रूस-यूक्रेन युद्ध विराम को लेकर जी-20 सम्मेलन के इतर पूछे गए एक सवाल के जवाब में रक्षामंत्री सर्गेई ने बड़ा बयान दिया है। सर्गेई लावरोव ने युद्ध मां शांति की बात करते हुए कहा कि हर कोई युद्ध में शांति चाहता है। हमने शांति के लिए 18 महीने पहले एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। मगर जेलेंस्की को इस पर हस्ताक्षर नहीं किया।
नई दिल्ली के जी-20 सम्मेलन में सर्वसहमति से घोषणापत्र जारी करने के लिए रूस ने भारत की अध्यक्षता की तारीफ की है। रूस ने भारतीय कूटनीति की जबरदस्त सराहना करते हुए कहा है कि यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देशों के एजेंडे को भारत ने लागू नहीं होने दिया।
यूक्रेन संघर्ष पर जी-20 के घोषणा पत्र पर आम सहमति बना पाना भारत के लिए नाक का सवाल बन चुका है। चीन और रूस अपनी जिद पर अड़े थे और दूसरे तरफ यूरोप व पश्चिमी देश अपनी जिद पर। दोनों की जिद के बीच सहमति का रास्ता निकालना आसान नहीं था। मगर आखिरी वक्त में भारत ने ये कर दिखाया। इससे दुनिया में भारत का सिर ऊंचा हो गया।
भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन में संयुक्त घोषणा पत्र में आम सहमति बनाते हुए बतौर अध्यक्ष दुनिया को बड़ा संदेश देने वाला ऐलान किया है। नई दिल्ली की ओर से आम सहमति से जारी डिक्लेरेशन में रूस-यूक्रेन युद्ध और तीसरे विश्व युद्ध के खतरों के बीच परमाणु हथियारों के इस्तेमाल और धमकी को अस्वीकार्य बताया गया है।
जी-20 सदस्य देशों से यूक्रेन युद्ध पर आम सहमति बनाने के लिए भारत ने अब नया पैराग्राफ जारी किया है। हालांकि इस पैराग्राफ के बिंदुओं के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस पैराग्राफ पर रूस और चीन की भी सहमति मिलने की उम्मीद है। क्योंकि सभी देशों की सहमति के बिना संयुक्त घोषणापत्र जारी नहीं किया जाता।
भारत में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन से सैकड़ों मील दूर उत्तर कोरिया अपना स्थापाना दिवस मना रहा है। उत्तर कोरिया के 75वें स्थापना दिवस पर रूस और चीन भी अपनी एकजुटता प्रकट कर अमेरिका समेत पूरी दुनिया को नए गठबंधन का संकेत दे रहे हैं। इससे आने वाले वक्त में बहुत कुछ प्रत्याशित होने की आशंका बढ़ गई है।
जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध का समाधान अब तक नहीं खोजे जाने को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है। उन्होंने पूरी दुनिया के नेताओं का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते कहा कि युद्ध ने विश्वास की कमी को और गहरा कर दिया है, मगर अब हम सबको मिलकर इसे भरोसे में तब्दील करने का वक्त आ गया है।
जी-20 सम्मेलन का नई दिल्ली में आज से आगाज हो गया है। मगर इस दौरान यूक्रेन संकट पर आम सहमति बना पाना जी-20 नेताओं के लिए सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। चीन और रूस अन्य देशों के बयानों पर आम सहमति बनाने नहीं दे रहे। अब अध्यक्ष के नाते दुनिया भारत से घोषणापत्र के लिए आम सहमति की उम्मीद लगाए बैठी है।
रूस ने अपने कब्जे वाले जापोरिज्जिया, लुहांस्क, खेरसॉन और दोनेत्सक में चुनाव आरंभ करवा दिया है। यह शुक्रवार से रविवार तक चलेगा। पुतिन की मंशा इन 4 क्षेत्रों पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित करके युद्ध विराम की घोषणा करना हो सकता है। पुतिन ने जोहॉन्सबर्ग के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में युद्ध खत्म करने का ऐलान भी किया था।
