के हमले की सबसे ज्यादा जद में हैं। यदि भविष्य में जंग और गहराई तो ऐसी स्थिति में 'नाटो' के पूर्वी देशों को क्या करना होगा, इस रणनीति पर भी चर्चा की उम्मीद है।
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