रूस ने भले ही यूक्रेन को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मगर अमेरिकी यूक्रेन युद्ध जीतने के लिए पुतिन की राह का बड़ा रोड़ा बनकर खड़ा है। युद्ध के आरंभ से ही अमेरिका यूक्रेन को लगातार रक्षा पैकेज देता आ रहा है। जो बाइडेन ने फिर यूक्रेन को 60 करोड़ डॉलर का नया रक्षा पैकेज दिया है।
9-10 सितंबर तक चलने वाले G20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत की राजधानी नई दिल्ली आ रहे हैं। ऐसे में पीएम मोदी और जो बाइडेन के बीच अहम मुद्दों पर चर्चा संभव है।
रूस ने एक बार फिर यूक्रेन के एक शहर में घातक हमला किया है। हमला इतना घातक था कि मार्केट में चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। इस हमला का एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है।
भारत को जी-20 की अध्यक्षता ऐसे वक्त में मिली है, जब दुनिया को एक ऐसे ही देश के अध्यक्ष होने की जरूरत महसूस हो रही थी। यह बात ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते कहा कि जिस प्रकार से भारत वैश्विक नेतृत्व कर रहा है, उसे देखना अद्भुत है।
रूस ने यूक्रेन पर बड़ा भीषण हमला किया है। इसमें करीब 16 लोगों की मौत हो गई और 28 घायल हो गए हैं। यह हमला उस वक्त हुआ, जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन यूक्रेन को 1 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त रक्षा सहायता देने के लिए कीव में थे।
वैगनर आर्मी का नेटवर्क सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि दुनिया के करीब 30 देशों तक फैला है। इनमें यूरोप, एशिया से लेकर अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश तक शामिल हैं। मगर अब वैगनर आर्मी के चीफ प्रिगोझिन की तथाकथित मौत के बाद इस संगठन के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है। ब्रिटेन इस ग्रुप को आतंकवादी घोषित करना चाह रहा है।
इजमेल पोर्ट यूक्रेन के ओडिया इलाके में बहने वाली दानुबे नदी पर बना है। रूस के ड्रोन हमले में पोर्ट के वेयरहाउस, प्रोडक्शन बिल्डिंग, कृषि मशीनरी और उपकरणों को भारी क्षति हुई है।
रूस ने यूक्रेन के डैन्यूब पोर्ट पर भीषण हवाई हमला किया है। यूक्रेन ने रूस के इस हमले को आतंकवादी हमला करार दिया है। रूस की सेना ने यूक्रेन के इस पोर्ट पर एक साथ 25 घातक शहीद ड्रोनों के जरिये हमला बोला। इससे पोर्ट में आग लग गई और दो कर्मचारी घायल हो गए।
यूक्रेन ने एक बार फिर रूस को क्रीमिया से जोड़ने वाले ब्रिज को उड़ाने का प्रयास किया। इसके लिए यूक्रेन ने 3 ड्रोन अटैकर भेजे थे, मगर क्रीमिया ब्रिज पर हमले से पहले रूस ने उन ड्रोनों को मार गिराया। रूस के रक्षामंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन की क्रीमिया ब्रिज उड़ाने की योजना को विफल कर दिया गया है।
यूक्रेन के ड्रोन हमलों से बौखलाए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अब युद्ध क्षेत्र में अंतरद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल तैनात कर दी है। इसका इस्तेमाल हुआ तो यह यूक्रेन में भीषण तबाही मचा सकती है। क्या पुतिन ने अब यूक्रेन पर इस मिसाइल के इस्तेमाल का मूड बना लिया है, क्या अब वाकई युद्ध का पूरी तरह खात्मा होने वाला है।
तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर जुलाई 2022 में एक समझौता किया था, जिसके तहत यूक्रेन काला सागर में स्थित तीन बंदरगाहों से अनाज और अन्य खाद्य पदार्थ बाहर भेज सकता था। उसी समय, संयुक्त राष्ट्र और रूस के बीच एक अलग सहमति बनी थी
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